बच्चे यहां पहले ही दिन से अपने क्लासरूम और लंच के बाद अपनी डेस्क को साफ करते हैं। साफ सफाई यहां के रोजमर्रा की जिंदगी के हर पहलू में नजर आती है। यहां की गलियां कचरे से मुक्त रहती हैं। इससे भी खास बात यह है कि यहां सार्वजनिक कचरे के डिब्बे बहुत कम दिखते हैं क्योंकि लोग अपना कचरा भी खुद ही घर ले जाते हैं।जापान में हुए विश्व कप फुटबॉल टूर्नामेंट में जापान की कोलंबिया पर जीत के बाद फैन्स ने जीत के जश्न के दौरान एक ब्रेक लिया और मैदान की सफाई कर एक मिसाल पेश की थी। इतना ही नहीं कोरोना के फैलने से काफी पहले से यहां की ट्रेनों में यह नजारा देखने को मिल जाता है कि कुछ लोग यात्रा के दौरान सफेद सर्जिकल फेसमास्क पहले दिखते हैं। ये अपने बचाव के लिए नहीं बल्कि दूसरों तक खुद से कीटाणु न पहुंचें, इसके लिए मास्क पहनते हैं। जब जापान में सैलानियों की संख्या में बहुत ज्यादा इजाफा हो जाता है तो यहां के लोग चिंतित हो जाते हैं। क्योंकि उन्हें लगता है कि ये सैलानी देश में गंदगी फैलाएंगे। यहां आने वाले सैलानियों को भी सफाई का ध्यान रखने को कहा जाता है, हालांकि उसका तरीका इतना शिष्ट होता है कि किसी को भी बुरा न लगे। यहां सार्वजनिक स्थानों पर खाना एक तरह से निषेध है।
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