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डाकुओं की आराध्य देवी माता लखेश्वरी , चिटौली Gwalior: जंगल में 460 फीट ऊंची पहाड़ी पर दरबार, दर्शनो को आते श्रद्धालु व संतान प्राप्ति पर महिलाएं चढ़ाती पालना

ग्वालियर जिले में डकैतों की देवी के नाम से विख्यात माता लखेश्वरी का अनोख दरबार है। माता का यह दरबार जिला मुख्यालय से करीब 70 किलोमीटर दूर भितरवार क्षेत्र में है। जंगलों में पहाड़ पर लगभग 460 फीट ऊंचाई पर माता रानी का मंदिर है l यहां हजारों श्रद्धालु दर्शनों को आते हैं l कुख्यात डकैत भी इस मंदिर पर घंटे चढ़ाते रहे हैं। भितरवार की ग्राम पंचायत चिटौली के लखिया वन में लखेश्वरी माता का प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिर है।

लाखों लोग मंदिर पर पहुंचकर माता का आशीर्वाद लेते हैं। 460 फीट की ऊंचाई पर बने इस मंदिर तक पहुंचने के लिए 710 सीढ़ियां बनी हैं, परंतु सीढ़ियां सीधी खड़ी होने के कारण श्रद्धालुओं को मंदिर तक पहुंचने के लिए बहुत कष्ट झेलना पड़ता था। श्रद्धालुओं की परेशानी और मंदिर के महत्व को देखते हुए अब यहां रानीघाटी पहुंच मार्ग से मंदिर तक 4.75 किमी सड़क बनाई गई है। इससे वाहन मंदिर तक आसानी से पहुंच जाते हैं।

नरवर के राजा नल ने बनवाया था मंदिर

लखिया वन में 460 फीट की ऊंचाई स्थित पहाड़ी पर बने इस प्राचीन और ऐतिहासिक लखेश्वरी माता मंदिर का निर्माण राजा नल ने कराया था लेकिन लंबे समय तक देखरेख ना होने के कारण यह मंदिर पूरी तरह से जर्जर अवस्था में पहुंच गया था। जब लोगों को पहाड़ी पर मंदिर के कंगूरे नजर आए तो कुछ लोगों ने दुर्गम पहाड़ी पर चढ़ाई की तो वहां आलौकिक रूप में विराजमान माता का मंदिर दिखा। मंदिर के दुर्गम उबड़ खाबड़ रास्तों से होकर पहुंचना बहुत कठिन था। इसी को देखते हुए वर्ष 1981 में लोगों ने मंदिर तक पहुंचने के लिए 710 सीढ़ियां बनवाईं।

संतान प्राप्ति पर महिलाएं चढ़ाती हैं पालना

मान्यता है कि ग्राम गिजोर्रा-मेहगांव निवासी रामानंद नामक संत को माता ने सपना दिया और कहा था कि यहां क्या कर रहे हो चिटोली स्थित लखिया वन में जाओ, वहां ऊंची पहाड़ी पर माता लखेश्वरी का मंदिर है। वहां पहुंचने में भक्तों को परेशानी होती है। उसके लिए तत्काल सीढ़ियां बनवाओ। तो उक्त व्यक्ति द्वारा स्वप्न में माता से विनती करते हुए कहा कि मैं तो अंधा हूं, कैसे जा सकता हूं। जब उसके द्वारा यह बात ग्रामीणों को बताई गई तो ग्रामीण एकत्रित हुए और उन्होंने जन सहयोग से मंदिर पर सीढ़ियों का निर्माण कराया। मंदिर पर महिलाएं संतान प्राप्ति के लिए झूले चढ़ाती हैं। कई लोग मकान की अर्जी लेकर आते हैं, पहाड़ी के पत्थरों से मकान बनाकर अपनी मुराद मांगते हैं।

डकैतों की आराध्य देवी रहीं है माता लखेश्वरी

ग्वालियर चंबल संभाग में एक समय डकैतों की तूती बोलती थी और क्षेत्र में रामबाबू दयाराम, हजरत रावत काफी सक्रिय थे। 90 के दशक में घने जंगलों के बीच मंदिर पर डकैतों का आना जाना था। सबसे बड़ी बात यह है कि डकैतों ने कभी भी मंदिर पर आने जाने वाले श्रद्धालुओं को परेशान नहीं किया। उस दौर में कई श्रद्धालु ऐसे भी हैं, जिन्होंने डकैतों को मंदिर पर देखा पर डकैतों के द्वारा उनसे किसी भी प्रकार का कोई दुर्व्यवहार नहीं किया, इस मंदिर पर उस समय डकैतों के नाम से चढ़े एक-एक क्विंटल के घंटे चढ़ाए हैं। जिन पर हजरत रामबाबू दयाराम के नाम अंकित रहे हैं। डकैतों की माता के दरबार में काफी श्रद्धा रही है। अपनी मनोकामना पूर्ण होने पर वह घंटे चढ़ाते और पूजन करते थे।

Gaurav

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