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जब बच्चों का सूरत-ए-हाल खराब है, तो शिवराज को ‘मामा’ कहलाने को कोई हक नहीं : रागिनी नायक

कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता ने शिवराज सरकार पर जमकर हमला बोला…

कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता रागिनी नायक ने शिवराज सिंह सरकार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि जब मध्यप्रदेश के बच्चों का सूरत-ए-हाल खराब है। तो शिवराज सिंह चौहान को ‘मामा’ कहलाने को कोई हक नहीं, लेश मात्र भी अधिकार नहीं। ये तो शिवराज ने स्वयं कहा कि ‘कुपोषण’ उनके माथे का कलंक है। मैं उन्हें याद दिलाना चाहती हूँ कि बच्चों के खिलाफ़ अपराध में 337% का उछाल भी उनके माथे का कलंक है, सबसे ज़्यादा शिशु मृत्यु दर भी उनके माथे का कलंक है, 7 लाख से ज़्यादा बाल मजदूर भी उनके माथे का कलंक है, हर तीन घंटे में 1 नाबालिग बच्ची का यौन शोषण भी उनके माथे का कलंक है, छोटी-छोटी बच्चियों के अपहरण और देह का बाज़ार भी उनके माथे का कलंक है और जब कोई इतना कलंकित हों ना शिवराज जी तो माथा ही नहीं पूरा मुंह काला हो जाता है।

रागिनी नायक ने शुक्रवार को प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि NCRB के आंकड़े देखें तो बच्चों के खिलाफ़ अपराध में शिवराज सिंह के कार्यकाल के दौरान 337% का उछाल आया है। 2011 में जहां 4,383 बच्चों के खिलाफ अपराध के मामले मध्यप्रदेश में दर्ज हुए, वो 2021 में बढ़ कर 19,173 हो गए। 2021 में यौन शोषण, अपहरण, हत्या जैसे 52 जघन्य अपराध बच्चों पर रोज हुए हैं। यही नहीं POCSO के अंतर्गत केस register होने के मामले में मध्यप्रदेश पूरे देश में 3 नंबर पर है। 2009-2015 के बीच मध्यप्रदेश में 1 करोड़ 10 लाख बच्चे कुपोषित पाए गए। श्योपुर जिले में 116 बच्चों की कुपोषण से मौत हुई और कई अखबारों ने लिखा कि श्योपुर का इथोपिया है। उस समय ही चुल्लू भर पानी दिया जाना चाहिए था शिवराज सिंह को। रागिनी नायक ने कहा कि अर्चना चिटनिस के विधानसभा में दिए गए जवाब के अनुसार जनवरी 2016 से 2018 तक करीब 57,000 बच्चों ने कुपोषण से दम तोड़ा।

नेता विपक्ष गोविंद सिंह द्वारा विधानसभा में पूछे गए सवाल के जवाब में शिवराज सिंह ने खुद बताया कि इसी साल जनवरी से मार्च तक मध्यप्रदेश में 78,000 बच्चे कुपोषित पाए गए। पोषण ट्रैकर की रिपोर्ट का जिक्र तो मैं कई बार कर चुकी हूं, जिसके अनुसार 6 वर्ष तक की आयु के 66 लाख बच्चों में से 51% बच्चे कुपोषण के कारण बौने हैं। नायक ने कहा कि ये पिछले साल अगस्त 2022 की बात है, जब राष्ट्रीय बाल आयोग ने श्रम विभाग और कुछ NGO की मदद से मध्यप्रदेश में बाल श्रमिकों की संख्या का आंकलन किया। चौंका देने वाले तथ्य सामने आए। हमारे प्रदेश के 7 लाख 239 बच्चे बाल मजदूरी के अंधकार में झोंके जा चुके हैं। भोपाल की बात करें तो यहां 19,000 बाल मजदूर पिछले साल तक थे, अब तो संख्या और बढ़ गयी होगी। ये आंकड़ा कोरोना काल में 21 लाख तक पहुंच गया था। और सबसे दुर्भाग्य की बात ये है कि ‘मामा’ जी का प्रशासन केवल 150 बच्चों को बाल मजदूरी से मुक्त करा पाया।

नायक ने कहा कि बच्चियों के अपहरण- खरीद-फरोख्त मध्यप्रदेश महिलाओं-बच्चियों के अपहरण और जिस्म-फरोशी के मामले में भी अव्वल नंबर पर है। कुछ दिन पहले की प्रेस वार्ता में मैंने भोपाल में ही कन्या पूजन के बहाने से दों बहनों को अगवा करने की वारदात के खिलाफ आवाज उठाई थी। आज के दो बड़े अखबार उठा कर देखें तो पता चलेगा कि छोटी-छोटी बच्चियों की कैसे दुर्दशा की जाती है। प्रदेश के एक लिडिंग अखबार ने छापा है कि कितनी आसानी से अपराधी चूना भट्टी, न्यू मार्केट, 10 नंबर मार्केट में वारदात को अंजाम देने के लिए रेकी कर रहे थे। किस तरह मध्यप्रदेश को इस गिरोह ने अपराध का केन्द्र बनाया और देश भर में बच्चियां Supply करते थे। बच्चों की प्रताड़ना के वीडियो तक पाए गए हैं। बच्ची चोर, बच्चियों की तुलना कुत्ते बेचने से कर रही थी और ये सब हो रहा था ‘मामा’ जी के निवास से कुछ किलो मीटर की दूरी पर।

Gaurav

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