मुख्यमंत्री ने विंध्य क्षेत्र से आये आचार्यगणों को किया संबोधित
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि रीवा में रामानुजाचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना की जाएगी। साथ ही संस्कृत विद्यालयों में कर्मकाण्ड की शिक्षा प्राप्त कर रहे विद्यार्थियों के लिए छात्रवृत्ति की व्यवस्था भी की जायेगी। मुख्यमंत्री चौहान विंध्य क्षेत्र से आये आचार्यगणों को निवास कार्यालय में संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर जनसम्पर्क मंत्री राजेंद्र शुक्ल, जगदगुरू वैदेही वल्लभ देवाचार्य, मानस पीठाधीश्वर जगदगुरू रामललाचार्य जी तथा विनय शंकर ब्रह्मचारी जी विशेष रूप से उपस्थित थे। मुख्यमंत्री चौहान ने केन्द्रीय विश्वविद्यालय नई दिल्ली के प्रो. देवेंद्र प्रसार मिश्र की पुस्तक “यजुर्वेद में वैश्विक चिंतन तथा नंदकुमार चरितम्” महाकाव्य का विमोचन भी किया।
संस्कृत व संस्कृति का सम्मान हमारा कर्तव्य है
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि प्रभु राम की कृपा से ही संतों का साथ मिलता है। आज मुख्यमंत्री निवास पधारे आचार्यगण के सानिध्य से मन आनंद से भरा है। राज्य शासन विकास और जनकल्याण के कार्य तो करता ही है पर इसके साथ ही प्रदेशवासियों का जीवन सही दिशा में चले इसकी चिंता करना भी सरकार का दायित्व है। इस दायित्व निर्वहन में आचार्यगण महत्वपूर्ण सहयोगी हैं। प्रदेश में महाकाल महालोक का निर्माण, आदि गुरू शंकराचार्य की प्रतिमा की स्थापना से प्रदेश में अद्भुत अलौकिक वातावरण निर्मित हुआ है। वसुधैव कुटुमबकम् और सभी प्राणियों में सद्भाव के विस्तार के लिए राज्य सरकार निरंतर प्रयासरत है। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि संस्कृत व संस्कृति का सम्मान तथा उन्हें निरंतर प्रोत्साहित करना हमारा कर्तव्य है।
विंध्य क्षेत्र ने संस्कृत को संरक्षण और प्रोत्साहन प्रदान किया : जनसम्पर्क मंत्री शुक्ल
जनसम्पर्क मंत्री शुक्ल ने कहा कि जब संस्कृत, संक्रमण के दौर से गुजर रही थी तब विंध्य क्षेत्र ने संस्कृत को संरक्षण और प्रोत्साहन प्रदान किया। रीवा में संस्कृत परिषद के लोग क्षेत्र में संस्कृत पर केंद्रित संस्थान स्थापित करने के लिए लगातार सक्रिय रहे। मुख्यमंत्री चौहान की पहल पर संस्कृत के संरक्षण के हुए कार्य अद्भुत हैं। विंध्य क्षेत्र में संस्कृत को समर्पित विश्वविद्यालय की स्थापना से क्षेत्र में उत्साह का वातावरण है।
कार्यक्रम में डॉ. अंजनी प्रसाद पाण्डेय, पं. रामायण प्रसाद तिवारी, डॉ. रामरंगीले द्विवेदी, डॉ. प्रभाकर शंकर चतुर्वेदी, योगेन्द्र द्विवेदी, डॉ. प्रेमलाल पाण्डेय, डॉ. कृष्णकुमार पाण्डेय, रामबिहारी शर्मा, गणेश प्रसाद द्विवेदी, डॉ. रामगोविन्द द्विवेदी, डॉ. सत्यजीत पाण्डेय, डॉ. नर्मदा प्रसाद शर्मा, डॉ. बाबूलाल त्रिपाठी, डॉ. राजीव लोचन त्रिपाठी, अंजनी शास्त्री, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद चतुर्वेदी, माण्डवी शरण त्रिपाठी, कीर्ति कुमार त्रिपाठी, आकाश मिश्रा, डॉ. दीनानाथ सन्तोष कुमार त्रिपाठी, डॉ. नीरज शर्मा, अरूण मिश्रा, कौशलेश मिश्रा, अखिलेश शुक्ला, डॉ. पंकज मिश्रा, विद्यावारिध तिवारी, अमिताभ मिश्रा, सतीश सिंह, डॉ. धनेन्द्र प्रसाद द्विवेदी, डॉ. प्रवीण शर्मा, आचार्य गंगाधर, आचार्य विनय त्रिपाठी, राजीवन शुक्ल, आचार्य प्रशान्त शुक्ल तथा सोम कार्तिक तिवारी उपस्थित थे।