नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है कि भारत को यूएनएससी की स्थायी सदस्यता मिलेगी, लेकिन यह आसान नहीं होगा क्योंकि कई देश हमें रोकना चाहते हैं। जयशंकर ऑस्ट्रेलिया के पर्थ में दो दिवसीय ‘हिंद महासागर सम्मेलन’ में भाग लेते हुए ये बातें कही हैं। उन्होंने कहा कि जब वह विभिन्न देशों में जाते हैं तो उन्हें यह बदलाव नजर आता है कि अब दुनिया भारत को कितनी अलग नजर से देखती है। उन्होंने भारतीय समुदाय के साथ बातचीत के दौरान एक सवाल के उत्तर में कहा, हम वहां पहुंचेंगे। मुझे 100 फीसदी यकीन है कि हम वहां पहुंचेंगे लेकिन मैं आपको यह भी बताऊंगा कि ईमानदारी से कहूं तो हमें यह आसानी से हासिल नहीं होगा क्योंकि दुनिया प्रतिस्पर्धा से भरी है। हालांकि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की स्थायी सदस्यता के लिए दुनिया के कई देशों ने भारत की वकालत की है। मंत्री ने पिछले साल दिसंबर में कहा था कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद एक पुराने ‘क्लब’ की तरह है जिसमें कुछ ऐसे सदस्य हैं जो अपनी पकड़ ढीली नहीं होने देना चाहते और नहीं चाहते कि उनकी कार्यप्रणाली पर सवाल उठे।भारत, सुरक्षा परिषद के विस्तार के लिए वर्षों से किये जा रहे प्रयासों में सबसे आगे रहा है और उसका कहना है कि वह सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य के रूप में जगह पाने का वास्तविक हकदार है, जो (यूएनएससी) अपने मौजूदा स्वरूप में 21वीं सदी की भू-राजनीतिक वास्तविकताओं का प्रतिनिधित्व नहीं करता।वर्तमान में, यूएनएससी के पांच स्थायी सदस्य हैं – चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका। स्थायी सदस्य के पास ही किसी भी प्रस्ताव पर ‘वीटो’ करने की शक्ति होती है। जयशंकर ने किसी देश का नाम लिए बिना कहा, कुछ लोग हमें रोकने की कोशिश करेंगे, रास्ते में बाधाएं उत्पन्न करेंगे..लेकिन मुझे विश्वास है कि हम वहां पहुंचेंगे और मैं पांच साल पहले या 10 साल पहले की तुलना में आज इसके (स्थायी सदस्यता) लिए अधिक आश्वस्त हूं।’’उन्होंने कहा, ‘‘जब मैं दुनिया भर में जाता हूं, तो अक्सर लोगों से यह सुनता हूं कि देखिये, आप वे बातें कह सकते हैं जो हम नहीं कह सकते। हम यह कहने के लिए आप पर भरोसा करते हैं क्योंकि हमारी अपनी सीमाएं हैं।’’ उन्होंने यह रेखांकित किया कि भारत ने कैसे एक ऐसा रुख अपनाया है जो उन सभी के लिए एक सामूहिक रुख है। उन्होंने कहा कि ऐसे कई मुद्दे हैं जिनमें कइयों के हित शामिल हैं लेकिन वैश्विक परिचर्चा पर कुछ ही लोगों का वर्चस्व है।जयशंकर ने कहा, ‘‘यह ऊर्जा संकट के बारे में हो सकता है, कई देशों में आज कर्ज की स्थिति है। यह संस्कृति और विरासत के बारे में हो सकता है क्योंकि कोई भी दूसरों की संस्कृति से अभिभूत नहीं होना चाहता। एक तरह से, आज भारत भरोसेमंद है और उसके बारे में अच्छी राय है। ऐसे बहुत से देश हैं जो हमें वहां (यूएनएससी के स्थायी सदस्य के रूप में) देखना चाहते हैं।’’
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