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मिस्र के काहिरा में PM Modi , World War-1 में शहीद हुए भारतीय सैनिकों को अर्पित किया श्रद्धा सुमन

काहिरा। पीएम नरेंद्र मोदी ने मिस्र की राजधानी काहिरा में स्थित हेलियोपोलिस वॉर मेमोरियल का रविवार को दौरा किया। यह हेलियापोलिस वॉर मेमोरियल भारत के लिए काफी खास है। बताया जाता है ‎कि प्रथम विश्‍व युद्ध में शहीद हुए करीब चार हजार सैनिकों की वीरगाथाएं आज भी इस वॉर मेमोरियल पर दर्ज हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी यहां पहुंचकर इन सैनिकों को नमन किया और इन्‍हें श्रद्धांजलि दी। इसके अलावा ऐतिहासिक अल हाकिम मस्जिद का दौरा ‎किया। ‎मिस्र की राजधानी काहिरा पहुंचने के बाद वह पीएम मोदी का उनके समकक्ष मुस्तफा मैडबौली ने स्वागत किया। हेलियापोलिस वॉर मेमोरियल या युद्ध कब्रिस्‍तान, पोर्ट टेवफिक में स्थित है। इसकी सबसे बड़ी ‎विशेषता यह है ‎कि यहां पर प्रथम विश्व युद्ध में लड़ने वाले करीब 4,000 भारतीय सैनिकों के नाम अंकित हैं। हेलियोपोलिस कब्रिस्तान उन 1,700 कॉमनवेल्थ सैनिकों की भी याद दिलाता है जो द्वितीय विश्व युद्ध में मारे गए थे। यह स्मारक उन 3,727 भारतीय सैनिकों की याद में बनाया गया है जो प्रथम विश्व युद्ध में मिस्र और फिलिस्तीन के कई अभियानों में लड़ते हुए शहीद हो गए थे।

गौरतलब है ‎कि पोर्ट टेवफिक स्मारक का अनावरण सन् 1926 में किया गया था। यह स्वेज नहर के मुख्य द्वार पर स्थित है। पोर्ट टेवफिक को अब पोर्ट स्वेज के नाम से जाना जाता है। सन् 1967 के इजरायली-मिस्र युद्ध में मिस्र के सैनिकों के पीछे हटने के कारण इस स्मारक को नष्ट कर दिया गया था। सन् 1980 में हेलियोपोलिस कॉमनवेल्थ वॉर मेमोरियल के तहत मिस्र और फिलिस्तीन के लिए प्रथम विश्व युद्ध के तहत जान गंवाने वाले भारतीय सैनिकों की याद में इसे फिर से तैयार किया गया। इतिहासकारों के मुताबिक भारतीय सैनिकों ने मिस्र और फिलिस्तीन में स्वेज नहर को सुरक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। यही वह जगह थी जहां पर भारतीय घुड़सवार सेना ने हाइफा की जंग में हिस्‍सा लिया था। इस जंग की याद में भारत में वॉर मेमोरियल है।

बता दें ‎कि प्रथम विश्व युद्ध में मेसोपोटामिया में भारतीय सैनिकों ने भी अहम भूमिका निभाई थी। इस युद्ध स्मारक पर भारतीय सेना के साथ-साथ रियासतों की सेनाओं ने भी हिस्‍सा लिया था। हेलियोपोलिस स्मारक पर भारतीय सेना की 42वीं देवली रेजीमेंट, 58वीं वॉन राइफल्स (फ्रंटियर फोर्स), दूसरी बटालियन, तीसरी रानी एलेक्जेंड्रा की अपनी गोरखा राइफल्स, 51वीं सिख (फ्रंटियर फोर्स), पहली बटालियन 50वीं कुमाऊं राइफल्स, जोधपुर (इंपीरियल सर्विस) के अलावा लांसर्स, थर्ड सैपर्स एंड माइनर्स के साथ कई और रेजीमेंट के नाम दर्ज हैं। साथ ही इस युद्ध स्‍मारक पर रिसालदार बदलू सिंह का नाम खासतौर पर दर्ज है। उन्‍हें मरणोपरांत सर्वोच्च ब्रिटिश युद्धकालीन वीरता पुरस्कार, विक्टोरिया क्रॉस से सम्मानित किया गया था।

 

Gaurav

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