ग्वालियर, 26 जुलाई। भारतीय वायुसेना करगिल युद्ध में विजय के 21 साल पूरे होने का जश्न मना रही है। वायुसेना ही नहीं पूरे देश को याद है जब भारत ने ‘ऑपरेशन सफेद सागर’ से पाकिस्तान को उसके दुस्साहस का ऐसा सबक सिखाया था कि आज भी उनके सैनिकों की रूह कांपती होगी। दुनिया में सबसे अधिक ऊंचाई पर हुई इस जंग में भारतीय वायुसेना ने वह पराक्रम दिखाया था कि दुनिया के लिए वह लड़ई मिसाल बन गई। लेजर गाइडेड बमों की मार से दुश्मन चौंका और हो गया नेस्ताबूद…
करगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तानियों के पास यह बढ़त थी कि उन्होंने चोरी छिपे ऊंचे ठिकानों पर जाकर कब्जा जमा लिया था। ऐसे में नीचे से जंग लड़ना भारतीय थल सेना के लिए मुश्किल हो गया था। ऐसी ही एक जगह थी 5,062 मीटर की ऊंचाई पर स्थित टाइगर हिल, यहां बंकर बना कर मोर्चा जमाए पाकिस्तानी भारत की सेना पर ताबड़तोड़ वार कर रहे थे। आखिरकार भारत की वायुसेना ने मोर्चा संभाला, जिसने पाकिस्तानियों की कमर तोड़ दी। भारत ने 4-5 जुलाई 1999 को टाइगर हिल पर फिर से कब्जा जमा लिया।
पहली बार गिराए गए थे लेजर गाइडेड बम
टाइगर हिल पर भारत की बढ़त 24 जून को शुरू हुई थी, जब वायुसेना ने मोर्चा संभाला और ग्वालियर से दो मिराज-2000 फाइटर भेजे गए। आदमपुर बेस से इन लड़ाकू विमानों ने टाइगर हिल पर हल्ला बोल दिया। ऊंची बर्फीली पहाड़ियों पर बंकर बनाकर मोर्चा जमाए पाक सैनिकों पर लेजर गाइडेड बम बरसने लगे। पहला मौका था, जब भारतीय वायुसेना ने लेजर गाइडेड बमों का इस्तेमाल किया। इस हमले ने पाकिस्तान को बड़ा नुकसान पहुंचाया। तोलोलिंग पहाड़ी को मुक्त कराने के अलावा टाइगर हिल पर एयरफोर्स का अभियान ऐसा था, जिसे भारतीय खेमे को सबसे ज्यादा बढ़त मिली थी। लगातार कई दिन और रात तक हमले जारी रहे। आखिर में भारतीय सेना ने 4 जुलाई को 11 घंटे की जंग के बाद टाइगर हिल पर कब्जा जमा लिया। गौरतलब है कि बालाकोट सर्जिकल स्ट्राइक में भी ग्वालियर से उड़े मिराज-2000 ने ही कहर बरपाया था।
देशी जुगाड़ से हुई करगिल फतह
करगिल युद्ध के दौरान टारगेटिंग पॉड्स के एकीकरण और मिराज 2000 विमानों के लिए लेजर-निर्देशित बम प्रणाली तैयार करने का काम रिकॉर्ड 12 दिन में पूरा किया गया था। दरअसल टाइगर हिल की उंचाई बहुत थी, लिहाजा नीचे से हमले का कोई असर नही पड़ने वाला था। आखिरकार एयरफोर्स से मदद मांगी गई। एयरफोर्स को कारगिल में बने बंकर उड़ाने के लिए जो लेज़र गाइडेड बम चाहिए थे वो उनके पास थे, लेकिन कुल 60, इन्हें पाकिस्तान में एक खास टार्गेट पर हमले के लिए रिजर्व किया गया था। वहां कोई पुल या रेल लाइन नहीं थी तो एयरफोर्स इन्हें कारगिल में नहीं चलाना चाहती थी। आगे लड़ाई बढ़ जाती तो भारत निहत्था हो जाता।
वायुसेना को एलओसी पार न करने के थे आदेश
आज तक किसी भी एयरफोर्स को 14 से 18 हजार फीट की ऊंचाई से हमले करने की अनुमति नहीं थी। साथ ही किसी भी कीमत पर एलओसी को पार न करने के आदेश भी थे। ऐसे में एयरफोर्स के पायलट्स ने बर्फ में बमबारी की। दरअसल दुश्मनो पर सीधा गोलीबारी करने से वह चौंकन्ने होकर बिखर जाते और बचाव कर लेते। फिर भारत ने इज़रायल से मदद मांगते हुए लाइटनिंग इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल टार्गेटिंग पॉड्स की 1997 की डील पूरी करने का आग्रह किया इन पॉड्स की खासियत ये थी कि इनमें लेज़र डेज़िग्नेटर के अलावा एक कैमरा भी लगा था जो टार्गेट की तस्वीर दिखाता था, लेकिन इतनी जल्दी इनकी डिलीवरी संभव नहीं थी। आखिर इज़रायल ने अपने इंजीनियर भेजे जिन्होंने इंडियन एयरफोर्स के एयरक्राफ्ट सिस्टम टेस्टिंग इस्टैब्लिशमेंट के साथ मिल कर ये पॉड्स एयरफोर्स के मिराज फाइटर जेट में लगाए। टार्गेटिंग पॉड्स का इंतज़ाम होने के बाद कौन सा बम चलाया जाए, इस पर विचार हुआ।
इज़रायल के पॉड्स के साथ Paveway-II लेज़र गाइडेड बम इस्तेमाल होते थे। इन बमों के स्पेयर पार्ट अमरीका और ब्रिटेन से आते थे, लेकिन 1998 में भारत के न्यूक्लियर टेस्ट की वजह से हथियारों के इंपोर्ट पर बैन लगा था। एयरफोर्स ने तय किया कि उनकी जगह देसी बम चलाया जाए। वायुसेना के अधिकारी नांबियार ने देशी एयरफोर्स का पारंपरिक 1000 पाउंड का बम इस्तेमाल फ्रांस में बने फाइटर जेट मिराज-2000 पर इज़रायल में बना लेज़र टार्गेटिंग पॉड लगा कर उसमें एक देसी बम चलाने का प्लान बनाया। मिराज में फिट इजरायली इज़रायली पॉड का सॉफ्टवेयर 30 हज़ार फीट की उंचाई पर जाकर बंद पड़ जाता था, लेकिन एयरफोर्स ने रिस्क लिया और 24 जून 1999 की सुबह दो मिराज-2000 फाइटर जेट टाइगर हिल की ओर बढ़ गए। टाइगर हिल से 7 किलोमीटर दूर से पहले जेट ने जुगाड़ वाला बम चला दिया। बिना परीक्षण इस्तेमाल किया बम टाइगर हिल पर बने दुश्मन के बंकर पर लगा जिससे पाक खेमा ध्वस्त हो गॉया, सिर्फ एक पाकिस्तानी फौजी ही ज़िंदा बचा। इस देशी दुगाड़ के बम का निशाना अचूक लगा और कारगिल ऑपेरशन सफल रहा। इस जुगाड़ु हमले का पूरा श्रेय एयर मार्शल रघुनाथ नांबियार को जाता है। कारगिल युद्ध में यह किस्सा अमर हो गया। आज भी विदेशी रक्षा वैज्ञानिक इस जुगाड़ू हमले पर भारत की तारीफ करते हैं।
Ira Singh Khabar Khabaron ki,14 May '25 India’s retail inflation eased to a six-year low…
Ira Singh Khabar Khabaron Ki,13 May’25 India’s ascent as a global hub for Global Capability…
Ira Singh Khabar Khabaron Ki,09 May’25 Heightened geopolitical tensions threaten to unravel Pakistan’s fragile economic…
Ira Singh Khabar Khabaron Ki,05 May’2025 The United States is expected to seek significant changes…
Gwalior Khabar Khabaron Ki,05 May'25 In a ceremony marked by tradition and reverence, senior IPS…
Ira Singh Khabar khabaron Ki,4 May'25 Foreign Portfolio Investors (FPIs) injected Rs4,223 crore into Indian…