– खापा ओपन केप में भंडारित 39.898 टन धान हो गई खराब
बालाघाट । बालाघाट जिला सर्वाधिक धान उत्पादक जिला है। जहां समर्थन मूल्य पर धान खरीदी जाती है गत वर्ष लगभग 4.5 अरब रूपयों की धान जिसकी मात्रा 40 लाख मैट्रिक टन के आसपास थी खरीदी गई। लेकिन जिले में समर्थन मूल्य पर उपार्जित कर रखी गई धान के रख-रखाव में गड़बड़ी और चोरी पर एफआईआर की गई है। 13 करोड़ से ज्यादा धान के गायब और खराब हो जाने की जानकारी मिलने के बाद नॉन प्रबंधक रमेश पटले ने गो ग्रीन कंपनी के खिलाफ केस दर्ज कराया है। इसमें पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच में लिया है।
जिले में प्रतिवर्ष करोडों रूपयों की धान ऐसे ही लापरवाही के चलते बर्बाद की जा रही है। ऐसे ही एक मामले में जांच के पश्चात 13 करोड़ रूपये की धान की रखरखाव में लापरवाही किये जाने के मामले में धान भंडारन करने वाली कंपनी गो ग्रीन के डायरेक्टर संतोष साहू, नवरंगपुरा अहमदाबाद एवं स्टेट हेड सौरभ मालवीय, कंपनी के सलाहकार अखिलेश बिसेन के खिलाफ स्टेट वेयर हाउसिंग लाजिस्टिक कारपोरेशन बालाघाट के जिला प्रबंधक रमेश पटले की शिकायत पर एफआईआर दर्ज की गई। यह उल्लेखनीय है की आरोपित कंपनी को पहले ही ब्लैक लिस्टेट किया जा चुका है।
अधिकारिक सूत्रों के अनुसार बालाघाट में वर्ष 2021-22 में उपार्जित धान के भंडार का अनुबंध गो ग्रीन कंपनी द्वारा वारासिवनी के डोगरिया, खापा, भंडारा, चिकमारा, मोहाडी, वारा, पालडोंगरी और नंदलेसारा में स्थित ओपन कैप में किया गया था लेकिन कंपनी द्वारा खुले आसमान के नीचे ओपन कैप में रखी गई धान को फटी त्रिपाल से ढक़ दिया गया जिसके कारण बारिश और कड़ी धूप में धान खराब हो गई।
धान स्टाक में 6632.48 क्विंटल की कमी
सुरक्षा के प्रबंध ना किए जाने के कारण हजारों क्विंटल धान की चोरी भी की गई। धान स्टाक में 6632.48 क्विंटल की कमी पाई गई जिसकी कीमत 12.886 करोड रूपए बताई गई है। रखरखाव में लापरवाही बरतने के कारण 39.898 टन धान खराब हो गई। जिसके कारण 0.077 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। इसके लिये अनुबंधित फर्म को जिम्मेदार मानते हुए उससे वसूली की कार्यवाही प्रस्तावित की गई है। वारासिवनी थाना प्रभारी शंकरसिंह चौहान की माने तो यह धान के रखरखाव और स्कंध की अफरातफरी मामले में केस दर्ज किया है। फर्म पर नॉन प्रबंधक रमेश पटले ने अहमदाबाद की इस कंपनी के खिलाफ पुलिस में एफआईआर दर्ज करने की शिकायत की थी। विभाग ने पाया था कि जिले में सरकार द्वारा समर्थन मूल्य पर खरीदी गई धान की, सुरक्षा के लिए कंपनी को अधिकृत किया गया था। इसकी लापरवाही से करीब 13 करोड़ का सरकार को नुकसान पहुंचा था।