राजनीति

किसानों को मिली सरकार की चिट्ठी, वापसी के लिए उखड़ने लगे तंबू, आंदोलन समाप्ति की औपचारिक घोषणा गुरुवार शाम

नई दिल्ली, 09 दिसंबर। दिल्ली की सीमाओं पर विगत एक वर्ष से जारी किसान आंदोलन गुरुवार को समाप्त हो गया है। औपचारिक घोषणा शाम  तक की जाएगी, किंतु केंद्र सरकार की तरफ से बुधवार को भेजे गए संशोधित प्रस्ताव के बाद संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में आंदोलन समाप्त के प्रस्ताव पर सहमति बन गई। गुरुवार को किसानों की मांगे स्वीकार किए जाने के संबंध में केंद्र सरकार का आधिकारिक पत्र मिल चुका है। अब गुरुवार शाम तक किसान आंदोलन समाप्त करने की घोषणा कर दी जाएगी।

पंजाब की 32 जत्थेबंदियों ने बैठक कर कहा था कि 11 दिसंबर को उनकी आंदोलन से वापसी हो जाएगी और 15 दिसंबर तक तक सभी टोल से धरना हटा लिया जाएगा। संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक जारी है और उम्मीद की जा रही है कि देर शाम तक मोर्चा की बैठक में औपचारिक निर्णय ले लिया जाएगा।

लगातार खींचतान, मैराथन बैठकों की दौर के बाद अंततः किसानों के चेहरों पर खुशी दिखाई देने लगी। लंबित मांगों को माने जाने के प्रस्ताव को सुधार के साथ सरकार ने बुधवार को मोर्चा की कमेटी के पास भेजा था। कमेटी ने प्रस्ताव के सभी बिंदुओं पर मोर्चा की कुंडली बॉर्डर पर चली बैठक में रखा, जिस पर सभी किसान नेताओं ने हामी भर दी। संयुक्त किसान मोर्चा की पांच सदस्यीय कमेटी के सदस्य गुरनाम सिंह चढूनी, शिवकुमार शर्मा कक्का, युद्धवीर सिंह, बलबीर सिंह राजेवाल व अशोक धवले ने पत्रकारवार्ता कर इसकी जानकारी दी। 

किसानों की कमेटी ने मंगलवार को सरकार के भेजे प्रस्ताव के तीन बिंदुओं पर आपत्ति जताकर उनमें सुधार की मांग की थी। इसके जवाब में बुधवार को सुबह ही सरकार की तरफ से संशोधित प्रस्ताव भेज दिया गया। इसके सभी बिंदुओं पर मोर्चा की गठित कमेटी ने बैठक कर चर्चा की और इसके बाद तीसरे पहर तीन बजे कुंडली बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में यह प्रस्ताव रखा। करीब दो घंटे की चर्चा के बाद मोर्चा की बैठक में प्रस्ताव के सभी बिंदुओं पर सहमति बन गई। 

बैठक से बाहर आने के बाद कमेटी के सदस्यों ने पत्रकारों को बताया कि सरकार द्वारा भेजे गए संशोधित प्रस्ताव पर सहमति बन गई है, लेकिन अभी यह प्रस्ताव अधिकृत पत्र के रूप में उनके पास नहीं आया है। सरकार को सहमति बनने से संबंधित जवाब भेज दिया गया है और गुरुवार दोपहर तक अधिकृत पत्र मांगा था। पत्र मिलते ही फिर से संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक प्रारंभ हुई। आंदोलन स्थगित करने का निर्णय पर औपचारिक मुहर इसी बैठक में लगाई जाएगी।

सरकार व किसानों के बीच सकारात्मक दिख रहा माहौल 

किसान मोर्चे की सरकार के साथ सभी मांगों पर सहमति बन ही गई। पांच सदस्यीय कमेटी के गठन के बाद इसका रास्ता बन गया था। सरकार ने लगातार कमेटी से संपर्क बनाए रखा और सभी मांगों के हर बिंदु पर मंथन हुआ। सरकार ने सकारात्मक रवैया दिखाया तो किसानों के तेवर भी नरम पड़ गए। एमएसपी पर कमेटी को लेकर मोर्चा की शर्त को मान लिया गया तो वहीं हरियाणा, उत्तराखंड, मध्यप्रदेश व उत्तर प्रदेश सरकार ने केस वापस लेने पर सहमति जता दी है। सरकार की मांग पर किसानों ने लखीमपुर मामले में केंद्रीय मंत्री की बर्खास्तगी से संबंधित मांग को प्रस्ताव से हटा लिया था।

अधिकृत पत्र मिलते ही आंदोलन हो जाएगा खत्म

किसानों ने सरकार के प्रस्ताव पर मंथन करने के बाद प्रेस वार्ता में कहा कि नए प्रस्ताव पर एसकेएम में सहमति बन गई है। किसानों ने प्रेस वार्ता में केवल ये मांग रखी की इस प्रस्ताव को हस्ताक्षर के साथ अधिकृत पत्र के रूप में किसानों को दिया जाए। इससे स्पष्ट है कि अधिकृत पत्र मिलने पर किसान आंदोलन को समाप्त कर देंगे। हालांकि किसान नेताओं ने प्रेस वार्ता में पत्र मिलने के बाद आगे का फैसला लेने की बात कही। सरकार की तरफ से बुधवार को ही किसानों की पांच सदस्यीय कमेटी के संबंधि में संशोधित प्रस्ताव भेज दिया गया, जिसके बाद सहमति बन गई।


केंद्र सरकार ने इस बार सीधे संयुक्त किसान मोर्चा की 5 मेंबरी हाईपावर कमेटी से मीटिंग की। हाईपावर कमेटी के मेंबर बलबीर राजेवाल, गुरनाम चढ़ूनी, अशोक धावले, युद्धवीर सिंह और शिवकुमार कक्का नई दिल्ली स्थित ऑल इंडिया किसान सभा के ऑफिस पहुंचे, जहां वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए केंद्रीय गृह मंत्रालय के अफसर भी जुड़े। सबसे बड़ा पेंच केस पर फंसा था, जिसे तत्काल वापस लेने पर केंद्र राजी हो गया।

पंजाब के किसान संगठनों की अहम भूमिका
किसान आंदोलन को खत्म करवाने में सबसे अहम भूमिका पंजाब के 32 किसान संगठनों की रहेगी। केंद्र सरकार के तीन विवादित कृषि सुधार कानूनों का विरोध पंजाब से ही शुरू हुआ। इसके बाद दिल्ली बॉर्डर पर हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्यप्रदेश से किसान साथ जुड़े। पंजाब के संगठनों की इकलौती मांग कृषि कानूनों की वापसी थी, जिसे केंद्र ने एक साल के बाद मान लिया। अब पंजाब के संगठन चाहते थे कि मुख्य मांग पूरी हो चुकी, इसलिए आंदोलन खत्म हो जाना चाहिए।

वापसी की योजना भी तय

आंदोलन की अगुआई करने वाले पंजाब के 32 किसान संगठनों ने अपना कार्यक्रम भी बना लिया है। जिसमें 11 दिसंबर को दिल्ली से पंजाब के लिए फतेह मार्च होगा। सिंघु और टिकरी बॉर्डर से किसान एकसाथ पंजाब के लिए वापस रवाना होंगे। पंजाब के 32 संगठनों के नेता अमृतसर स्थित श्री दरबार साहिब में 13 दिसंबर को मत्था टेकेंगे। उसके बाद 15 दिसंबर को पंजाब में करीब 116 जगहों पर लगे मोर्चे खत्म कर दिए जाएंगे। हरियाणा के 28 किसान संगठन भी अलग से रणनीति बना चुके हैं। पंजाब और हरियाणा के किसान संगठनों के अलावा सभी नेता अपने संगठनों के साथ मीटिंग कर आंदोलन खत्म करने की बात कह चुके हैं।

gudakesh.tomar@gmail.com

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