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अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की चीफ क्रिस्टलीना जॉर्जीवा का दावा

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से 40 प्रतिशत नौकरियां खतरे में

– 2024 दुनिया के लिए मुश्किल होगा, चुनाव की वजह से देशों पर कर्ज बढ़ेगा

वॉशिंगटन (ईएमएस)। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की प्रमुख क्रिस्टलीना जॉर्जीवा का कहना है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस दुनियाभर में जॉब सिक्योरिटी के लिए खतरनाक साबित होगा। स्विट्जरलैंड के दावोस में सोमवार से शुरू हुई वल्र्ड इकोनॉमिक फोरम की सालाना बैठक में शामिल होने से पहले जॉर्जीवा ने कहा- एआई से विकसित देशों की 60 प्रतिशत नौकरियां खतरे में आ जाएंगी। यह जॉब सिक्योरिटी के लिहाज से भी खतरनाक साबित होगा। हालांकि, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस प्रोडक्टिविटी बढ़ाने के लिए मौके पैदा करेगा। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की एक नई रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि विकासशील देशों में एआई का प्रभाव कम हो सकता है, लेकिन वैश्विक स्तर पर करीब 40 प्रतिशत नौकरियों पर एआई का असर पड़ सकता है। वहीं, उन्होंने 2024 के लिए दुनिया को चेताया है। उन्होंने कहा कि 2024 दुनिया भर की अर्थव्यवस्था के लिए मुश्किल साल हो सकता है। दुनिया कोरोना के वक्त लिए गए कर्ज के जाल से अभी तक नहीं निकल पाई है। वहीं इस साल दुनिया में 60 से ज्यादा देशों में चुनाव हैं। ऐसे में सरकारें लोगों को लुभाने के लिए पैसे खर्च करेंगी, इससे देशों पर कर्ज और बढ़ेगा। छोटे देशों की मदद करनी होगी 14 जनवरी को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की नई रिपोर्ट पब्लिश हुई। इसमें अनुमान जताया गया है कि उभरते बाजारों और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में लेबर मार्केट पर एआई का शुरुआती असर कम होगा। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष चीफ ने कहा- हमें विशेष रूप से कम आय वाले देशों को तेजी से आगे बढऩे में मदद करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, ताकि वे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के आने से बनने वाले अवसरों का लाभ उठा सकें। एआई का असर अच्छा भी हो सकता है अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की रिपोर्ट में कहा गया कि दुनियाभर की आधी नौकरियों पर एआई का गलत असर पड़ेगा। बाकी बची आधी नौकरियों पर इसके अच्छे प्रभाव देखने को मिल सकते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का खतरा उन देशों में सबसे ज्यादा होगा, जहां हाई स्किल्ड जॉब की डिमांड होगी। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष चीफ जॉर्जीवा ने कहा कि एक तरफ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के आने से आपकी नौकरी पूरी तरह से खत्म हो सकती है, दूसरी तरफ नौकरियां बढ़ा सकती हैं। नौकरी के अवसर बढ़ेंगे तो आपकी प्रोडक्टिविटी भी बढ़ेगी। इससे इनकम, लिविंग स्टैंडर्ड भी बढ़ेगा। इसका सीधा असर देश की अर्थव्यवस्था पर होगा।

Gaurav

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