सैन फ्रांसिस्को। अमेरिका का न्यूयार्क शहर गगनचुंबी इमारतों के दबाव में हर साल थोड़ा-थोड़ा जमीन में धंस रहा है। इससे पहले 2020 में सैन फ्रांसिस्को में भी ऐसा ही कुछ सामने आया था, जब वहां के मिलेनियम टॉवर को झुकने और जमीन में धंसने से रोकने के लिए 10 करोड़ डॉलर की परियोजना शुरू की गई थी। न्यूयॉर्क शहर के धंसने की जानकारी सामने आने के बाद बड़े शहरों के धंसने या झुकने और अंधाधुंध विकास के बोझ को लेकर एक बार फिर नए सिरे से बहस शुरू हो गई है। एक अध्ययन यह तय करने की कोशिश करता है कि निर्माण पर्यावरण का भारी वजन शहरों के डूबने के लिए कितना जिम्मेदार है।
सैन फ्रांसिस्को के मि
लेनियम टॉवर को झुकने और जमीन में धंसने से रोकने के लिए 2020 के आखिर में कराड़ों डॉलर की एक परियोजना पर काम शुरू किया गया। संकटग्रस्त लग्जरी कोंडो के किरायेदारों को इसके चार साल पहले पता चला था कि ये 58 मंजिला ऊंची इमारत एक दशक में करीब-करीब 16 इंच यानी एक फीट 4 इंच जमीन में धंस चुकी है। वैज्ञानिकों के मुताबिक किसी एक टॉवर या एक शहर के धंसने का मामला बहुत बड़ी समस्या का छोटा-सा हिस्सा है। ये सिर्फ खाड़ी या समुद्रतटीय क्षेत्रों से जुड़ी समस्या भी नहीं है। एक तरफ ऊंची इमारतें और बड़े शहर जमीन में धंस रहे हैं तो दूसरी तरफ ग्लेशियरों के तेजी से पिघलने के कारण समुद्र का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है।
एक जर्नल में प्रकाशित लेख में यह अनुमान लगाने की कोशिश की गई है कि शहरीकरण का बोझ शहरों के डूबने में कितना योगदान देता है। प्रकाशित पेपर में कहा गया है कि शहरों का जमीन में धंसना एक भूगर्भीय घटना है, जिसे भूमि घटाव भी कहा जाता है। मीडिया में आए लेखों के मुताबिक शहरीकरण भूमि घटाव के कई कारणों में से छोटा-सा एक कारण है। इसका असर लगातार बढ़ता ही रहेगा, क्योंकि दुनियाभर में ज्यादा से ज्यादा लोग शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं। ऐसे में कम विकसित क्षेत्रों के मुकाबले घनी आबादी वाले विकसित शहरों के तेजी से डूबने की आशंका है। इस समय धरती की करीब 50 फीसदी आबादी शहरों में रहती है। इसके 2050 तक 70 फीसदी तक बढ़ने का अनुमान है।
यूएस जियोलॉजिकल सर्वे में भूकंप विशेषज्ञ और इस शोध के लेखक टॉम पार्सन्स ने केस स्टडी के तौर पर सैन फ्रांसिस्को के खाड़ी क्षेत्र को रखा। उनका अनुमान है कि सैन फ्रांसिस्को क्षेत्र की सभी इमारतों का सामूहिक वजन लगभग 1.6 ट्रिलियन किलोग्राम या 3.5 ट्रिलियन पाउंड है। समय के साथ जैसे-जैसे शहर का विकास हुआ, हो सकता है कि अकेले इसी कारण भूमि 80 मिलीमीटर या तीन इंच से अधिक धंस गई हो।