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नेहरू की गलती से बना PoK, वर्ना भारत का होता हिस्सा : शाह

लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह का बयान

-लोगों को खटक गया 370 का हटना
-गरीब के घर पैदा हुए और बने प्रधानमंत्री इसलिए गरीबों का दर्द जानते हैं मोदी
नई दिल्ली । लोकसभा में बुधवार को गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 को हटाया जाना कुछ लोगों को खटक गया है। उन्होंने पेश करने के बाद चर्चा की गई बिलों के संबंध में कहा कि जम्मू-कश्मीर आरक्षण संशोधन अधिनियम और जम्मू कश्मीर पुनर्गठन संशोधन विधेयक सत्तर वर्षों से अपमानित और अन्याय सहने वालों को न्याय दिलाने का​बिल है।
सदन में गृह मंत्री शाह ने कहा, कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 को हटाना कुछ लोगों को खासा खटक गया है। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर आरक्षण संशोधन अधिनियम 2023 और जम्मू कश्मीर पुनर्गठन संशोधन विधेयक 2023 सत्तर वर्षों से जो अपमानित हुए, जिन पर अन्याय हुआ और जिनकी अनदेखी की गई उनको न्याय दिलाने वाला बिल है। इसके साथ शाह ने देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु का जिक्र करते हुए कहा, कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) की समस्या पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की वजह से उत्पन्न हुई। पूरा कश्मीर भारत में मिलाए बिना ही सीजफायर कर लिया था वर्ना वह हिस्सा भी कश्मीर का हिस्सा होता।
बिल के साथ सम्मान जुड़ा
गृह मंत्री शाह ने कहा कि बिल के नाम के साथ सम्मान जुड़ा है, इसे वही लोग देख पा रहे हैं, जो अपने से पीछे रह गए लोगों की अंगुली पकड़कर संवेदना के साथ उन्हें आगे बढ़ाना चाह रहे हैं। इसे वो लोग नहीं समझ सकते, जो इसका उपयोग वोटबैंक की खातिर करते हैं। उन्होंने कहा कि नरेन्द्र मोदी ऐसे नेता हैं, जो गरीब के घर में पैदा हुए और देश के प्रधानमंत्री बने, वो पिछड़ों और गरीबों का दर्द भलिभांति जानते हैं। वहीं शाह ने विरोधियों को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि 370 हटाने से कश्मीर में खून की नदियां बह जाएंगी, खून की नदियां तो छोड़ो, किसी की पत्थर चलाने तक की हिम्मत नहीं हुई। उन्होंने कहा कि एक देश का एक ही निशान और एक ही झंडा होना चाहिए।
कश्मीरी पंडितों का दर्द छलका
गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में कहा कि 1980 के दशक के बाद आतंकवाद का जो दौर आया वह बड़ा भयावह था| जो लोग इस जमीन को अपना देश समझकर रह रहे थे, उन्हें बाहर निकाल दिया गया। किसी ने भी उनकी परवाह नहीं की| जिन लोगों पर इसे रोकने की जिम्मेदारी थी, वे इंग्लैंड में छुट्टियॉं मना रहे थे।जब कश्मीर से कश्मीरी पंडितों को विस्थापित किया गया, तो वो सब अपने ही देश में शरणार्थी के तौर पर रहने को मजबूर हो गए| उन्होंने कहा कि वर्तमान आंकड़ों के मुताबिक करीब 46,631 परिवार और 1,57,968 लोग अपने ही देश में विस्थापित हो गए। यह विधेयक उन्हें अधिकार दिलाने के लिए है, यह विधेयक उन्हें प्रतिनिधित्व प्रदान करने के लिए है।
शाह ने जब चौधरी की चुनौती स्वीकार की
लोकसभा में चर्चा के दौरान एक समय ऐसा भी आया जबकि कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने सरकार को कश्मीर मामले में बहस की चुनौती दे दी। इस पर गृह मंत्री शाह ने समय नहीं लगाया और बोले सरकार को यह चुनौती स्वीकार है, अभी बहस को तैयार हैं। दरअसल सांसद अधीर रंजन ने कहा कि मैं चुनौती देता हूं कि एक तारीख तय कर ली जाए और कश्मीर मामले पर नेहरू के योगदान पर बहस हो जाए| इस पर गृह मंत्री शाह ने बगैर वक्त गवाए जवाब देते हुए कहा, कि सरकार को यह चुनौती स्वीकार है और अभी बहस को तैयार है
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Gaurav

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