ढाका। बांग्लादेश के विदेश मंत्री ने कहा है कि बांग्लादेश चीन की पूंछ नहीं है, वह सभी से बराबर मित्रता के पक्ष में हैं। उन्होंने चीन को लेकर एक बड़ा बयान देते हुए कहा कि उनका देश भारत के साथ अटूट मित्रता में है। हालांकि पिछले काफी समय से चीन बांग्लादेश में अपनी एक अलग जगह बनाने की कोशिशों में लगा है। उसकी कोशिशों को देश के विदेश मंत्री डॉक्टर एके अब्दुल मोमेन की तरफ से दिए गए एक बयान के बाद झटका लग सकता है। विदेश मंत्री मोमेन ने कहा है कि उनका देश चीन की पूंछ नहीं है। साथ ही भारत के साथ बांग्लादेश के रिश्ते चट्टान की तरह मजबूत हैं और उन्होंने इन रिश्तों को एक सुनहरा अध्याय करार दिया है। मोमेन ने पिछले दिनों आयोजित एक कार्यक्रम में एक सवाल के जवाब में कहा कि यह बातें गलत हैं कि बांग्लादेश का झुकाव किसी एक खास देश के लिए बहुत ज्यादा है। मोमेन ने कहा कि कुछ लोग कहते हैं कि हम चीन की तरफ झुके हैं।
लेकिन यह हकीकत नहीं है, जाहिर तौर पर यह बात जबरदस्ती कही जा रही है। हमने हमेशा से एक संतुलित और स्वतंत्र विदेश नीति का पालन किया है। हमारा झुकाव किसी के प्रति नहीं है। उन्होंने देश के राष्ट्रपिता शेख मुजिबर रहमान के उस कथन की याद दिलाई जो था, सभी के प्रति मित्रता, किसी के प्रति द्वेष नहीं। मोमिन ने कहा कि बांग्लादेश का मकसद सार्वजनिक कल्याण की दिशा में काम करना है और देश की सरकार इसी लक्ष्य को दिमाम में रखकर आगे बढ़ रही है। उन्होंने इस बात को भी दोहराया कि बांग्लादेश कभी भी चीन के कर्ज जाल में नहीं फंसा है। उनका कहना था कि उनकी इस बात को कई लोगों ने स्वीकार भी किया है। विदेश मंत्री मोमेन ने कहा कि यह एक गलत धारणा है। कुछ पंडित ऐसा कहते हैं। कई लोगों ने इसे स्वीकार किया, खासकर कुछ विदेशी संस्थानों ने भी कहा, लेकिन हम किसी भी परिस्थिति में चीनी ऋण जाल में नहीं फंसेंगे।
श्रीलंका के हालातों के बाद कुछ लोगों ने यह गलत धारणा बना ली कि श्रीलंका के बाद उनका देश भी चीनी कर्ज के जाल में फंस जाएगा। आंकड़े साझा करते हुए उन्होंने कहा कि बांग्लादेश सोच-समझकर फैसले लेने वाला देश है। विदेशी ऋण लेते समय सरकार बहुत सावधान रहती है और गैर-जरूरी कर्ज नहीं लेती है। मोमेन ने कहा कि आईएमएफ के मुताबिक, अगर कोई देश अपना 55 फीसदी कर्ज एक ही देश से लेता है तो उसके कर्ज के जाल में फंसने का खतरा रहता है। मोमेन ने दावा किया कि चीन से बांग्लादेश ने 3.5 अरब अमेरिकी डॉलर लिए हैं, जो कुल जीडीपी का सिर्फ 0.75 प्रतिशत है। अंत में मोमेन ने भारत के साथ बांग्लादेश के संबंधों को चट्टान की तरह मजबूत बताया। उनका कहना था कि दोनों देशों के संबंध एक सुनहरे अध्याय में हैं।
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