नई दिल्ली । गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि यह एक युगांतरकारी परिवर्तन का कालखंड है। राष्ट्रपति ने कहा कि हमारा देश स्वतंत्रता की शताब्दी की ओर बढ़ते हुए अमृत काल के प्रारंभिक दौर से गुजर रहा है। यह एक युगांतरकारी परिवर्तन का कालखंड है। हमें अपने देश को नई ऊंचाइयों तक ले जाने का सुनहरा अवसर मिला है। हमारे लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रत्येक नागरिक का योगदान महत्वपूर्ण होगा। इसके लिए मैं सभी देशवासियों से संविधान में निहित हमारे मूल कर्तव्यों का पालन करने का अनुरोध करूंगी। ये कर्तव्य आजादी के 100 वर्ष पूरे होने तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में प्रत्येक नागरिक के आवश्यक दायित्व हैं।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि मैं यह उल्लेख करना चाहूंगी कि सामाजिक न्याय के लिए अनवरत युद्धरत रहे, कर्पूरी ठाकुर जी की जन्म शताब्दी का उत्सव कल ही संपन्न हुआ है। कर्पूरी जी पिछड़े वर्गों के सबसे महान पक्षकारों में से एक थे जिन्होंने अपना सारा जीवन उनके कल्याण के लिए समर्पित कर दिया था। उनका जीवन एक संदेश था। अपने योगदान से सार्वजनिक जीवन को समृद्ध बनाने के लिए मैं कर्पूरी जी को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं।
राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे गणतंत्र की मूल भावना से एकजुट होकर 140 करोड़ से अधिक भारतवासी एक कुटुंब के रूप में रहते हैं। दुनिया के सबसे बड़े इस कुटुंब के लिए, सह-अस्तित्व की भावना, भूगोल द्वारा थोपा गया बोझ नहीं है, बल्कि सामूहिक उल्लास का सहज स्रोत है, जो हमारे गणतंत्र दिवस के उत्सव में अभिव्यक्त होता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि इस सप्ताह के आरंभ में हम सबने अयोध्या में प्रभु श्री राम के जन्मस्थान पर निर्मित भव्य मंदिर में स्थापित मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा का ऐतिहासिक समारोह देखा। भविष्य में जब इस घटना को व्यापक परिप्रेक्ष्य में देखा जाएगा, तब इतिहासकार, भारत द्वारा अपनी सभ्यतागत विरासत की निरंतर खोज में युगांतरकारी आयोजन के रूप में इसका विवेचन करेंगे।
राष्ट्रपति ने कहा कि उचित न्यायिक प्रक्रिया और देश के उच्चतम न्यायालय के निर्णय के बाद मंदिर का निर्माण कार्य आरंभ हुआ। अब यह एक भव्य संरचना के रूप में शोभायमान है। यह मंदिर न केवल जन-जन की आस्था को व्यक्त करता है बल्कि न्यायिक प्रक्रिया में हमारे देशवासियों की अगाध आस्था का प्रमाण भी है।
द्रौपदी मूर्मू ने कहा कि हमारे राष्ट्रीय त्योहार ऐसे महत्वपूर्ण अवसर होते हैं जब हम अतीत पर भी दृष्टिपात करते हैं और भविष्य की ओर भी देखते हैं। पिछले गणतंत्र दिवस के बाद के एक वर्ष पर नजर डालें तो हमें बहुत प्रसन्नता होती है। भारत की अध्यक्षता में दिल्ली में G20 शिखर सम्मेलन का सफल आयोजन एक अभूतपूर्व उपलब्धि थी। G20 से जुड़े आयोजनों में जन-सामान्य की भागीदारी विशेष रूप से उल्लेखनीय है। इन आयोजनों में विचारों और सुझावों का प्रवाह ऊपर से नीचे की ओर नहीं बल्कि नीचे से ऊपर की ओर था। उस भव्य आयोजन से यह सीख भी मिली है कि सामान्य नागरिकों को भी ऐसे गहन तथा अंतर-राष्ट्रीय महत्व के मुद्दे में भागीदार बनाया जा सकता है जिसका प्रभाव अंततः उनके अपने भविष्य पर पड़ता है।
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