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Japan के लोगों की सफाई के प्रति जबदस्त दीवानगी, काम और वक्त की पाबंदी दुनिया के लिए मिसाल

टोक्यो : जापान का हर शहर, गली, घर, आफिस और जगहें इतनी साफ रहती हैं कि हर कोई इससे प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकता। चाहे ट्रेनों और प्लेटफॉर्म की सफाई हो या फिर सार्वजनिक शौचालय – जापान के लोगों की सफाई के प्रति दीवानगी की जबदस्त है। जापानियों का सफाई के प्रति जुनून के पीछे काफी हद तक उनकी धार्मिक आदत भी है, क्योंकि शिंतो धर्म में पारम्परिक शुद्धिकरण पर जोर दिया जाता है।जापान में बचपन से ही सफाई को एक संस्कार की तरह बच्चों में डाला जाता है। सफाई का जापान के सामाजिक मूल्यों से गहरा नाता है। यहां बच्चों को स्कूल जाने से पहले ही साफ सफाई के बारे में बताया जाता है। जब अभिभावक बच्चों को लेने स्कूल जाते हैं तो उन्हें बच्चों की उपयोग की हुई नैपी का बैग दिया जाता है, जिसे वो घर जाकर अपने कचरे की डब्बे में डालें। जापान के प्राथमिक स्कूलों के बच्चों को पहले ही दिन से साफ सफाई सिखाई जाती है। इसीलिए अभिभावकों को खेल की किट, कॉपी किताबों और अन्य सामानों के साथ बहुत से सफाई करने वाले कपड़े भी खरीदने पड़ते हैं।

बच्चे यहां पहले ही दिन से अपने क्लासरूम और लंच के बाद अपनी डेस्क को साफ करते हैं। साफ सफाई यहां के रोजमर्रा की जिंदगी के हर पहलू में नजर आती है। यहां की गलियां कचरे से मुक्त रहती हैं। इससे भी खास बात यह है कि यहां सार्वजनिक कचरे के डिब्बे बहुत कम दिखते हैं क्योंकि लोग अपना कचरा भी खुद ही घर ले जाते हैं।जापान में हुए विश्व कप फुटबॉल टूर्नामेंट में जापान की कोलंबिया पर जीत के बाद फैन्स ने जीत के जश्न के दौरान एक ब्रेक लिया और मैदान की सफाई कर एक मिसाल पेश की थी। इतना ही नहीं कोरोना के फैलने से काफी पहले से यहां की ट्रेनों में यह नजारा देखने को मिल जाता है कि कुछ लोग यात्रा के दौरान सफेद सर्जिकल फेसमास्क पहले दिखते हैं। ये अपने बचाव के लिए नहीं बल्कि दूसरों तक खुद से कीटाणु न पहुंचें, इसके लिए मास्क पहनते हैं। जब जापान में सैलानियों की संख्या में बहुत ज्यादा इजाफा हो जाता है तो यहां के लोग चिंतित हो जाते हैं। क्योंकि उन्हें लगता है कि ये सैलानी देश में गंदगी फैलाएंगे। यहां आने वाले सैलानियों को भी सफाई का ध्यान रखने को कहा जाता है, हालांकि उसका तरीका इतना शिष्ट होता है कि किसी को भी बुरा न लगे। यहां सार्वजनिक स्थानों पर खाना एक तरह से निषेध है।

इस बात का यहां के लोग बहुत बुरा मानते हैं। ऐसा नहीं है कि जापानियों को केवल अपने देश की सफाई का ख्याल रहता है। सैलानियों के बढ़ने से यहां लोग इस बात से भी चिंतित रहते हैं कि कहीं राह चलते खाने के सामान की वजह से खुद को किसी परेशानी में डाल दें, जैसे खाने में लगी सींक से नुकसान पहुंचना, या कुछ और। इसी वजह से वहां जगह-जगह अलग-अलग भाषाओं में ये चेतावनियां भी लिखी मिलती हैं कि चलते-चलते कुछ न खाएं। बता दें कि जापान के लोग दुनिया के लोगों से बहुत अलग हैं। उनका काम और वक्त की पाबंदी का अनुशासन अगर दुनिया के लिए एक मिसाल है तो जापान के लोगों का सफाई के लिए जुनून और भी बड़ा उदाहरण है। ये ऐसी चीज है जिसे हम सब भी उनसे सीख सकते हैं।
Gaurav

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