ग्वालियर : सिंधिया राजघराने की राजमाता व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की मां को अंतिम विदाई दी गई।ग्वालियर में केंद्रीय मंत्री सिंधिया ने मां को मुखाग्नि दी। ग्वालियर आने के बाद राजमाता की पार्थिव देह पहले रानी महल में अंतिम दर्शन के लिए रखी गई थी। इसके बाद सिंधिया रियासत के थीम रोड स्थित छतरी मैदान में पूरे राजसी परंपरा के साथ पुत्र ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मां को अंतिम विदाई दी। इस दौरान सीएम मोहन यादव, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा सहित तमाम राजनीतिक हस्तियां मौजूद रहीं। बता दें, आम आदमी के रीति-रिवाजों से राजसी परंपरा अलग होती है। सिंधिया राजघराने में 14 दिनों तक शोक रहेगा।
राजमाता माधवी राजे सिंधिया की पार्थिव देह को गुरुवार को एमपी के ग्वालियर लाया गया। वो इसलिए क्योंकि सिंधिया ग्वालियर में निवास करते हैं। यहां जय विलास पैलेस में राजमाता का पार्थिव शरीर रखा गया। जहां आज तमाम हस्तियां अंतिम दर्शन करने और श्रद्धांजलि देने पहुंची। वहीं, इसके बाद सिंधिया पैलेस से फूलों से सजे वाहन में राजमाता की अंतिम यात्रा निकली। इस दौरान बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया साथ में मौजूद रहे। छतरी मैदान में राजमाता के अंतिम संस्कार की तैयारियां की गई थी। जहां पति माधवराजे सिंधिया की समाधि के बाजू में माधवी राजे की अंतिम क्रिया की गई। इस दौरान पूरा सिंधिया परिवार मौजूद रहा।
पुरोहित की मौजूदगी में राजसी परंपरा और मंत्रोच्चारण के साथ राजमाता को अंतिम विदाई दी गई।सिंधिया ने अपना सिर भी मुंडवाया। इसके बाद पुरोहित द्वारा बताए सारे नियमों का पालन करते हुए मां माधवी राजे सिंधिया को मुखाग्नि दी। बता दें, अंतिम संस्कार के बाद अस्थि संचय किया जाएगा। फिर राजपुरोहित द्वारा 10 दिनों तक महल में रोजाना पूजा-पाठ होगी। दसवें दिन परिवार के सदस्य गंगा स्नान कर अस्थि विसर्जन करेंगे और गंगाजी की विशेष पूजा करेंगे। 10वें दिन ही अस्थि विसर्जन के बाद ग्वालियर स्थित पूरे महल की गंगा जल से शुद्ध होगी। फिर 13वें दिन तेरहवीं का कार्यक्रम आयोजित होगा, जिसमें परिवार और राज परिवार से जुड़े लोग शामिल होंगे। इसमें आम लोग शामिल नहीं हो सकते।
वहीं, 14वें दिन गंगभोज का आयोजन किया जाएगा। इसमें सगे-संबंधियों के साथ परिचित और अन्य लोग शामिल होंगे। राजमाता की आत्मा की शांति के लिए राज परिवार की ओर से ब्राह्मणों को दक्षिणा जिसमें पैसे और वस्त्र दिए जाएंगे। गौरतलब है कि राजसी परंपरा आम आदमी से अलग होती है। इनके पंडित और राजपुरोहित भी अलग होते हैं। वहीं, गंगभोज बनाने वाले कारीगर और हलवाई भी अलग होते हैं।गौरतलब है कि राजमाता माधवी राजे सिंधिया तीन महीनों से दिल्ली एम्स में भर्ती थीं। जहां बुधवार सुबह उन्हें 76 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। बुधवार को दिल्ली स्थित सिंधिया हाउस में माधवी राजे का पार्थिव शरीर रखा गया था।
दुख के इस समय में पूरा राजपरिवार एक साथ नजर आया। ज्योतिरादित्य सिंधिया की पत्नी प्रियदर्शनी राजे सिंधिया, बेटे महानआर्यमन सिंधिया के साथ सिंधिया परिवार के अनेक सदस्य जिनमें ज्योतिरादित्य की बहन चित्रांगना सिंह, बुआ वसुंधरा राजे सिंधिया, यशोधरा राजे सिंधिया सहित सिंधिया परिवार और मराठा समाज के अनेक सदस्य मौजूद रहे। वहीं, बड़ोदा के राज परिवार के कई सदस्य भी पहुंचे और पूरे भारत के अनेक राज परिवारों के सदस्यों ने ग्वालियर आकार राजमाता को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
राज परिवारों के अलावा मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और सरकार के कई मंत्री और विधायक भी आज इस कार्यक्रम में शामिल हुए। अंतिम दर्शन के बाद राजमाता के पार्थिव शरीर को पालकी में जय विलास पैलेस से शहर के कटोरा ताल स्थित सिंधिया छतरी तक शव यात्रा निकलते हुए ले जाया गया। जहां केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पूरे विधि विधान से मुखाग्नि देकर अपनी मां का अंतिम संस्कार किया। इस दौरान परिवार के सभी सदस्यों के साथ ही केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भी अंतिम विदाई के दौरान कई बार भावुक होते नज़र आए।
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