नई दिल्ली। संसद सुरक्षा चूक मामले में एक तरफ विपक्ष आक्रामक रुख अपनाया हुआ है तो वहीं लोकसभा सचिवालय ने निलंबित किए गए सांसदों को लेकर एक सर्कुलर जारी किया है। यहां बुधवार को लोकसभा में तीन आपराधिक कानून संशोधन विधेयक ध्वनिमत से पारित कए गए हैं। इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता 2023 एवं भारतीय साक्ष्य (द्वितीय) विधेयक 2023 पर हुई चर्चा का जवाब दिया। अपने जवाब में गृह मंत्री शाह ने कहा कि मैंने तीनों विधेयकों का गहनता से अध्ययन किया है और इन्हें बनाने से पहले 158 परामर्श सत्रों में भाग लिया है। उन्होंने कहा कि सीआरपीसी में पहले 484 धाराएं थीं, अब इसमें 531 धाराएं होंगी। उन्होंने बतलाया कि 177 धाराओं में बदलाव किए गए हैं और इसमें 9 नई धाराओं को जोड़ा गया है। इनमें 39 नई उप-धाराएं जोड़ी गई हैं। इसके अतिरिक्त 44 नए प्रावधान जोड़े गए हैं। तीनों संशोधन विधेयकों पर सदन में हुई चर्चा और बहस के बाद धवनिमत से इन्हें पारित कर दिया गया। इन विधेयकों की विपक्ष ने आलोचना की है। ये तीनों विधेयक आईपीसी यानी भारतीय दंड संहिता, सीआरपीसी यानी दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेंगे। इस विधेयक में ट्रायल कोर्ट को अधिकतम तीन साल में अनिवार्य रूप से निर्णय पारित करने का प्रावधान किया गया है। ओवैसी ने विधेयकों की आलोचना हैदराबाद सांसद और एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इन विधेयकों की आलोचना करते हुए कहा है कि नए आपराधिक विधेयक लोगों की नागरिक स्वतंत्रता और अधिकारों के लिए खतरा हैं उन्होंने कहा कि ये विधेयक पुलिस को किसी के भी खिलाफ कार्रवाई करने की व्यापक शक्तियां प्रदान करते हैं। राजद्रोह की जगह देशद्रोह सदन में हुई चर्चा का जवाब देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों के बारे में अब प्रत्येक पुलिस थाने में विवरण दर्ज किया जाएगा। इसके साथ ही एक नामित पुलिस अधिकारी को इनका रिकॉर्ड बनाने के लिए जिम्मेदार बनाया जाएगा। गृहमंत्री शाह ने कहा कि हम राजद्रोह की जगह देशद्रोह लेकर आए हैं। आईपीसी ने राजद्रोह को परिभाषित करते हुए सरकार के खिलाफ कार्य निरुपित किया था, लेकिन बीएनएस प्रावधान उन लोगों के लिए है, जो देश की संप्रभुता, सुरक्षा प्रहार करते हैं या उसे प्रभावित करते हैं। गृहमंत्री शाह ने कहा कि सरकार की आलोचना की जा सकती है, सरकार की आलोचना करने पर जेल नहीं होगी, लेकिन कोई भी देश के ख़िलाफ़ नहीं बोल सकता।
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