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Tomar -Scindia में अपनों के लिए तनातनी ; 50 विधायकों के टिकिट पर चलेगी तलवार

मध्य प्रदेश में भाजपा इस बार अपने दम पर पूर्ण बहुमत हासिल कर फिर से सरकार बनाने का लक्ष्य लेकर चुनाव मैदान में उतरी है। हालांकि 2018 की गलतियों से सबक लेते हुए भाजपा ने इस बार अपनी रणनीति में व्यापक बदलाव किया है। जिसके चलते जहां इस बार हारी सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा पहले की जा रही है वहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के अलावा अन्य दिग्गज नेताओं को भी चुनाव प्रचार अभियान में आगे रखा है। लेकिन इन सब कवायद के बीच खबर आ रही है कि टिकट बंटवारे को लेकर केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच अनबन हो गई है। वहीं एंटी इनकम्बेंसी के माहौल को कमजोर करने के लिए भाजपा संगठन ने 50 से अधिक विधायकों का टिकट काटने की भी तैयारी कर ली है। उनकी जगह भाजपा युवा और नए चेहरों को मौका दे सकती है। ताकि सत्ता विरोधी लहर को मात दी जा सके। हालांकि, टिकट कटने वाले नेताओं की फेहरिस्त में कुछ ऐसे विधायक भी शामिल हैं, जिनकी उम्र 75 पार हो चुकी है।

अपने मेगाप्लान के तहत पार्टी ने 2018 में हारी हुई सीटों में से 39 पर उम्मीदवारों की घोषणा पहले कर दी है। वहीं शेष 64 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा बहुत जल्द कर दी जाएगी। इसको लेकर मुख्यमंत्री की शीर्ष नेतृत्व के साथ पार्टी उम्मीदवारों की दूसरी फेहरिस्त पर चर्चा भी हो चुकी है। गौरतलब है कि पार्टी ने राज्य के एक-एक विधानसभा सीट पर जीत हार के समीकरण को लेकर और वर्तमान विधायकों की सक्रियता, लोकप्रियता, उम्र, जनाधार और जीतने की क्षमता को लेकर कई स्तरों पर व्यापक और बड़े पैमाने पर सर्वे करवाए हैं। पार्टी ने दूसरे राज्यों के विधायकों से हर विधानसभा सीट की ग्राउंड लेवल की जानकारी जुटाई है। इस आधार पर पार्टी ने अपने वर्तमान विधायकों को बड़े पैमाने पर बदलने का फैसला किया है।

नारायण, इमरती के टिकट लगभग तय

भाजपा सूत्रों का कहना है कि 2018 में हारी सीटों के लिए दो दौर की चर्चा के बाद ग्वालियर दक्षिण से पूर्व मंत्री नारायण सिंह कुशवाहा, बुरहानपुर से अर्चना चिटनीस, बैतूल से हेमंत खंडेलवाल, डबरा से इमरती देवी और दमोह से पूर्व मंत्री जयंत मलैया के बेटे सिद्धार्थ के नामों पर सहमति बन गई है। वहीं ग्वालियर पूर्व से देवेन्द्र प्रताप सिंह तोमर और समीक्षा गुप्ता के नामों पर चर्चा चल रही है। सहमति नहीं बनी, तो तीसरा नाम भी आ सकता है। मुरैना सीट से रघुराज सिंह कंसाना, करैरा से जसमंत जाटव छितरी व दिमनी से गिर्राज दंडोतिया और शिवमंगल सिंह तोमर के नामों पर असमंजस है। भिण्ड जिले की भिण्ड सीट पर वर्तमान विधायक संजीव सिंह कुशवाह और पूर्व विधायक नरेन्द्र सिंह कुशवाह के बीच रस्साकसी है। कमोबेश यही स्थिति जिले की लहार विधानसभा सीट पर है। यहां पूर्व विधायक रसाल सिंह और बसपा से भाजपा में आए अम्बरीश शर्मा के मध्य टिकट को लेकर शह और मात का खेल चल रहा है। इसको रोचक बनाने के लिए पूर्व विधायक मथुरा प्रसाद महंत के बेटे रोमेश महंत का नाम केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने आगे बढ़ाया है। ज्योतिरादित्य सिंधिया खेमा सहमत हुआ, तो इनके नाम बदले भी जा सकते हैं। जबलपुर पश्चिम में अभिलाष पांडे व प्रभात साहू में से एक नाम हो सकता है। जबलपुर उत्तर में पूर्व मंत्री शरद जैन ने बेटे रोहित जैन के लिए टिकट मांगा है। यहां धीरज पटेरिया का नाम प्रमुख रूप से सामने आया है। बैतूल जिले की घोड़ाडोंगरी सीट पर मंगल सिंह और गंगाबाई उइके (पूर्व विधायक स्व. सज्जन सिंह उइके की पत्नी) का नाम है। छिंदवाड़ा सीट पर जिलाध्यक्ष बंटी साहू का नाम तय है। उधर, भोपाल दक्षिण-पश्चिम, विदिशा व रायसेन की उदयपुरा सीट को लेकर एक दौर की चर्चा बाकी है। भोपाल दक्षिण-पश्चिम में पूर्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता बड़े दावेदार हैं। पार्टी नए चेहरे की संभावना भी टटोल रही है। मैहर से भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी की सीट को भी हारी हुई में रखा गया है। लेकिन त्रिपाठी के नाम पर अभी आम राय नहीं बनी है। दिल्ली स्तर से निर्णय होगा। सीधी की सिंहावल सीट पर कांग्रेस के पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल के सामने भाजपा, सांसद रीति पाठक को ला सकती है।

सांसदों पर भी दांव लगाएगी भाजपा

बताया जा रहा है कि भाजपा इस बार कई सांसदों को भी विधानसभा चुनाव में उतारने की तैयारी में है। मध्य प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों पर भाजपा के चुनावी सर्वेक्षण का काम करीब-करीब पूरा हो चुका है। बताया जा रहा है कि भाजपा उन सीटों पर विशेष ध्यान दे रही है जो इस समय पार्टी के कब्जे में हैं। ऐसी 127 सीटें हैं। इन सीटों पर पार्टी खास सर्वे करा रही है। भाजपा सूत्रों की मानें तो पार्टी मप्र में भी गुजरात का फार्मूला अपना सकती है। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा करीब 55 तक विधायकों का टिकट काट सकती है। ये संख्या करीब 50 फीसदी तक हो सकती है यानि 60 से अधिक विधायकों का टिकट भी कट सकता है। अगर ऐसा होता है, तो पहली बार होगा, जब किसी पार्टी ने इतनी बड़ी संख्या में अपने मौजूदा विधायकों के टिकट काटे हों। सूबे में इतनी बड़ी संख्या में कभी भी मौजूदा विधायकों के टिकट नहीं काटे गए। बताया जाता है कि भाजपा विधानसभा चुनाव में 40 फीसदी से अधिक अपेक्षाकृत युवा और नए चेहरों को मैदान में उतारने की तैयारी में है। ।

युवाओं को तरजीह

सूत्रों के मुताबिक, पार्टी इस बार अपने 50 से 55 वर्तमान विधायकों का टिकट काट कर उनकी जगह युवा और नए चेहरे को चुनावी मैदान में उतारने की कवायद कर रही है ताकि सत्ता विरोधी लहर को मात देकर उन सीटों पर फिर से जीत हासिल की जा सके। हालांकि, टिकट कटने वाले नेताओं की फेहरिस्त में कुछ ऐसे विधायक भी शामिल हैं, जिनकी उम्र 75 पार हो चुकी है। आपको बता दें कि, 2018 के पिछले विधान सभा चुनाव में भाजपा को कांग्रेस से थोड़ा ज्यादा वोट हासिल होने के बावजूद राज्य में सिर्फ 109 सीटों पर ही जीत हासिल हो पाई थी। जबकि, कांग्रेस के उम्मीदवार 114 सीटों पर जीते थे।

अब नहीं बदलेगा कोई उम्मीदवार

पहली सूची के 39 उम्मीदवारों में से एक दर्जन से ज्यादा उम्मीदवारों का विरोध हो रहा है। इसके डैमेज कंट्रोल के लिए भी शीर्ष नेताओं ने तैयारी शुरू कर दी है। पार्टी के केन्द्रीय नेताओं ने साफ कर दिया है कि पार्टी पहली फेहरिस्त में शामिल किसी भी उम्मीदवार का टिकट अब नहीं बदलेगी। बता दें, भाजपा में छतरपुर, चाचौड़ा, झाबुआ, महेश्वर समेत कई सीटों पर उम्मीदवारों का खुलकर विरोध हो रहा है

Gaurav

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