पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का निधन: देश में शोक की लहर, 7 दिन का राजकीय शोक घोषित

प्रणब दा ने 21 दिन किया मृत्यु से संघर्ष, प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति समेत कई हस्तियों ने जताया दुख

तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1982 में बनाया था वित्त मंत्री
बीते कुछ समय से बीमार चल रहे देश के पूर्व राष्ट्रपति

नई दिल्ली, 31 अगस्त। देश के पूर्व राष्ट्रपति का निधन हो गया है। उनके बेटे अभिजीत मुखर्जी ने यह जानकारी दी। दिल्ली कैंट स्थित आर्मी रिसर्च एंड रेफरल अस्पताल में प्रणब दा का इलाज किया जा रहा था। सोमवार सुबह ही अस्पताल की तरफ से बताया गया था कि फेफड़ों में संक्रमण की वजह से वह सेप्टिक शॉक में थे। मुखर्जी के निधन पर भारत सरकार ने 31 अगस्त से छह सितंबर तक सात दिवसीय राजकीय शोक घोषित किया है।

मुखर्जी लगातार गहरे कोमा में थे और उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था। उन्हें 10 अगस्त को दिल्ली कैंट स्थित सैन्य अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इससे पहले उनकी कोरोना रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई थी। मुखर्जी के मस्तिष्क में खून के थक्के जमने के बाद उनका ऑपरेशन किया गया था। प्रणब मुखर्जी भारत के 13वें राष्ट्रपति के रूप में 2012 से 2017 तक पद पर रहे। पूर्व राष्ट्रपति मुखर्जी के परिवार में दो बेटे और एक बेटी हैं।

पीएम मोदी ने कहा- पूरा देश दुखी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुखर्जी ने निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि आज पूरा देश दुखी है। उन्होंने ट्वीट किया, ‘भारत रत्न प्रणब मुखर्जी के निधन पर पूरा देश शोक में है। उन्होंने हमारे राष्ट्र के विकास पथ पर एक अमिट छाप छोड़ी है। वह राजनीतिक स्पेक्ट्रम के पार और समाज के सभी वर्गों द्वारा प्रशंसित थे।

‘सपना था प्रधानमंत्री बनने का, बन गए राष्ट्रपति

यूपीए और कांग्रेस में प्रणब मुखर्जी प्रधानमंत्री पद के सबसे मजबूत दावेदार थे। उन्हें ‘पीएम इन वेटिंग’ भी कहा जाता था, लेकिन उन्हें किस्मत में सात रेसकोर्स रोड नहीं बल्कि राष्ट्रपति भवन लिखा था। जीवनवनयात्रा पर लिखी पुस्तक ‘द कोलिशन ईयर्स – 1996-2012’ में उन्होंने खुद स्वीकार किया था कि वो प्रधानमंत्री बनना चाहते थे
मोदी चाहते थे मुखर्जी दोबारा बनें राष्ट्रपति
राष्ट्रपति के तौर पर प्रणब मुखर्जी ने कांग्रेस को बेदखल होते और भाजपा को पूर्ण बहुमत की सरकार बनाते हुए देखा। कई मौकों पर वे मोदी सरकार की तारीफ करने से भी पीछे नहीं हटे। प्रधानमंत्री मोदी भी चाहते थे कि वह बतौर राष्ट्रपति दूसरा कार्यकाल भी स्वीकार करें। लेकिन उम्र और स्वास्थ्य का हवाला देते हुए उन्होंने इसे अस्वीकार कर दिया था।
gudakesh.tomar@gmail.com

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