नई दिल्ली, 25 जनवरी। गांधी परिवार के निकट माने जाते रहे कांग्रेस के दिग्गज नेता आरपीएन सिंह ने स्टार प्रचारक बनाए जाने के एक दिन बाद कांग्रेस का हाथ छोड़कर भाजपा का कमल थाम लिया। ज्ञातव्य है कि सोमवार को ही उन्हें उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल किया गया था। इसके साथ ही यह झारखंड में कांग्रेस के प्रभारी भी थे। मंगलवार को कांग्रेस से त्यागपत्र दे देकर आरपीएन सिंह ने ने राहुल-प्रियंका की जोड़ी को बड़ा झटका दे दिया। चर्चा है कि भाजपा पड़रौना में राजवंश के वर्तमान वंशज आरपीएन सिंह के प्रभाव को देखते हुए उन्हें कुछ दिन पूर्व भाजपा छोड़ सपा में गए स्वामी प्रसाद मौर्य के विरुद्ध मैदान में उतार सकती है।
जिस पार्टी में 32 साल रहा अब वो पार्टी नहीं रह गई कांग्रेस: आरपीएन सिंह
कांग्रेस छोड़ भाजपा में आए आरपीएन सिंह का स्वागत करने भाजपा के उत्तरप्रदेश प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, अनुराग ठाकुर, उत्तरप्रदेश भाजपा के अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और दिनेश शर्मा उपस्थित रहे। धर्मेंद्र प्रधान ने उन्हें भाजपा में सम्मिलित किया। पार्टी में शामिल होने के बाद आरपीएन सिंह ने कहा कि 32 साल जिस राजनीतिक दल में रहा वह पुरानी कांग्रेस नहीं रह गई है। आरपीएन सिंह के कांग्रेस छोड़ भाजपा में जाने पर कांग्रेस में बौखलाहट देखी जा रही है। कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने संवाद माध्यमों से चर्चा में कहा–कांग्रेस पूरे देश में जो लड़ाई लड़ रही है, खास तौर पर उत्तरप्रदेश में, वह सरकारी संसाधनों और इसकी एजेंसियों के खिलाफ है। यह विचारधारा और सत्य की लड़ाई है और इस तरह का युद्ध लड़ने के लिए आपके अंदर साहस और समर्पण होना चाहिए। मुझे नहीं लगता कि यह लड़ाई कायरों के लिए है। जैसा कि प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा है कि आप कायर होकर इस लड़ाई में शामिल नहीं हो सकते हैं।
कुंवर रतनजीत प्रताप नारायण सिंह का पड़रौना-कुशीनगर में है प्रभाव
आरपीएन सिंह अर्थात कुंवर रतनजीत प्रताप नारायण सिंह पड़रौना के राजा साहब के नाम से जाने जाते हैं। इनका जन्म सैंथवार के शाही परिवार में 25 अप्रैल 1964 को हुआ था। उनके पिता स्वर्गीय सीपीएन सिंह कुशीनगर से सांसद थे। इसके साथ ही 1980 में इंदिरा गांधी की सरकार में वो रक्षा राज्य मंत्री भी थे। पिता के नक्शे कदम पर ही चलते हुए आरपीएन सिंह पहले कांग्रेस से तीन बार विधायक बने और एक बार सांसद रहे। पडरौना उनकी परंपरागत सीट रही है। आरपीएन सिंह 1996 में पहली बार कांग्रेस के टिकट पर यहां से विधायक बने। फिर 2002 और 2007 में भी उन्होंने अपनी जीत को बरकरार रखा। कांग्रेस ने 2009 में कांग्रेस ने उन्हें कुशीनगर लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में उतारा, आरपीएन सिंह ने जीत का सिलसिला बरकरार रखा और पहली बार लोकसभा पहुंचे। यूपीए-2 की मनमोहन सिंह की सरकार में उन्हें मंत्री पद भी मिला था। भाजपा का प्रभाव बढ़ने पर 2014 में इनके हाथ से विजय छिनने लगी। आरपीएन सिंह को 2014 में भाजपा के राजेश पांडे ने हरा दिया। उन्हें 2019 में भी हार ही मिली हुई। इसके बाद भी कांग्रेस में आरपीएन सिंह का रूतबा कम नहीं हुआ। इन्हें AICC सेक्रेटरी के साथ-साथ छत्तीसगढ़ और झारखंड में कांग्रेस प्रभारी बनाया गया। आरपीएन सिंह कांग्रेस और नेहरू-गांधी परिवार के चहेते बने रहे।
कांग्रेस ने आरपीएन सिंह की सुध लेने में कर दिया थोड़ा विलंब
राजनीतिक जानकारों के अनुसार वर्तमान चुनाव में आरपीएन सिंह का कद घटता महसूस हुआ। उत्तरप्रदेश में वर्तमान विधानसभा चुनाव में आरपीएन सिंह को कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं दी गई थी। कांग्रेस ने इन चुनावों में ज्यादातर नए कंधों पर जिम्मेदारियां दीं औऱ चुनाव की कमान प्रियंका गांधी के हाथ में कमान है। सोमवार को स्टार प्रचारकों की सूची में आरपीएन सिंह का नाम था, किन्तु कहा जा रहा है कि कांग्रेस ने थोड़ा विलंब कर दिया, सूची तय होने से पहले ही आरपीएन सिंह भाजपा के बड़े नेताओं के साथ बैठकें कर चुके थे।
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