पाकिस्तान के साथ अमेरिका अब हर कदम फूंक-फूंक कर उठाना चाहता है। क्योंकि उसे भारत के साथ अपने संबंधों के बिगड़ने का खतरा भी सता रहा है। इस बीच पाकिस्तान की कैबिनेट ने नए सुरक्षा समझौतों पर हस्ताक्षर को मंजूरी दी है। मगर अमेरिका इस पर आगे बढ़ने से पहले भारत के साथ संबंधों का आकलन कर रहा है। पाकिस्तान कैबिनेट ने अमेरिका के साथ एक नए सुरक्षा समझौते पर हस्ताक्षर करने को मंजूरी दे दी है।
बृहस्पतिवार को एक मीडिया रिपोर्ट में यह बात कही गई। पाकिस्तान अमेरिका के साथ अपने सुरक्षा संबंधों को फिर मजबूत करना चाहता है। मगर पाकिस्तान के इस मसौदे को स्वीकार करने में अब अमेरिका को भारत से रिश्ते खराब होने का डर सता रहा है। इसलिए पाकिस्तान के इस सुरक्षा समझौते संबंधी प्रस्ताव पर अभी तक कोई कदम नहीं उठाया गया है और न ही उसकी ओर से किसी तरह की ऐसी घोषणा की गई है। जाहिर है अमेरिका को इस बात का एहसास है कि ऐसा करने से भारत के साथ उसके मजबूत रिश्ते बिगड़ सकते हैं।
वहीं पाकिस्तान की कैबिनेट ने अमेरिका के साथ इस नए सुरक्षा समझौते पर हस्ताक्षर को मंजूरी देने के बाद कहा है कि यह कदम दोनों देशों के बीच वर्षों के अविश्वास के बाद रक्षा सहयोग में एक नई शुरुआत का संकेत देता है और इस्लामाबाद के लिए वाशिंगटन से सैन्य उपकरण प्राप्त करने के रास्ते खोल सकता है। द एक्सप्रेस ट्रिब्यून अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, कैबिनेट ने एक ‘सर्कुलेशन’ सारांश के माध्यम से,पाकिस्तान और अमेरिका के बीच संचार अंतर-सक्रियता और सुरक्षा समझौता ज्ञापन, जिसे सीआईएस-एमओए के रूप में जाना जाता है, पर हस्ताक्षर करने को मंजूरी दे दी। हालांकि, समझौते पर दस्तखत करने को लेकर किसी भी पक्ष की ओर से कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गयी है।
अमेरिका अब सोच-समझकर उठाएगा कदम
रिपोर्ट के अनुसार संघीय सूचना मंत्री मरियम औरंगजेब से संपर्क किया गया, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। कुछ दिन पहले ही पाकिस्तान और अमेरिका रक्षा क्षेत्र समेत अन्य क्षेत्रों में अपने द्विपक्षीय संबंधों को और विस्तार देने के लिए सहमत हुए थे। अमेरिका की केंद्रीय कमान के प्रमुख जनरल माइकल एरिक कुरल्ला और पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर की बैठक में यह सहमति बनी थी। उक्त समझौते पर दस्तखत होने का मतलब है कि दोनों देश संस्थागत प्रणाली बनाए रखने के पक्षधर हैं। मगर कहा जा रहा है कि अमेरिका अब पाकिस्तान के साथ कोई भी ऐसा समझौता करने से पहले भारत के साथ अपने संबंधों के असर का आकलन भी करेगा। इसके बाद ही वह कोई कदम उठाएगा।
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