कर्नाटक। कर्नाटक में विधानसभा चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दलों की नजरें राज्य में सर्वाधिक संख्या में मौजूद लिंगायत और वोक्कालिगा समुदाय पर टिकी हुई हैं। राज्य में दोनों ही समुदायों की आबादी 34 फीसदी के करीब है, जो आधी से अधिक सीटों पर असर डालती है. कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2023 के लिए जो जानकारी सूत्रों से निकल कर आ रही है उसके अनुसार सामाजिक समीकरणों की बात करें, तो कर्नाटक में लिंगायत करीब 18 फीसदी, वोक्कालिगा 16 फीसदी, दलित लगभग 23 फीसदी, आदिवासी समाज करीब 7 फीसदी और मुस्लिम 12 फीसदी है। इसके अलावा कुर्वा करीब 4 फीसदी है. कर्नाटक की सियासत इन्हीं समीकरणों पर चलती है। लिंगायत समुदाय इस बार भी बीजेपी पर भरोसा जता रहा है. सर्वे में शामिल लिंगायत समुदाय के 67 फीसदी लोगों ने बीजेपी के लिए वोट करने की इच्छा जाहिर की। जबकि वोक्कालिगा समुदाय कांग्रेस और जेडीएस के बीच बंटा हुआ है। सर्वे में शामिल कुल 34 फीसदी लोगों ने कांग्रेस के लिए वोट करने की इच्छा जताई, जबकि 36 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उनका वोट जेडीएस को जाएगा।
वहीं, सर्वे में शामिल कुल 59 फीसदी मुस्लिम लोगों ने कांग्रेस के लिए वोट करने की बात कही है. अगर बात करें अमीर और गरीब वोटर्स की, तो 50 फीसदी गरीब वोटर्स कांग्रेस के समर्थन में हैं, जबकि 23 फीसदी गरीब वोटर्स बीजेपी के समर्थन में हैं. वहीं, अमीर वोटर्स की पसंद बीजेपी है। 46 फीसदी अमीर वोटर्स ने बीजेपी को अपनी पसंद बताया. जबकि 31 फीसदी अमीर वोटर्स कांग्रेस पर भरोसा करते हैं. चुनाव प्रचार और वोटर्स तक पहुंच की बात करें, तो बीजेपी अपनी प्रतिद्वंदी पार्टी कांग्रेस से कुछ मामलों में आगे है। सर्वे के मुताबिक, मोबाइल पर प्रचार का मैसेज भेजने के मामले में बीजेपी, कांग्रेस से आगे है. जबकि जेडीएस तीसरे नंबर पर है।इसके साथ ही जनसभा, वर्चुअल रैली और रोड शो के जरिए भी बीजेपी अपने मतदाता तक पहुंची. कांग्रेस यहां पीछे रह गई है. वहीं, ‘विजय संकल्प यात्रा’ के जरिए बीजेपी ने ग्रामीण इलाकों में 36 फीसदी, शहरी इलाकों में 42 फीसदी तक पहुंच बनाई. कांग्रेस ने ‘भारत जोड़ो’ यात्रा के जरिए ग्रामीण इलाकों में 36 फीसदी, शहरी इलाकों में 46 फीसदी पहुंच बनाई. कर्नाटक में तीसरी पार्टी जेडीएस ने ‘पंचरत्न रथ यात्रा’ की थी।
इसके जरिए जेडीएस ने ग्रामीण इलाकों में 29 फीसदी और शहरी इलाकों में 29 फीसदी तक पहुंच बनाई. सर्वे में लोगों से जब पूछा गया कि सीएम पद के लिए पहली पसंद कौन हैं? इसके जवाब में 40 फीसदी लोगों ने सिद्धारमैया को सीएम कैंडिडेट के तौर पर सबसे लोकप्रिय बताया. वहीं, मौजूदा सीएम बसवराज बोम्मई को 22 फीसदी लोगों, जेडीएस के एचडी कुमारस्वामी को 15 फीसदी लोगों, डीके शिवकुमार को 4 फीसदी, बीएस येदियुरप्पा को 5 फीसदी और अन्य को 12 फीसदी लोगों ने अपनी पसंद बताया. जबकि 2 फीसदी लोगों ने अपनी राय नहीं दी. ऐसे में बोम्मई की चिंता बढ़ सकती है. वहीं, उम्रदराज वोटर्स के बीच सिद्धारमैया पहली पसंद हैं, जबकि बोम्मई को युवा वोटर्स अपनी पसंद बताते हैं. सर्वे में लोगों से पार्टी या उम्मीदवार की प्राथमिकता को लेकर भी सवाल किए गए. इनमें से 56 फीसदी लोगों ने माना कि वो पार्टी को देखकर वोट करते हैं, जबकि 38 फीसदी लोगों ने उम्मीदवार को देखकर वोट करने की बात कही.
जबकि 4 फीसदी लोग सीएम कैंडिडेट के नाम पर वोट करने की बात कही और 2 फीसदी लोगों ने कोई राय नहीं दी.वहीं सर्वे में शामिल 66 फीसदी कांग्रेस वोटर्स ने पार्टी को सबसे महत्वपूर्ण बताया, जबकि 30 फीसदी कांग्रेस वोटर्स ने उम्मीदवार को पार्टी से ऊपर वरीयता दी. इसी तरह 49 फीसदी बीजेपी वोटर्स ने पार्टी को महत्वपूर्ण बताया, जबकि 47 फीसदी बीजेपी वोटर्स ने उम्मीदवार को वरीयता दी. जेडीएस के 54 फीसदी वोटर्स ने पार्टी को प्राथमिकता दी और 36 फीसदी वोटर्स ने उम्मीदवार को प्राथमिकता दी. सर्वे में लोगों से भ्रष्टाचार, परिवारवाद और विकास समेत कई मुद्दों को लेकर भी सवाल किए गए. सर्वे में शामिल 59 फीसदी लोगों ने बीजेपी को सबसे भ्रष्ट पार्टी बताया है, जबकि कांग्रेस को 35 फीसदी लोगों ने भ्रष्ट बताया, वहीं जेडी(एस) को 3 फीसदी लोगों ने इस कैटेगरी में रखा है. परिवारवाद और भाई-भतीजावाद को बढ़ावा देने वाली पार्टी की बात करें तो भाजपा के लिए इसका आंकड़ा भी 59 फीसदी है।
वहीं, कांग्रेस का यह आंकड़ा 30 और जेडीएस के लिए 8 फीसदी है. गुटबाजी की सियासत के सवाल पर 55 फीसदी लोगों का मानना है कि भाजपा इस तरह की ज्यादा राजनीति करती है. वहीं, 30 फीसदी लोगों ने कांग्रेस और 12 फीसदी लोगों ने जेडीएस को इस कैटेगरी में रखा है. कर्नाटक के विकास के लिए 37 फीसदी लोगों ने कांग्रेस को अच्छा बताया है, जबकि भाजपा 37 फीसदी आंकड़ों के साथ दूसरे नंबर पर है. वहीं, जेडीएस के लिए यह आंकड़ा 14 फीसदी है. सांप्रदायिक सद्भाव को बनाए रखने के मामले में भी कांग्रेस 49 फीसदी के साथ पहले नंबर पर है, वहीं, 34 फीसदी लोग इस कैटेगरी में बीजेपी को अपनी पसंद बताते हैं. महाराष्ट्र के साथ सीमा विवाद सुलझाने के मुद्दे पर भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियों पर लोगों ने बराबर भरोसा जताया है. दोनों पार्टियों को इस कैटेगरी में 40%-40% लोगों ने रखा है. जेडीएस के लिए यह आंकड़ा 14 फीसदी है. सर्वे में अलग-अलग तबकों से मौजूदा सरकार के दोबारा सत्ता में आने को लेकर भी सवाल किए गए. इनमें से गरीब तबके के 67 फीसदी लोगों ने सत्ताधारी बीजेपी को नकार दिया है.
वहीं, निचले तबके के 58 फीसदी लोग नहीं चाहते कि बीजेपी सरकार दोबारा चुनकर आए. सर्वे में शामिल मिडिल क्लास के 52 फीसदी लोगों का भी मानना है कि सत्ता बदलनी चाहिए. जबकि 49 फीसदी अमीर लोगों की राय है कि बीजेपी सरकार री-इलेक्ट नहीं होनी चाहिए. ग्रामीण इलाकों के 61 फीसदी लोग मौजूदा सरकार से नाखुश हैं. वहीं, शहरी इलाकों के 50 प्रतिशत लोगों ने भी सत्ताधारी पार्टी बीजेपी से नाखुशी जाहिर की है. सर्वे के लिए कर्नाटक के 21 विधानसभा क्षेत्रों के 82 मतदान केंद्रों में कुल 2143 लोगों से बात की गई. दो मतदान केंद्रों में फील्डवर्क पूरा नहीं हो सका. सर्वे के फील्डत वर्क का को-ऑर्डिनेशन वीना देवी ने किया और कर्नाटक में नागेश के एल ने इसका मुआयना किया. विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों को ‘प्रोबैबलिटी प्रपोर्शनल टू साइज (Probability Proportional to Size)’ सैंपल का इस्तेमाल करके रैंडमली तरीके से चुना गया है. इसमें एक यूनिट के चयन की संभावना उसके आकार के समानुपाती होती है. हर निर्वाचन क्षेत्र से 4 मतदान केंद्रों को सिलेक्ट किया गया था. हर मतदान केंद्र से 40 मतदाताओं को रैंडमली सिलेक्ट किया गया था।
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