ढाका। 21 जून को बांग्लादेशी प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अपने आधिकारिक निवास पर एक ऐसा बयान दिया है, जिससे देश में राजनीतिक उठा-पटक बढ़ गई है। दरअसल शेख हसीना से जब सवाल पूछा गया था कि साल 2001 में खालिदा जिया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) सत्ता में कैसे आई थी? इसके जवाब में शेख हसीना ने आरोप लगाया कि बीएनपी, सेंट मार्टिन को बेचकर फिर से सत्ता में वापसी की गारंटी चाहती है। उनके इस आरोप के बाद सवाल उठ रहे हैं, कि क्या अमेरिका इस द्वीप पर चुपचाप अपनी मौजूदगी को बढ़ा रहा है?
मीडिया से बात करते हुए पीएम शेख हसीना के तेवर काफी आक्रामक थे। उन्होंने कहा, वहां भारत को गैस बेचने का वादा करके सत्ता में आए थे। अब क्या वहां देश को अमेरिका को बेचना चाहते हैं या सेंट मार्टिन द्वीप को बेचने का वादा करके सत्ता में आना चाहते हैं। शेख हसीना ने किसी देश का नाम नहीं लिया, लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि उन्होंने दो देशों की ओर उंगली उठाई है। उनका इशारा ऊर्जा की कमी से जूझ रहे पश्चिम बंगाल को गैस की सप्लाई और अमेरिकी सेनाओं की कोरल द्वीप पर मौजूदगी से जुड़ा था।शेख हसीना अक्सर आरोप लगाती हैं कि बीएनपी ने बंगाल की खाड़ी के एक विशाल हिस्से पर नजर रखने के लिए अमेरिका को उसके मिलिट्री बेस के मकसद से सेंट मार्टिन द्वीप पर बातचीत की। यह द्वीप दक्षिण में हिंद महासागर पर स्थित है। शेख हसीना के बयान को बीएनपी महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम ने खारिज कर दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि पीएम ने अपनी राजनीतिक रणनीति के तहत, सेंट मार्टिन द्वीप पर बीएनपी के रुख के बारे में गलत जानकारी प्रदान की। उन्होंने शेख हसीन उनकी राजनीतिक रणनीति का हिस्सा करार दिया। वहीं, अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने अमेरिका को लेकर उड़ाई जा रही अफवाहों का मजाक उड़ाया।
इस मुद्दे को पहली बार 14 जून को संसद में वामपंथी नेता, बांग्लादेश वर्कर्स पार्टी के अध्यक्ष और सत्तारूढ़ अवामी लीग के गठबंधन राशेद खान मेनन ने उठाया था। उन्होंने कहा था कि अमेरिका ,क्वाड में सेंट मार्टिन और बांग्लादेश की भागीदारी चाहता है। सन् 1900 में एक ब्रिटिश सर्वेक्षणकर्ताओं की टीम ने सेंट मार्टिन द्वीप को भारत में ब्रिटिश राज के हिस्से के रूप में शामिल किया था। उन्होंने इसका नाम एक ईसाई पादरी सेंट मार्टिन के नाम पर रखा।पर्यावरण विभाग (डीओई) ने सन् 1999 में 8 स्क्वॉयर किलोमीटर वाले द्वीप को एक पारिस्थितिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र घोषित किया। इसके बाद बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय की ओर से बयान में कड़ी चेतावनी जारी की गई। बयान में आरोप लगाया गया है कि कई राजनीतिक दलों का दावा है कि अमेरिका को सेंट मार्टिन द्वीप पर अपना नौसैनिक अड्डा स्थापित करने की अनुमति दी गई है, यह पूरी तरह से निराधार है।
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