नई दिल्ली । साल 2011 में आर्मी पर्चेज ऑर्गेनाइजेशन यानी एपीओ की तरफ से 1200 टन राजमा के लिए टेंडर जारी किया गया था। रक्षा सेवाओं को यह आपूर्ति 4.44 करोड़ रुपये में की जानी थी। इसका कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने वाले केंद्रीय भंडार ने 44.5 लाख रुपये की बैंक गारंटी दी थी। बाद में राजमा की क्वालिटी पर सवाल उठे और एपीओ यानी आर्मी पर्चेज ऑर्गनाइजेशन की तरफ से कॉन्ट्रैक्ट को रद्द कर दिया गया।
इसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने इस मामले की सुनवाई की। रक्षा मंत्रालय की ओर से एटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने अपना पक्ष रखा। कोर्ट ने एटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी से कहा कि यहां कॉन्ट्रैक्ट का उल्लंघन हुआ है और एपीओ को यह साबित करना होगा कि खुले बाजार से राजमा खरीदने के चलते उसे नुकसान हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा आपको यह बताना होगा कि आपको कितना नुकसान हुआ है। ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट दोनों ने ही अवॉर्ड को बरकरार रखा है। अब इस मामले में हमें दखल क्यों देना चाहिए। दरअसल कोर्ट ने एपीओ को केंद्रीय भंडार को बैंक गारंटी की रकम 7.5 फीसदी ब्याज दर के साथ लौटाने के आदेश दिए गए थे।
दरअसल, यह कॉन्ट्रैक्ट साल जनवरी 2012 में रद्द किया गया था। जब तक दोनों के बीच यह कॉन्टैक्ट रद्द होता, तब तक केंद्रीय भंडार रक्षा मंत्रालय को 310 टन राजमा की सप्लाई कर चुका था। साथ ही केंद्रीय भंडार की तरफ से दी गई गारंटी को भी निकाल लिया गया। इसके बाद जब केंद्रीय भंडार की ओर से गारंटी की रकम वापस मांगी गई, तब आर्मी पर्चेज ऑर्गनाइजेशन ने तर्क दिया कि उन्हें खुले बाजार से राजमा खरीदना पड़ा था। वहीं, इसी मामले में बनाए गए मध्यस्थ ने पाया था कि इस बात के कोई सबूत नहीं हैं कि आर्मी पर्चेज ऑर्गनाइजेशन ने केंद्रीय भंडार की तरफ से दी गई कीमत से अधिक महंगे दाम पर बाजार से राजमे की खरीद की थी।
‘राजमा’ को लेकर जारी सेना और केंद्रीय भंडार के बीच कानूनी जंग पर सुप्रीम कोर्ट ने विराम लगा दिया है, क्योंकि रक्षा मंत्रालय केंद्रीय भंडार से सेना के लिए राजमा की आपूर्ति को लेकर जारी कानूनी जंग हार गया है। रक्षा मंत्रालय केंद्रीय भंडार से सेना खरीद संगठन (एपीओ) को राजमा की कम आपूर्ति पर एक दशक पुरानी कानूनी लड़ाई हार गया, जिसे मध्यस्थ ने 2012 से 7.5% ब्याज के साथ केंद्रीय भंडार को 44.5 लाख रुपये की नकद बैंक गारंटी राशि वापस करने का निर्देश दिया था।यहां ध्यान देने वाली बात है कि रक्षा मंत्रालय और केंद्रीय भंडार के बीच राजमा को लेकर कानूनी जंग लंबे समय से जारी थी।
सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय बेंच ने दिल्ली हाईकोर्ट और ट्रायल को कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा है, जिसमें गारंटी की राशि को वापस लौटाने के लिए कहा गया था। साल 2011 में आर्मी पर्चेज ऑर्गेनाइजेशन यानी एपीओ की तरफ से 1200 टन राजमा के लिए टेंडर जारी किया गया था। रक्षा सेवाओं को यह आपूर्ति 4.44 करोड़ रुपये में की जानी थी। इसका कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने वाले केंद्रीय भंडार ने 44.5 लाख रुपये की बैंक गारंटी दी थी। बाद में राजमा की क्वालिटी पर सवाल उठे और एपीओ यानी आर्मी पर्चेज ऑर्गनाइजेशन की तरफ से कॉन्ट्रैक्ट को रद्द कर दिया गया।
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