बुखार अपनी चपेट में सिर्फ हम इंसानों को ही नहीं लेता बल्कि भगवान को भी इसका कष्ट उठाना पड़ता है। साल में एक बार ही लेकिन इसका शिकार तो भगवान भी होते हैं। हां आपको जानकर आश्चर्य हुआ होगा लेकिन आपको बता दें की जगन्नाथस्वामी जो पूरी दुनिया को रोगों से मुक्ति दिलाते हैं वे स्वयं हर साल ज्येष्ठ मास की स्नान पूर्णिमा के दिन बीमार पड़ जाते हैं।
वे भी अपने भक्तों की तरह बीमार होते हैं और उनका भी इलाज किया जाता है, उनको दवाई के रुप में काढ़ा देते हैं। भगवान जगन्नाथ पूर्णिमा के दिन से 15 दिनों तक आराम करते हैं और अपने भक्तों को दर्शन नहीं देते। इसी कारण से भगवान जगन्नाथ के कपाट इन 15 दिनों तक बंद रहते हैं। इस दौरान भगवान जगन्नाथ को फलों के रस, औषधि एवं दलिया का भोग लगाया जाता है।
जब भगवान जगन्नाथ स्वस्थ्य हो जाते हैं तो वे अपने भक्तों से मिलने के लिए रथ पर सवार होकर आते हैं। जिसे जगप्रसिद्ध रथयात्रा कहा जाता है। यह रथयात्रा हर वर्ष आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को निकलती हैl
इसलिए बीमार होते हैं भगवान जगन्नाथ स्वामी, ये है इसके पीछे का कारण
उड़ीसा प्रांत में जगन्नाथ पूरी में भगवान श्री जगन्नाथ के एक भक्त माधव दास जी रहते थे। माधव दास जी अकेले रहते थे आर भगवान का भजन किया करते थे। हर रोज़ श्री जगन्नाथ प्रभु के दर्शन करते थे और अपनी मस्ती में मस्त रहते थे। वे संसारिक जीवन से कोई मोह-माया नहीं थी ना वे किसी से कोई लेना-देना रखते थे। प्रभु माधव जी के साथ अनेक लीलाएं किया करते थे और चोरी करना भी सिखाते थे।
एक दिन अचानक माधव दास जी की तबीयत खराब हो गई उन्हें उल्टी-दस्त का रोग हो गया। वह बहुत ही कमज़ोर हो गए की उठने-बैठने में भी उन्हें समस्या होने लगी। माधव जी अपना कार्य स्वयं करते थे वे किसी से मदद नहीं लेते थे। जो व्यक्ति उनकी मदद के लिए आता था उनसे कहते थे की भगवान जगन्नाथ स्वयं उनकी रक्षा करेंगे। देखते ही देखते माधव जी की तबीयत इतनी खराब हो गई की वे अपना मल-मूत्र वस्त्रों में त्याग देते थे। तब स्वयं जगन्नाथ स्वामी सेवक के रुप में माधव जी के पास उनकी सेवा करने पहुंचे। माधव जी के गंदे वस्त्र भगवान जगन्नाथ अपने हाथों से साफ करते थे और उन्हें भी स्वच्छ करते थे उनकी संपूर्ण सेवा करते थे। जितनी सेवा भगवान जगन्नाथ करते थे शायद ही कोई व्यक्ति कर पाता।
जब माधवदास जी स्वस्थ्य हुए और उन्हें होश आया तब भगवान जगन्नाथ जी को इतनी सेवा करते देख वेे तुरंत पहचान गए की यह मेरे प्रभु ही हैं। एक दिन श्री माधवदास जी ने प्रभु से पूछा– “प्रभु ! आप तो त्रिभुवन के मालिक हो, स्वामी हो, आप मेरी सेवा कर रहे हो। आप चाहते तो मेरा ये रोग भी तो दूर कर सकते थे, रोग दूर कर देते तो यह सब करना नहीं पड़ता।” तब जगन्नाथ स्वामी ने उन्हे कहा– “देखो माधव! मुझसे भक्तों का कष्ट नहीं सहा जाता, इसी कारण तुम्हारी सेवा मैंने स्वयं की। जो प्रारब्ध होता है उसे तो भोगना ही पड़ता है। अगर उसको इस जन्म में नहीं काटोगे तो उसको भोगने के लिए फिर तुम्हें अगला जन्म लेना पड़ेगा और मैं नहीं चाहता की मेरे भक्त को जरा से प्रारब्ध के कारण अगला जन्म फिर लेना पड़े। इसीलिए मैंने तुम्हारी सेवा की लेकिन अगर फिर भी तुम कह रहे हो तो भक्त की बात भी नहीं टाल सकता। अब तुम्हारे प्रारब्ध में ये 15 दिन का रोग और बचा है, इसलिए 15 दिन का रोग तू मुझे दे दे।” 15 दिन का वो रोग जगन्नाथ प्रभु ने माधवदासजी से ले लिया। तब से भगवान जगन्नाथ इन 15 दिन बीमार रहते हैं
तब से आज तक वर्षों से यह चलता आ रहा है। साल में एक बार जगन्नाथ भगवान को स्नान कराया जाता है। जिसे हम स्नान यात्रा कहते हैं। स्नान यात्रा करने के बाद हर साल 15 दिन के लिए जगन्नाथ भगवान आज भी बीमार पड़ते हैं और 15 दिनों के लिए मंदिर के कपाट बंद होते है
Ira Singh Khabar Khabaron Ki,09 Nov'24 For the first time in two and a half…
Ira Singh Khabar Khabaron Ki,27 Oct'24 October has marked a record- breaking month for foreign…
Ira Singh Khabar Khabaron Ki,23'Oct'24 The International Monetary Fund (IMF) has reaffirmed its positive outlook…
Ira Singh Khabar Khabaron Ki,23 Oct'24 A reduction in Goods and Services Tax (GST) could…
भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के समीप औद्योगिक क्षेत्र के बंद फैक्ट्री में एमडी ड्रग्स…
संयुक्त कार्रवाई में 1814 करोड़ का MD ज़ब्त, तीन आरोपी गिरफ्तार, देश भर में नशे…