राजा मान सिंह के परिजन को 35 साल बाद मिला इंसाफ
नई दिल्ली, 22 जुलाई। भरतपुर रियासत के तत्कालीन पूर्व राजा मानसिंह हत्या मामले में आखिरकार बुधवार को 35 साल के लंबे इंतजार के बाद इंसाफ हुआ। अदालत ने 11 पुलिसकर्मियों को दोषी ठहराया और उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई। राजस्थान की राजनीति में भूचाल ला देने वाले मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के आदेश से मथुरा जिला जज की अदालत में की जा रही थी। यह उस दौर का पहला ऐसा मामला था जिसमें मौजूदा विधायक का एनकाउंटर किया गया था। khabharkhabaronki.com पर जानिये आखिर कौन थे राजा मान सिंह? और कैसे हुआ उनका एनकाउंटर….
CM शिवचरण माथुर ने डीग सीट को बनाया था नाक का सवाल
तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1985 में राजस्थान में विधानसभा चुनाव थे। उस समय शिवचरण माथुर राज्य के मुख्यमंत्री थे। तत्कालीन राजनीति के जानकारों के मुताबिक माथुर ने डीग सीट को नाक का सवाल बना लिया था। भरतपुर रियासत के पूर्व राजा मान सिंह यहां से निर्दलीय उम्मीदवार थे, कांग्रेस ने उनसे समझौता किया था कि पार्टी का कोई बड़ा नेता मान सिंह के विरुद्ध प्रचार करने नहीं आएगा, लेकिन 20 फरवरी 1985 को CM शिवचरण माथुर खुद कांग्रेस उम्मीदवार के पक्ष में प्रचार करने के लिए डीग पहुंच गए। CM के इस कदम से स्थानीय कांग्रेसी नेताओं ने उत्साह में भरकर निर्दलीय उम्मीदवार राजा मान सिंह के पोस्टर फाड़ दिए। यह बाद राजा मान सिंह को नागवार गुजरी। कांग्रेस की ओर से समझौते का तोड़े जाने से पैदा हुए राजा मान सिंह के गुस्से की आग में पोस्टर फाड़े जाने की ख़बर ने घी का काम किया। पहले तो उन्होंने CM की रैली का मंच तुड़वा डाला, इसके बाद वह खुद जोंगा जीप को तेजी से ड्राइव करते हुए हेलीपैड की ओर ले गए और वहां लैंड CM के हेलीकॉप्टर को कई बार टक्कर मारी। मजबूरी में CM माथुर को सड़क मार्ग से जयपुर रवाना होना पड़ा। उपद्रव की आशंका के चलते डीग में कर्फ्यू लगा दिया गया। पुलिस ने राजा मान सिंह के खिलाफ केस भी दर्ज कर लिया।
पुलिस ने एनकाउंटर में राजा को कर दिया शूट
डीग में कर्फ्यू लगा हुआ था, लेकिन 21 फरवरी को राजा घर से बाहर निकलने लगे, लोगों ने मना भी किया, इस पर मान सिंह ने कहा कि अपनी ही रियासत में कैसा डर। पुलिस ने अनाज मंडी में राजा मानसिंह को हाथ से इशारा कर रुकने को कहा। जब राजा मानसिंह गाड़ी को रिवर्स करने लगे तभी ताबड़तोड़ फायरिंग हुई। इसमें राजा मानसिंह, सुमेरसिंह, हरिसिंह की गोली लगने से मौत हो गई। राजा मानसिंह के दामाद विजयसिंह की ओर से 18 लोगों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कराया गया। राजा के परिजनों के अनुसार वह आत्मसमर्पण करने जा रहे थे।
….और भरतपुर जल उठा
इस घटना के बाद पूरा भरतपुर जल उठा, रियासत के पूर्व राजा के इस तरह पुलिस एनकाउंटर से जनता का गुस्सा उबल पड़ा। इस आग की लपटों में CM माथुर भी झुलसे और दो दिन बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। पुलिस की करतूत थी, इसलिए जांच CBI को सौंपी गई। बाद में 1990 में उनकी बेटी दीपा भरतपुर से सांसद चुनी गई।
25 जिला जज बदले, 1700 तारीखें, यहां तक कि अदालत भी राज्य से बाहर गई
इस बहुचर्चित हत्याकांड की 35 साल चली सुनवाई के दौरान 1700 तारीखें हुईं, 25 जिला जज बदल गए, और आखिरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 1990 में इस केस को मथुरा जिला जज की अदालत में भेज दिया गया। कुल 78 गवाह पेश हुए, जिनमें से 61 वादी पक्ष की ओर से जबकि 17 गवाह बचाव पक्ष को ओर से पेश हुए।
तीन आरोपियों की केस चलने के दौरान हो चुकी मौत
वकील नारायणसिंह ने बताया कि विशेष जज सुनीता रानी ठाकुर ने इस केस में 11 लोगों को दोषी माना है। तीन आरोपियों को बरी किया गया। तीन आरोपियों की मौत हो चुकी है। एक अन्य पहले ही बरी हो चुका है। अदालत ने आरोपीगण तत्कालीन डीएसपी कानसिंह भाटी, एसएचओ वीरेंद्रसिंह, सुखराम, जीवनराम, जगमोहन, भंवरसिंह, हरिसिंह, शेरसिंह, छत्तरसिंह, पदमाराम और रविशेखर मिश्रा को दोषी करार दिया है। कानसिंह सिरवी, हरिकिशन और गोविंद राम को बरी किया गया। आज विशेष जिला कोर्ट मथुरा में दोषियों की सजा का ऐलान होगा।
रास नहीं आई अंग्रेजों की नौकरी, उतर पड़े राजनीति में
भरतपुर रियासत के तत्कालीन राजा मानसिंह का जन्म 1921 में हुआ था। राजा मान सिंह बहुत ही स्वाभिमानी व्यक्ति थे, लेकिन उन्हें आम जनता के बीच रहना ज्यादा पसंद था। ब्रिटेन से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी कर अंग्रेजी शासन में सेना में सेकंड लेफ्टिनेंट हो गए। उस समय भरतपुर में लोग देश के साथ रियासत का भी झंडा लगाते थे, जिसे अंग्रेज सरकार ने प्रतिबंधित किया। इसी बात पर अंग्रेजों की नौकरी छोड़ राजा मान सिंह राजनीति में आ गए।
आजादी के बाद राजनीति में कदम
देश आजाद होने के बाद भी राजा मान सिंह राजनीति में आगे बढे, लेकिन कांग्रेस की रीतिनीति पसंद नहीं थी, इसलिए राजा मान सिंह निर्दलीय ही चुनाव लड़े। वह डीग विधानसभा सीट से 1952 से 1984 तक सात बार निर्दलीय विधायक चुने गए।
हर लहर में जीत निर्दलीय राजा मान सिंह की
कांग्रेस ने उनके जनता पर प्रभाव को देखते हुए 1985 में कांग्रेस से इस बात पर समझौता था कि उनके विरुद्ध उम्मीदवार उतारना राजनीतिक मजबूरी है, लेकिन कोई बड़ा नेता प्रचार के लिए डीग नहीं आएगा। राजा मान सिंह 1977 में जेपी लहर और 1980 की इंदिरा लहर में भी निर्दलीय रहकर ही चुनाव जीते।
आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ता भारत जीपीएस स्पूफिंग और सैटेलाइट इमेजरी जैसे खतरे भारत के लिए…
Ira Singh Khabar Khabaron Ki,27 July'25 The United States has taken a decisive step to…
Ira Singh Khabar Khabaron Ki,26 July'25 India’s foreign exchange reserves fell by $1.183 billion to…
Ira Singh Khabar Khabaron Ki,21 July'25 Indian cryptocurrency exchange CoinDCX has reported a security breach…
Ira Singh khabar Khabaron Ki,20 July'25 Madhya Pradesh Chief Minister Dr. Mohan Yadav has identified…
Ira Singh Khabar Khabaron Ki,17 July'25 MP Chief Minister Dr. Mohan Yadav, during his visit…