मॉस्को। रूस और यूक्रेन का युद्ध अब उस मुहाने पर पहुंच गया है जहां से जैविक हथियारों से लड़ाई शुरु होती है। एक ओर जहां अमेरिका ने क्लस्टर बम बनाकर यूक्रेन के हौसले बढ़ाए हैं, वहीं रुस ने भी फैफड़ों की ऑक्सीजन को जलाने वाला थर्मोबेरिक ड्रोन तैयार करके टारगेट पर तैनात कर दिया है। गौरतलब है कि रूस और यूक्रेन का युद्ध अपने 500 दिन पूरे कर चुका है। इस लड़ाई में दोनों पक्ष एक से एक विनाशकारी हथियारों का इस्तेमाल कर रहे हैं। अमेरिका के क्लस्टर बम के जवाब में अब रूस ने नए हथियार का प्रदर्शन किया है। जिससे बचना टारगेट के लिए लगभग नामुमकिन है। यूक्रेन युद्ध की शुरुआत के बाद से ड्रोन और थर्मोबेरिक हथियार लगातार चर्चा में हैं और अब दोनों की भयानक क्षमताएं एकजुट होती दिख रही हैं। इस नए हथियार को दुश्मन की किसी खास चीज को तबाह करने के लिए डिजाइन किया गया है।
क्लस्टर के जवाब में रूस द्वारा तैयार किया गया नया ड्रोन, अन्य थर्मोबेरिक हथियारों की तरह, 2 से 4 किग्रा के आकार का है। यह विशेष रूप से इमारतों और किलेबंदी को टारगेट करने में प्रभावी है, जिसका मतलब है कि इससे छिपा नहीं जा सकता है। जानकार बताते हैं कि थर्मोबेरिक बम आम हथियारों से ज्यादा खतरनाक होते हैं। ये इंसानों के फेफड़ों में मौजूद ऑक्सीजन को जला देते हैं जिससे उनकी दर्दनाक मौत हो जाती है। पहले क्लस्टर बम और अब रूस का नया थर्मोबेरिक ड्रोन, नए हथियारों की खबरें ऐसे समय पर आ रही हैं जब एक सैन्य विशेषज्ञ ने बताया कि यूक्रेन में त्वरित समाधान की संभावनाएं न्यूनतम नजर आ रही हैं। इस मामले में जनरल सर रिचर्ड बैरन्स ने कहा कि उन्हें लगता है कि यूक्रेन में युद्ध संभवतः 2026 तक चल सकता है। शायद 2024, 25 या 26 में यूक्रेन एक ऐसे पॉइंट पर पहुंच जाएगा जहां उसे लगेगा कि वह सैन्य रूप से क्षेत्र पर रूसी कब्जे को और हटा नहीं सकता है।
फिर पश्चिम उसे अन्य तरीकों, जैसे- राजनीति या कूटनीति, के जरिए आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करेगा। उन्होंने कहा कि संघर्ष रुक गया है क्योंकि कोई भी पक्ष लड़कर और आगे नहीं बढ़ पा रहा है और हार मानने को भी तैयार नहीं है। अमेरिका रूस के खिलाफ यूक्रेन को जो क्लस्टर बम देगा वह मानवता के खिलाफ विनाशक है। इस बम पर करीब 120 से अधिक देशों ने बैन लगा रखा है। लिहाजा अमेरिका के इस फैसले पर अब सवाल उठने लगे हैं। इस बम को 155एमएम तोप से भी दागा जा सकता है। क्लस्टर बम एक बॉक्स में भरे होते हैं। फटने के बाद इसमें से कई छोटे-छोटे बम निकलकर बड़े क्षेत्र में फैल जाते हैं और भारी तबाही मचाते हैं। इनमें से जो बम नहीं फटते हैं उनकी चपेट में अक्सर आम नागरिक आ जाते हैं। यही वजह है कि यह बम बेहद खतरनाक होते हैं
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