वहीं इस दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने धर्मांतरण का परोक्ष रूप से संदर्भ देते हुए रविवार को कहा कि मिशनरी उन स्थितियों का फायदा उठाती है, जिनमें लोगों को लगता है कि समाज उनके साथ नहीं है। भागवत बुरहानपुर में एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे, जहां उन्होंने गोविंदनाथ महाराज की समाधि समर्पित की। भागवत ने कहा, “हम अपनों को नहीं देखते। हम उनके पास जाकर उनसे बात नहीं करते। लेकिन हजारों मील दूर से आकर कुछ मिशनरी वहां आती है और वहां रहती है, उनके भोजन करती है, उनकी भाषा बोलती है और फिर उनका धर्मांतरण करती है।”
भागवत ने कहा कि 100 साल के दौरान लोग सब कुछ बदलने के लिए भारत आए। भागवत ने कहा कि वे सदियों से यहां काम कर रहे हैं लेकिन कुछ हासिल नहीं कर पाए क्योंकि हमारे पूर्वजों के प्रयासों से हमारी जड़ें मजबूत बनी रहीं। उन्होंने कहा, “उन्हें उखाड़ने का प्रयास किया जाता है। इसलिए समाज को उस छल को समझना चाहिए। हमें विश्वास को मजबूत करना है।” उन्होंने कहा कि धोखेबाज लोग विश्वास को डगमगाने के लिए धर्म के बारे में कुछ सवाल करते हैं। उन्होंने कहा, “हमारे समाज ने पहले कभी ऐसे लोगों का सामना नहीं किया, इसलिए लोगों को शंका होती है। हमें इस कमजोरी को दूर करना होगा।
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