अमरावती। भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ एकजुट हुए इंडिया गठबंधन में मुख्य रुप से दो मुद्दो को लेकर सहमति नहीं बन पा रही है। पहला मुद्दा सीट शेयरिंग को लेकर है और दूसरा पीएम के चेहरे को लेकर। इस पर सहमति बने इसके पहले राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार के एक बयान ने सियासी दलों में हलचल मचा दी है। पवार ने 1977 का उदाहरण देते हुए अपना रुख स्पष्ट कर दिया है। उन्होंने कहा है कि विपक्ष ने 1977 के आम चुनाव में मोरारजी देसाई को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित नहीं किया और सभी लोग चुनावी मैदान में उतर गए थे। राकांपा अध्यक्ष के इस बयान को लेकर अब उसके मायने निकाले जा रहे हैं।
यहां आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने भरोसा जताया कि अगले आम चुनाव के लिए ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस (इंडिया) एक व्यवहार्य विकल्प के रूप में उभरेगा। उन्होंने कहा, “1977 का लोकसभा चुनाव विपक्ष ने बिना प्रधानमंत्री पद का चेहरा पेश किए लड़ा था। चुनाव में विपक्ष की जीत के बाद मोरारजी देसाई को इस पद के लिए चुना गया। पवार ने कहा, “ राज्यों में हाल के विधानसभा चुनावों में खराब नतीजों के बावजूद हमें विश्वास है कि लोग ‘इंडिया गठबंधन को एक व्यवहार्य विकल्प के रूप में स्वीकार करेंगे। हम सभी एहतियात बरत रहे हैं। अभी तक सीट-बंटवारे पर कोई बातचीत नहीं हुई है, लेकिन सर्वसम्मति बनाने और मतभेदों को सुलझाने के लिए बातचीत शुरू हो गई है।”
मोरारजी देसाई पहले गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री थे। वह 1977 से 1979 के बीच प्रधानमंत्री रहे और जनता पार्टी की सरकार का नेतृत्व किया था। नागपुर में गुरुवार को कांग्रेस के स्थापना दिवस पर आयोजित हो रही रैली को लेकर पवार ने उम्मीद जताई कि कार्यक्रम के दौरान जो कुछ भी बोला जाएगा, उसका उद्देश्य विपक्षी गठबंधन के लिए अनुकूल आधार तैयार करना होगा। क्या मायावती के नेतृत्व वाली बहुजन समाज पार्टी को विपक्षी गुट में शामिल किया जाएगा? इस सवाल पर उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी (सपा) पहले से ही गठबंधन का हिस्सा है और ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया जाएगा जिससे अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली पार्टी को नुकसान हो।
जब उनसे प्रकाश आंबेडकर के नेतृत्व वाली वंचित बहुजन अघाड़ी (वीबीए) के बारे में पूछा गया, तो पवार ने कहा कि ‘इंडिया गठबंधन की पिछली बैठक के दौरान, उन्होंने कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे से आंबेडकर से बात करने और उनकी पार्टी से गठबंधन करने की कोशिश करने के लिए कहा था। राकांपा प्रमुख ने कहा, इसके बाद क्या हुआ, यह मुझे नहीं पता।” पवार ने केंद्र सरकार पर राजनीतिक विरोधियों को निशाना बनाने के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, हमें यकीन है कि लोकसभा चुनाव के बाद सरकार बदलेगी और फिर हम देखेंगे कि इस दुरुपयोग को कैसे रोका जा सकता है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि संसद से निलंबित सांसद सवाल पूछ रहे थे कि जब लोकसभा की कार्यवाही चल रही थी तो ‘घुसपैठिए अंदर कैसे आ गए? पवार ने कहा, “उनकी मांगें क्या थीं, उन्हें कौन लेकर आया और अगर उनकी मांगें जायज हैं तो उन पर गौर किया जाना चाहिए।”
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