ग्वालियर, 05 अप्रेल। पीतांबरा शक्तिपीठ में मां बगलामुखी का रक्षा स्वरूप में विराजी हैं। साथ ही मां धूमावती भी प्रतिष्ठित हैं। यह दोनों देवी माताओं की एक साथ प्रतिष्ठा वाला देश का एकमात्र मंदिर है। इसी लिए यहां राज सत्ता और शक्ति प्राप्ति के लिए अनुष्ठान किए जाते हैं। देश भर के राजनीतिज्ञ सत्ता, शक्ति और सफलता की कामना से अनुठान कराते रहे हैं। बताया जाता है कि 1935 में स्थापित इस शक्तिपीठ में 1962 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के आग्रह पर पीठाधीश्वर स्वामी जी महाराज ने 51 कुंडीय यज्ञ किया था। यज्ञ के 11वें दिन अंतिम आहुति के साथ ही चीन ने बार्डर से अपनी सेनाएं पीछे हटा लीं थीं।
कोरोना संकट से उबरे देश में दो वर्ष पश्चात इन दिनों चैत्र नवरात्र धूमधाम से मनाया जा रहा है। khabarkhabaronki.com इस अवसर पर विशेष श्रृंखला के अंतर्गत प्रस्तुत कर रहा है ग्वालियर-चंबल अंचल के प्रमुख देवी मंदिरों की पावन गाथा। इसी कड़ी में जानिए देश भर के भक्तों की श्रद्धा-केंद्र रक्षा-स्वरूपा पीतांबरा पीठ दतिया की रोचक कहानी। संकट मोचक होते हैं यहां किए गए अनुष्ठान….
-1962 में जब चीन ने भारत पर हमला किया तो तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू जिन्हें मित्र देश मानते थे वह भी भारत के संकट पर मूक दर्शक बन गए थे।
– तभी किसी ने उनसे दतिया के पीतांबरा पीठ के स्वामीजी से मिलने की सलाह दी थी। नेहरू तत्काल दतिया पहुंचे और स्वामी जी से राष्ट्रहित में यज्ञ करने का आग्रह किया।
– देश की रक्षा के लिए पीतांबरा पीठ में 51 कुंडीय महायज्ञ कराया गया और इसमें कई अफसरों और फौजियों ने आहुति डाली। अंतिम आहुति 11वें दिन डाली गई इसके तत्काल बाद ही चीन ने सीमा से अपनी सेनाएं वापस बुला लीं। उस समय बनाई गई यज्ञशाला पीठ में आज भी मौजूद है।
– बताया जाता है कि चीनी सैनिकों के समक्ष अंतिम आहुति के बाद विशालकाय स्त्री-स्वरूपा काली छाया अचानक प्रकट हो गई थी। चीनी सैनिक इसका रहस्य समझ नहीं पाए और डर कर पीछे लौट गए थे। इस रहस्यम घटना की सूचना वरिष्ठ अधिकारियों को भेजी गई। इसके साथ ही भारत के सैनिकों तक हथियारों की आपूर्ति एवं अतिरिक्त सैन्य टुकड़ियां भी पहुंचने लगी थीं। समस्त सूचनाएं मिलते ही चीनी सैन्य अधिकारियों ने अपने सैनिकों को वापस बुलाने में ही भलाई समझी थी।
बहुधा होते रहे हैं गोपनीय राष्ट्र रक्षा अनुष्ठान
– 1962 के चमत्कार के बाद से जब भी देश पर संकट आया है, तब गोपनीय रूप में पीतांबरा पीठ में साधना व यज्ञ कराए जाते रहे हैं।
– भारत-चीनके 162 युद्ध के बाद से 1965 और 1971 में भारत-पाक युद्ध के दौरान भी दतिया के शक्तिपीठ में विशेष अनुष्ठान किया गया था। कारगिल युद्ध के समय भी अटल बिहारी वाजपेयी की ओर से पीठ में एक यज्ञ का आयोजन किया गया और आहुति के अंतिम दिन पाकिस्तान को पीछे हटना पड़ा।
नेहरू-इंदिरा से वाजपेयी और राज ठाकरे से संजय दत्त, सभी ने नवाया है मां के दरबार में शीश
मध्यप्रदेश के दतिया जिले में स्थित मां पीतांबरा को राजसत्ता का आशीर्वाद देने वाली देवी भी माना जाता है। राजनीतिक भक्त उनकी इसी स्वरूप में आराधना करते हैं। राजसत्ता की कामना रखने वाले भक्त यहां आकर गुप्त पूजा अर्चना करते हैं। मां पीतांबरा शत्रुनाश की अधिष्ठात्री देवी है और राजसत्ता प्राप्ति में मां की पूजा का विशेष महत्व होता है। इसीलिये पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी या अटल बिहारी वाजपेयी हों अथवा राजमाता विजयाराजे सिंधिया, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान,पूर्व मुख्यमंत्री दिगि्वजय सिंह, उमाभारती मुबई बम कांड के आरोपी फिल्म अभिनेता संजय दत्त तक यह सूची बहुत लंबी है। माना जाता है कि इस स्थान पर शीश नवाने वाले को मनोकामनापूर्त का आशीष अवश्य मिलता है। मंदिर प्रांगण में ही वनखंडेश्वर महादेव शिवलिंग भी स्थापित हैं। बताया जाता है कि इस शिव विग्रह की स्थापना महाभारत विजेता पाण्डवों ने की थी।
आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ता भारत जीपीएस स्पूफिंग और सैटेलाइट इमेजरी जैसे खतरे भारत के लिए…
Ira Singh Khabar Khabaron Ki,27 July'25 The United States has taken a decisive step to…
Ira Singh Khabar Khabaron Ki,26 July'25 India’s foreign exchange reserves fell by $1.183 billion to…
Ira Singh Khabar Khabaron Ki,21 July'25 Indian cryptocurrency exchange CoinDCX has reported a security breach…
Ira Singh khabar Khabaron Ki,20 July'25 Madhya Pradesh Chief Minister Dr. Mohan Yadav has identified…
Ira Singh Khabar Khabaron Ki,17 July'25 MP Chief Minister Dr. Mohan Yadav, during his visit…