वाशिंगटन। चंद्रयान-3 की सफलता ने अंतरिक्ष अन्वेषण और पृथ्वी से परे क्या है में एक नए सिरे से रुचि पैदा कर दी है। चंद्रमा और सूर्य का अध्ययन करने के साथ-साथ, मंगल ग्रह को लेकर भी रुचि जाग्रत हुई है। सवाल यह है कि क्या इस ग्रह पर जीवन संभव हो सकता है। पृथ्वी पर बढ़ते जलवायु संकट के बीच मानवता का अस्तित्व सुनिश्चित करने के लिए अब ग्रह पर भी जीवन की तलाश की जा रही है।
रिपोर्ट के अनुसार नासा के वैज्ञानिक डॉक्टर मिशेल थेलर का कहना है कि मौजूदा तकनीक से मंगल ग्रह पर इंसान भेजना अभी संभव नहीं है। जबकि स्पेस एक्स के संस्थापक और अरबपति एलन मस्क 2050 तक दस लाख लोगों को मंगल ग्रह पर ले जाने की इच्छा को लेकर आशान्वित हैं। जैसा कि हाल के इंटरव्यू में उन्होंने संकेत दिया है।
लेकिन वास्तविक मिशन को सफल होने के लिए अत्याधुनिक तकनीक की जरुरत है। हालांकि नासा ने कहा, हमारी टीम ने अभी तक इसके बारे में सोचा भी नहीं है। मंगल ग्रह तक पहुंचने की प्रमुख चुनौतियों में से एक है इसकी दूरी। जो 34 मिलियन मील की यात्रा के बराबर है। दूरी चालक दल के अस्तित्व और उनकी सुरक्षित वापसी के लिए एक बड़ी चुनौती है। वर्तमान में नासा का रोवर ग्रह के पतले वायुमंडल से कार्बन डाइऑक्साइड एकत्र कर ऑक्सीजन में परिवर्तित कर रहा है। ताकि अंतरिक्ष यात्री इसका उपयोग कर सकें, लेकिन अस्तित्व के लिए अन्य खतरे भी हैं।
नासा ने कहा, भले ही हम इतनी लंबी अवधि के लिए अंतरिक्ष यात्रियों के लिए एक सुरक्षित, कार्यात्मक जीवन समर्थन प्रणाली सुनिश्चित करते हुए दूरी तय कर लें। लेकिन मंगल ग्रह पर पहुंचने पर रेडिएशन हमें मार देगा। मौजूदा तकनीक के साथ, मंगल ग्रह पर जाने वाले अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा करना मुश्किल होगा। क्योंकि सौर ज्वालाओं और कोरोनल मास इजेक्शन से रेडिएशन के कारण मनुष्य वहां पहुंचने से बहुत पहले ही मर जाएंगे।
नासा के अनुसार मंगल की सतह अत्यंत प्रतिकूल है। पृथ्वी के विपरीत,मंगल पर बहुत पतला वातावरण है और ऊर्जावान कणों को विक्षेपित करने के लिए कोई चुंबकीय क्षेत्र नहीं है, इसकारण हमें अंतरिक्ष यात्रियों को विकिरण के दो स्रोतों से बचाने के लिए टेक्नोलॉजी की आवश्यकता होगी। स्पेस एजेंसी ने कहा, इसमे से कुछ ऊर्जावान कण जिस सामग्री से टकराते हैं, उसमें मौजूद परमाणुओं को तोड़ सकते हैं, जैसे अंतरिक्ष यात्री, अंतरिक्ष यान की धातु की दीवारें, निवास स्थान… आदि।
नासा ने कहा कि मंगल ग्रह पर खोज और चंद्रमा की यात्राएं आपस में जुड़ी हुई हैं। चंद्रमा नए उपकरणों और यंत्रों के परीक्षण करने का अवसर प्रदान करता है जिनका उपयोग मंगल ग्रह पर किया जा सकता है, जिसमें मानव आवास, जीवन समर्थन प्रणाली और प्रौद्योगिकियां शामिल हैं।
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