संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में ईरान और इजरायल ने एक दूसरे पर साधा निशाना
जेनेवा। पिछले दिनों ईरान ने इजराइल पर अचानक हमला कर दिया। ईरानी हमले को लेकर इजराइन ने दावा किया है कि उसने कई ईरानी मिसाइलों को हवा में ही मार गिराया है। इन घटनाक्रमों के बीच संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में ईरान और इजरायल ने एक दूसरे पर जमकर निशाना साधा। इजरायल ने ईरान की आतंकी गतिविधियों पर खामोश रहने पर संयुक्त राष्ट्र को भी घेरा है। संयुक्त राष्ट्र में इजरायल के राजदूत ने कहा कि इजरायल बेवजह का रोना नहीं रोता। हम सालों से अपना पक्ष रखते आ रहे हैं और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को समझाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन इसका फायदा नहीं हुआ। अगर यूएनएससी हमारे बातों पर अमल कर लेता तो ईरानी हमलों की गूंज से उसे जागना नहीं पड़ता। इजरायली राजदूत ने संयुक्त राष्ट्र के मंच से कहा कि उन्होंने ईरान की निंदा क्यों नहीं की? इसके बजाए आपने हमास के लिए लाल कार्पेट बिछाया। आप उनके साथ ऐसा व्यवहार क्यों करते हैं, जैसे वे इस मौजूदा स्थिति को कम करने के इच्छुक हैं जबकि आपको पता है ऐसा कुछ नहीं है। ईरान की रणनीति रही है कि वे दुनियाभर में आतंकी को फंडिंग करने और आतंकियों को ट्रेनिंग देता है ताकि वह वर्चस्व की अपनी योजना को अमलीजामा पहना सके लेकिन आज ईरान का चेहरा दुनिया के सामने आ गया है। ईरान ने अपनी जमीं से इजरायल पर हमला किया है। इजरायली राजदूत ने कहा कि इस हमले ने सभी सीमाएं लांघ दी है और इजरायल को पूरा हक है कि वह इसका जवाब दे। हम सिर्फ शोर मचाने वाले देश नहीं हैं। इजरायल पर इस तरह का सीधा हमला होने के बाद हम चुप नहीं बैठेंगे।
उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र में अब कोई मान मनौव्वल नहीं होगा। कोई तुष्टिकरण नहीं होगा। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को एक्शन लेना होगा। ईरान के हमले की निंदा करनी होगी। आज और अभी एक्शन लेना होगा इजरायल या मिडिल ईस्ट के लिए नहीं बल्कि दुनिया के भविष्य के लिए। ईरान को आज ही रोकना होगा।
वहीं, संयुक्त राष्ट्र में ईरानी राजदूत ने कहा कि ईरान की सेना ने इजरायल के सैन्य ठिकानों को निशाना बनाकर मिसाइल और ड्रोन हमले किए थे। ईरान ने संयुक्त राष्ट्र के चार्टर 51 का पालन करते हुए आत्मरक्षा की वजह से यह कदम उठाया है। इसमें साफ कहा गया है कि कोई भी देश खुद पर हमले और खतरे के मद्देनजर आत्मसुरक्षा में जवाबी हमला कर सकता है। ईरानी राजदूत ने यूएनएससी में अमेरिका को भी आड़े हाथों लिया आैर कहा कि ये देश, विशेष रूप से अमेरिका गाजा नरसंहार में इजरायल की जवाबदेही से उसे बचाने के लिए ढाल बनकर खड़ा है जबकि ये हम पर इजरायली हमले को लेकर अपनी आंख मूंद लेते हैं और गाजा नरसंहार को न्यायोचित ठहराते हैं। यह उनकी दोहरी नीति है।
उन्होंने कहा कि मिडिल ईस्ट में ईरान की अमेरिका से दो-दो हाथ करने की कोई मंशा नहीं है। हमने शांति के लिए प्रतिबद्धता जताई है लेकिन अगर अमेरिका, ईरान के खिलाफ सैन्य ऑपरेशन शुरू करता है तो हम उसका जवाब जरुर देंगे।
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