– मौजूदा साल में इन फैसलों पर रहेगी सभी की नजर
नई दिल्ली। साल 2023 विदा हो चुका है और अब साल 2024 में सुप्रीम कोर्ट में ऐतिहासिक फैसले जो सुनवाई के लिए लगे हैं उन पर सभी की नजरें रहने वाली हैं| असल में ऐसा नहीं की 2023 में ही सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसले लिए हैं। बल्कि सुप्रीम कोर्ट अब भी कई ऐतिहासिक मामलों पर अपना फैसला सुनाएगी।
इस सूची में अडानी हिंडनबर्ग मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस दौरान याचिकाकर्ता द्वारा सेबी की जांच और जानकार कमिटी के सदस्यों की निष्पक्षता पर उठाए गए सवालों को नकार दिया था और कहा कि इसतरह के आरोप अनफेयर है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसा कोई तथ्य नहीं है जिससे कि सेबी पर संदेह किया जाए। हम बिना ठोस आधार के सेबी पर अविश्वास नहीं कर सकते। अब फैसला आना है।
अविवाहिता को सेरोगेसी का हक
सिंगल अविवाहित महिला को सरोगेसी का लाभ मिलेगा? इस संवैधानिक सवाल का सुप्रीम कोर्ट ने परीक्षण का फैसला किया है। सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका पर सुनवाई का फैसला किया है जिसमें कहा गया है कि सरोगेसी कानून के उस प्रावधान को खारिज किया जाए जो सिंगल अविवाहित महिला को सरोगेसी के द्वारा बच्चे की इजाजत नहीं देता है। सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बी वी. नागरत्ना की बेंच ने केंद्र से याचिका पर जवाब दाखिल करने को कहा है।
इलेक्टोरल बॉण्ड पर होगा फैसला
इलेक्टोरल बॉण्ड को चुनौती वाली अर्जी पर सुनवाई के वाद सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की बेंच ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। मामले में फैसला आने वाला है। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा था कि ब्यौरा पेश करे कि बॉण्ड के जरिये राजनीतिक पार्टियों ने कितना फंड रिसीव किया। कोर्ट ने आयोग के प्रति इस बात को लेकर नाराजगी जाहिर की उसके पास अभी इस बारे में डेटा नहीं है।
ईडी के हकों पर रिव्यू पेटिशन
7 जुलाई 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था के ईडी को मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत गिरफ्तारी, संपत्ति जब्ती, कुर्की के साथ-साथ सर्च करने का अधिकार है। इस फैसले के खिलाफ रिव्यू पिटिशन दाखिल की गई थे। तीन जजों की बेंच के सामने केंद्र ने कहा कि उन्हें जबाव के लिए वक्त चाहिए। तब मामले की सुनवाई टालते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामला चीफ जस्टिस के सामने भेजा जाएगा और वह नई बेंच का गठन करें, नई बेंच सुनवाई करेगी।
मुफ्त चुनावी वादों को परखा जाएगा
मुक्त उपहार बांटने के खिलाफ दाखिल अर्जी पर जल्द सुनवाह की गुहार लगाई गई है। एक फैसले में कहा गया कि राजनीतिक पार्टी चुनावी घोषणपत्र में जो वादा करती है पर करप्ट प्रक्टिस नहीं है। मुफ्त उपहार देने का वादा करने वाले दलों की मान्यता को रद्द किया जाए।
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