मुंबई, 21 जून। महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की महाअघाड़ी सरकार बिहार की महागठबंधन सरकार के मार्ग पर जाती दिखाई दे रही है। महाअघाड़ी सरकार के दिग्गज मंत्री एकनाथ शिंदे शिवसेना के 15, एनसीपी के एक और 14 निर्दलीय विधायकों के साथ गुजरात के सूरत में दिन गुजारने पहुंच गए हैं। बारात में शिंदे के अलावा तीन और मंत्री भी हैं। ज्ञातव्य है कि 26 जुलाई 2017 को इसी तरह अचानक बिहार में लालू प्रसाद यादव और नीतिश कुमार का महागठबंधन टूट गया था।
महाराष्ट्र के राजनीतिक सूत्रों के दावे के अनुसार एकनाथ शिंदे ने राकांपा और कांग्रेस से गठबंधन तोड़ भाजपा के साथ गठबंधन की शर्त रखी है। माना जा रहा है कि एकनाथ शिंदे स्वयं मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं। शिंदे ने विधायक संजय राठोड, संजय बांगर और दादा भुसेकुल को मातोश्री भी भेजा, किंतु इसका परिणाम अभी सामने नहीं आया है।
एकनाथ शिंदे बोले–पक्के शिवसैनिक हैं, धोखा नहीं देंगे
विद्रोह के मार्ग पर जाने के बाद शिवसेना ने शिंदे को विधायक दल के नेता पद से हटा दिया है। पार्टी के इस निर्णय के बाद शिंदे ने ट्वीट किया–हम बालासाहेब के सच्चे शिवसैनिक हैं। बालेसाहेब ने हमें हिंदुत्व सिखाया है। हम सत्ता के लिए कभी भी धोखा नहीं देंगे।
सूरत के ली–मेरिडियन होटल में रुके हैं महाअघाड़ी के विद्रोही
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सभी विधायक सूरत के ली मेरिडियन होटल में रुके हैं। ये सभी सोमवार शाम से ही संपर्क से बाहर बताए जा रहे हैं। सूत्रों के अनुसार एकनाथ शिंदे के साथ शिवसेना के 15 विधायक सूरत के होटल में रुके हैं। इनमें शहाजी बापू पाटील, महेश शिंदे, भरत गोगावले, महेंद्र दळवी, महेश थोरवे, विश्वनाथ भोईर, संजय राठोड, संदीपान भुमरे, उदयसिंह राजपूत, संजय शिरसाठ, रमेश बोरणारे, प्रदीप जैसवाल, अब्दुल सत्तार और तानाजी सावंत शामिल हैं।
बहुत किठन है भाजपा की डगर
महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए कुल 145 विधायकों की जरूरत है, जबकि महाराष्ट्र में भाजपा के मात्र 106 विधायक हैं। सरकार बनाने के लिए न्यूनतम 39 विधायकों के समर्थन की आवश्यकता है। इसके साथ ही दल-बदल विरोधी विधान के कारण दूसरी पार्टियों से टूटकर आए विधायकों के भविष्य पर प्रश्न-चिन्ह लगा रहेगा। यह कानून तभी बाधक नहीं होगा जब शिवसेना या अन्य किसी भी दल से टूटने वाले विधायकों की कुल संख्या संबंधित दल के कुल विधायकों की दो तिहाई हो। अर्थात, एकनाथ शिंदे को भाजपा के साथ सरकार बनाने के लिए न्यूनतम 36 विधायकों को तोड़ना होगा। ज्ञातव्य है कि शिवसेना के साथ अभी 54 विधायक हैं जिसकी दो-तिहाई संख्या 36 ही होती है। कांग्रेस के 44 विधायक हैं। सूत्रों के अनुसार इनमें से 10 के साथ कोई संपर्क नहीं हो पा रहा है। कांग्रेस में सेंध के लिए 29 बागी विधायकों की जरूरत होगी। यही वजह है कि बीजेपी काफी फूंक-फूंक कर कदम रख रही है। भाजपा को विदित है कि विधायकों के आंकड़े जुटने से सरकार बन तो जाएगी, किंतु दल-बदल विरोधी विधान की तलवार के वार से बचना कठिन होगा।
उद्धव समर्थक शिव-सैनिकों ने भी संभाला जवाबी मोर्चा
महाराष्ट्र की वर्तमान राजनीतिक स्थिति से निपटने के लिए शिवसेना ने भाजपा के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया है। उद्धव समर्थक शिव-सैनिकों ने भाजपा विरोधी नारेबाजी करते हुए दावा किया है कि हमारे साथ 56 विधायक हैं। इनमें से 18 मुंबई में हुई बैठक में सम्मिलित हुए थे जबकि अन्य मार्ग में हैं और शीघ्र ही मुंबई पहुंच रहे हैं। ज्ञातव्य है कि शाम मंगलवार शाम अजित पवार और उद्धव ठाकरे के बीच बैठक होने वाली है। सूत्रों के अनुसार 11 विधायकों के फोन पहुंच से बाहर हैं।
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