-गाजा में अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन करने का आरोप, जर्मनी-ब्रिटेन से मदद मांगी
येरुशलम। इजराइल-हमास युद्ध के बीच गाजा में अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन करने के आरोप में इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू, कई राजनेताओं और सैन्य नेताओं के खिलाफ भी गिरफ्तारी वारंट जारी हो सकता है।
इजराइल को हमास के खिलाफ युद्ध के बीच डर सताने लगा है कि अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (आईसीसी) प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर सकता है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, इजराइल को सूत्रों के हवाले से जानकारी मिली थी कि आईसीसी आने वाले समय में वारंट जारी करने पर विचार कर रही है। इसके बाद प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के ऑफिस में कई विशेषज्ञों ने इस मुद्दे पर तत्काल बैठक की थी। इस बैठक में वारंट को टालने के प्रयासों पर चर्चा हुई थी।
इजराइल के विदेश मंत्रालय के मुताबिक, इस बैठक में इस बात पर सहमति बनी थी कि इजराइल गिरफ्तारी वारंट टालने के लिए आईसीसी और अन्य राष्ट्रों के विदेश डिप्लोमैटिक अधिकारियों से बातचीत करेगा। इसके अलावा, इजराइली प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने ब्रिटेन और जर्मनी के विदेश मंत्रियों से इस मामले में मदद भी मांगी है। नेतन्याहू के मंत्रियों को डर है कि गाजा में मानवीय संकट को देखते हुए यह वारंट जारी हो सकता है। फरवरी में हमास की कैद से रिहा हुए कुछ इजराइलियों ने आईसीसी में हमास के युद्ध अपराध के खिलाफ शिकायत की थी। इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट के चीफ प्रॉसीक्यूटर करीम खान पिछले साल दिसंबर में इजराइल दौरे पर आए थे। इस दौरान करीम उन क्षेत्रों में भी गए थे, जहां हमास ने हमला किया था।
करीम खान ने कहा था कि इजराइल में हमास की क्रूरता के सबूत मौजूद हैं। अब हमास के खिलाफ कार्रवाई शुरू करना उनका कर्तव्य है। 1 जुलाई 2002 को इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट यानी आईसीसी की शुरुआत हुई थी। ये संस्था दुनियाभर में होने वाले वॉर क्राइम, नरसंहार और मानवता के खिलाफ अपराधों की जांच करती है। ये संस्था 1998 के रोम समझौते पर तैयार किए नियमों के आधार पर कार्रवाई करती है। आईसीसी का मुख्यालय द हेग में है। ब्रिटेन, कनाडा, जापान समेत 123 देश रोम समझौते के तहत इसके के सदस्य हैं।
आईसीसी ने यूक्रेन में बच्चों के अपहरण और डिपोर्टेशन के आरोपों के आधार पर रूस के राष्ट्रपति पुतिन के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था। आईसीसी के वारंट के लिए देशों को गिरफ्तारी करने के लिए बाध्य नहीं होना पड़ता। इसकी वजह यह है कि हर संप्रभु देश अपने आंतरिक और विदेशी नीतियों के लिए स्वतंत्र होते हैं। आईसीसी भी हर देश की संप्रभुता का सम्मान करती है। अपने 20 साल के इतिहास में आईसीसी ने मार्च 2012 में पहला फैसला सुनाया था। ये फैसला डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो के उग्रवादी नेता थॉमस लुबांगा के खिलाफ सुनाया था। जंग में बच्चों को भेजे जाने के आरोप में उसके खिलाफ केस चलाया गया था। इस आरोप में लुबांगा को 14 साल के लिए जेल की सजा सुनाई गई थी।
भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के समीप औद्योगिक क्षेत्र के बंद फैक्ट्री में एमडी ड्रग्स…
संयुक्त कार्रवाई में 1814 करोड़ का MD ज़ब्त, तीन आरोपी गिरफ्तार, देश भर में नशे…
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने शिक्षा भूषण अखिल भारतीय सम्मान समारोह को किया संबोधित भोपाल। मुख्यमंत्री…
भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने पद्मश्री अवार्डी श्रीमती दुर्गाबाई के कोटरा सुल्तानाबाद स्थित निवास…
सिंगापुर। भारत के स्टार खिलाड़ी पंकज आडवाणी ने सिंगापुर में स्थानीय स्टार जाडेन ओंग को…
ग्वालियर। भारत ने तीन मैचों की टी-20 सीरीज के पहले मुकाबले में रविवार को बांग्लादेश…