महामारी बनेगा बर्ड फ्लू…लोगों पर करेगा जानलेवा हमला
लंदन/नई दिल्ली । कोविड-19 के बाद अब इंसानों पर एक और जानलेवा महामारी का हमला होने वाला है। यह महामारी है बर्ड फ्लू एच5एन1। एक नई स्टडी में हैरान करने वाला खुलासा हुआ है। इसके अनुसार बर्ड फ्लू एच5एन1 तेजी से जंगली पक्षियों में फैल रहा है। जिस तेजी से यह बीमारी फैल रही है उससे करोड़ों लोगों के प्रभावित होने का खतरा है। वैज्ञानिकों ने 1.20 करोड़ वायरस जीनोम की स्टडी की। उनका डेटा देखा। पता चला कि फिलहाल सबसे बड़ा खतरा बर्ड फ्लू एच5एन1 को लेकर है।
यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के जेनेटिक इंस्टीट्यूट में डॉक्टोरल स्टूडेंट सेड्रिक टैन ने बताया कि जब भी कोई वायरस एक प्रजाति से दूसरी प्रजाति या एक जीव से दूसरे जीव में जाता है, तो वह अपने टारगेट के हिसाब से पहले ही खुद को ढाल चुका होता है। जिसे होस्ट के मुताबिक का बदलाव कहते हैं। सदियों से महामारियों ने करोड़ों इंसानों को मारा है। वजह वायरस, पैथोजेन और बैक्टीरिया रहे हैं। जूनोसिस यानी जानवरों से इंसानों में आने वाली बीमारियों को लेकर पूरी दुनिया चिंतित है। इंसानों में मौजूद वायरसों की वजह कहीं न कहीं जानवर ही हैं। जो कभी न कभी इंसानी शरीर में प्रवेश कर गए। किसी तरह की महामारी या नई बीमारी फैले तो आसान होता है उसकी उत्पत्ति किसी जानवर से जोडक़र खुद को संभालना। चमगादड़ों से कोविड-19 फैला, चिम्पैंजी से एड्स का वायरस। लेकिन अब एक नई स्टडी सामने आई है, जिसमें कहा जा रहा है कि इंसानों ने जानवरों को ज्यादा वायरस से संक्रमित किया है। वायरसों के आने का मार्ग एकतरफा नहीं रहा है। यह दोतरफा है। सार्वजनिक तौर पर मौजूद वायरल जीनोम की स्टडी करने के बाद हैरान करने वाले नतीजे सामने आए हैं। इंसान जानवरों को दोगुना ज्यादा वायरस देते हैं। जबकि जानवर ऐसा नहीं करते वैज्ञानिकों ने 1.20 करोड़ वायरस जीनोम की स्टडी की। उनका डेटा देखा। पता चला कि 3000 मामले ऐसे हैं, जब वायरस एक प्रजाति के जीव से दूसरी प्रजाति के जीव पर जाते हैं। इसमें 79 फीसदी वायरस ऐसे हैं, जो एक जानवर की प्रजाति से दूसरी जानवर की प्रजाति में जाते हैं। 21 फीसदी वायरस ऐसे हैं, जो इंसानों से फैलते हैं। इंसान भी सक्रमित करते हैं जानवरों को इन तीन हजार वायरसों के मामले में से 64 फीसदी वायरस ऐसे हैं, जो इंसानों से जानवरों में जाते हैं। इसे एंथ्रोपोनोसिस कहते हैं। सिर्फ 36 फीसदी वायरस ऐसे हैं, जो जानवरों से इंसानों में जाते हैं। वायरस के इस ट्रांसमिशन की प्रक्रिया को जूनोसिस कहते हैं।
एंथ्रोपोनोसिस का शिकार होने वाले जीवों में घरेलू बिल्लियां, कुत्ते, घोड़े, सुअर, मवेशी शामिल हैं। इसके अलावा मुर्गियां, बत्तख, प्राइमेट जैसे चिम्पैंजी, गोरिल्ला, हॉउलर मंकीप, रकून, चूहे आदि भी इसके शिकार होते हैं। जंगली जानवरों को इंसानों से होने वाले वायरस संक्रमण का खतरा रहता है। रीढ़ की हड्डियों वाले जानवरों में संक्रमण होता है तेज यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के जेनेटिक इंस्टीट्यूट में डॉक्टोरल स्टूडेंट सेड्रिक टैन कहते हैं कि इंसान पर्यावरण पर कई तरह का असर डालता है। हर चीज पर डालता है। चाहे वह जानवर हों या पेड़-पौधे। मेरी ये स्टडी हाल ही में नेचर इकोलॉजी एंड इवोल्यूशन जर्नल में प्रकाशित हुई है। सेड्रिक कहते हैं कि इंसान और जानवर लाखों-करोड़ों माइक्रोब्स लेकर घूमते हैं। जो एक प्रजाति के दूसरी प्रजाति के नजदीक आते ही आदान-प्रदान हो जाते हैं। आमतौर पर सभी कशेरूकीय जीवों में, यानी जिनमें रीढ़ की हड्डी है। जैसे स्तनधारी, पक्षी, सरिसृप, उभयचर और मछलियां।
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