इस्लामाबाद। बलूचिस्तान और सिंध में एक बार फिर बगावत शुरु हो गई है। यहां के लोग अपहरण और लोगों की हो रही मौतों से काफी नाराज है। बलूचिस्तान प्रांत में हजारों की संख्या में बलूच सड़क पर उतर गए हैं और पाकिस्तान सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि पाकिस्तानी सेना ने कई बलूच लोगों का पहले अपहरण किया फिर उनको इतना टॉर्चर किया कि उनकी मौत हो गई। सेना के टॉर्चर के बाद कई बलूचों की मौत के बाद पूरा प्रांत ही सड़क पर उतर आया है और इस्लामाबाद के अत्याचारों से तंग आकर संग्राम छेड़ दिया है। शुक्रवार को 1600 किलोमीटर लंबा मार्च निकाला गया था। इस दौरान पाकिस्तान की मौजूदा सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की गई। हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारियों ने पाकिस्तानी सेना के खिलाफ जहर उगला। बता दें कि पाकिस्तान में पिछले कई दशक से अलग बलूचिस्तान की मांग उठ रही है। बलूचिस्तान में रह रहे लोग पाकिस्तान से अलग की मांग करते रहे हैं। अब जब एक बार फिर से चिंगारी उठी है तो मुद्दा और गरमा गया है। बलूच नेताओं ने अंतरराष्ट्रीय नेताओं से भी मदद की मांग की है। बलूच नेताओं का कहना है कि वो पाकिस्तान में नहीं रहना चाहते हैं। वो किसी भी तरह से पाकिस्तान से मुक्ति चाहते हैं। बलूच नेताओं के इस गुस्से के पीछे कई और वजह भी हैं जिसे लेकर वो पाकिस्तान से अलग होने की डिमांड कर रहे हैं। पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग की ओर से 2019 में एक रिपोर्ट सामने आई थी, जिसके मुताबिक 47 हजार बलोच और 35 हजार पश्तून गायब हैं। 2022 में पैंक की सालाना रिपोर्ट में दावा है कि पाकिस्तान की आर्मी ने बलूचिस्तान में 195 लोगों की हत्या की जबकि 629 लोगों को गायब कर दिया गया। पैंक बलूच नेशनल मूवमेंट का मानवाधिकार विभाग है। बीते दो दशकों से, बलूचिस्तान हिंसक विद्रोह की चपेट में है। अरबों डॉलर के चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे की शुरुआत के बाद से प्रांत में उग्रवाद तेज हो गया। जिसमें वहां रहने वाले लोग पिस रहे हैं। पाकिस्तान के अंदर जारी इस विरोध प्रदर्शन पर वहां के लोग भी खुलकर बोलने लगे हैं। जानकारों का मानना है कि पाकिस्तान की समस्या सिर्फ बलूचिस्तान नहीं है बल्कि एक और अलग देश की मांग भी है। अब वहां सिंध प्रांत को भी अलग मुल्क घोषित करने की मांग तेज हो गई, इसके लिए लोग सड़क पर उतर आए हैं। पाकिस्तान पर सिंधी समुदाय पर जुल्म करने का आरोप है, नौकरी और अन्य सुविधाओं में भेदभाव का आरोप है सिंध की कई राष्ट्रवादी पार्टियां भी अलग मुल्क की मुहिम के साथ खड़ी हैं आज से नहीं, 1967 से पाकिस्तान में सिंधुदेश आंदोलन चल रहा है सिंध प्रांत को पाकिस्तान की अनाज की टोकरी कहते हैं।
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