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रुस और ईरान में बने हथियारों से Hamas ने इजराइल में खेला खूनी खेल

विशेषज्ञों का कहना हमास के पास हथियारों का बहुत बड़ा जखीरा

गाजा पट्टी। इजरायल डिफेंस फोर्सेज (आईडीएफ) की ओर से गाजा पट्टी में हमास के ठिकानों पर जमकर हमले हो रहे हैं। विशेषज्ञों की मानें तब हमास ने जो भी खून खराबा किया है वह भारी मात्रा में हथियारों के बिना संभव नहीं था। रिपोर्ट में खुलासा हुआ हैं कि हमास के पास रूस में बनी एके-47 से लेकर थर्मोबेरिक ग्रेनेड से लेकर और दो एंटी-एयरक्राफ्ट लॉन्‍चर्स तक मौजूद हैं। संगठन के पास हथियारों के जखीरे को देखकर ही कोई अंदाजा लगा सकता है कि यह किस हद तक तबाही फैला सकता है।
ब्रिटिश अखबार ने जानकारी दी है कि जिन आतंकियों ने इस हमले को अंजाम दिया, आईडीएफ ने उनका खात्‍मा कर दिया। आतंकियों को खत्‍म करने के बाद इजरायल की सेना के हाथ कई हथियार लगे थे। इन हथियारों में घरेलू रॉकेट, अपग्रेडेड एके-47 और सोवियत मशीन गन के अलावा कई सस्ते, नए और चोरी किए हुए हथियार तक शामिल थे। कई इसतरह के एडवांस्‍ड हथियार थे जिनकी सप्‍लाई ईरान ने की तब कुछ हथियार थे, जिनका निर्माण उत्तर कोरिया में किया गया। विशेषज्ञों का कहना है कि हमास के पास मौजूद हथियारों का जखीरा यह बताने के लिए काफी है कि आतंकी समूह लंबे समय से इजरायल पर एक बड़े हमले की साजिश में लगा हुआ था।
सोवियत दौर में निर्मित 7.62 मिमी कैलिबर वाली एके-47 असॉल्ट राइफल हमास का सबसे पसंदीदा हथियार है। आतंकी इसकी मदद से कई राउंड तक गोलियों की बौछार करते रहे। इन्हें हासिल करना आसान है। इनमें से कुछ पुरानी राइफल्‍स हैं, तब कुछ ऐसी है जिन्‍हें सन 1980 के दशक के सोवियत-अफगान युद्ध के दौरान छोड़ दिया गया था। बाकी सन 2010 के दशक में चीन, इराक या लीबिया से लाए गए मालूम पड़ते हैं। इसके अलावा एसवीडी ड्रैगुनोव ग्रू सेमी-ऑटोमैटिक 7.62 मिमी-कैलिबर स्नाइपर राइफल का प्रयोग भी हमास के आतंकी 20 किमी दूर से हमला करने के लिए प्रयोग करते हैं। यह पारंपरिक राइफलों की तुलना में बहुत हल्की है और ऑटोमैटिक लोड हो सकती है। इसलिए ये आतंकियों की पसंदीदा है।
हमास के ट्रक भारी मशीन गन एम2 ब्राउनिंग एचएमजी से लैस हैं। यह पैदल सेना, हल्के बख्तरबंद वाहनों और कम उड़ान वाले विमानों को आसानी से निशाना बना सकते हैं। हमास के पास कई ग्रेनेड्स हैं जिन्‍हें कई अलग-अलग स्थितियों में प्रयोग किया जाता है। इनमें एंटी-कार्मिक फ्रैग ग्रेनेड भी शामिल हैं जो आमतौर पर धातु के टुकड़ों से भरे होते हैं। हरे प्लास्टिक से ढके और चौड़े शंख के आकार वाले धुएं वाले ग्रेनेड का प्रयोग फाइटर जेट्स की गतिविधियों का पता लगाने के लिए किया जाता है।
हमास ने इजरायल पर अपने चौतरफा हमले के पहले दिन में 5000 रॉकेट से अटैक किया था। हमास हमेशा से रॉकेट्स पर निर्भर रहा है। उसके पास कई खतरनाक रॉकेट्स हैं। नौ किलो वाला आरपीजी-7 रॉकेट-प्रोपेल्ड ग्रेनेड लॉन्चर आतंकवादियों का फेवरिट है। यह काफी सस्ता और उपयोग में आसान है। सोवियत संघ का बना यह हथियार आतंकियों के कंधे पर रहता है और एक ट्यूब से रॉकेट दागता है। यह रॉकेट आसानी से 200 से 700 मीटर की दूरी पर मौजूद इजरायली टैंकों को आसानी से तबाह कर सकता है।
Gaurav

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