प्रोफेसर कत्सुहिको ने बताया कि इस रिसर्च में नर चूहे की त्वचा कोशिकाओं का इस्तामाल कर अंडाणु और शुक्राणु बनाया गया। प्रयोगशाला में मानव शुक्राणु और अंडाणु विकसित करने की क्षमता को इन विट्रो गैमेटोजेनेसिस कहा जाता है। इन विट्रो गैमेटोजेनेसिस में किसी व्यक्ति के खून या त्वचा से कोशिकाओं को लेकर सेल बनाई जाती है। यह कोशिकाएं अंडाणु और शुक्राणु कोशिकाओं सहित शरीर में कोई भी कोशिका बन सकती हैं। फिर इनका उपयोग भ्रूण बनाने और महिलाओं के गर्भ में प्रत्यारोपित करने के लिए किया जा सकता है। वैज्ञानिक इस सफल रिसर्च के बाद से मानव शुक्राणु और अंडाणु बनाने के बेहद करीब पहुंच गए हैं, लेकिन अभी तक भ्रूण नहीं बना पाए हैं।प्रोफेसर कत्सुहिको ने बताया कि इसका एक बड़ा फायदा यह होगा कि किसी भी उम्र की महिला के पास बच्चा होगा। हालांकि इस तकनीक का फायदा उठाने का खतरा भी इसके साथ बढ़ेगा। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इस तकनीक से ऐसे बच्चे पैदा किए जा सकेंगे जो गुण माता-पिता अपने बच्चे में देखना चाहते हैं। इसका मतलब यही माना जा रहा है कि भविष्य में लैब में डिजाइनर बच्चे तैयार किए जा सकते हैं। मालूम हो कि विज्ञान की दुनिया में हर दिन नया रिसर्च होते रहता है। दूसरे शब्दों में कहें तो वैज्ञानिक हर दिन अपने नए चमत्कार से दुनिया को हैरान करते रहते हैं।
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