अजब-गजब

डॉक्टर की वहशतःओमिक्रॉन-डिप्रेशन के नाम पर कर दी पत्नी, बेटा-बेटी की निर्मम हत्या, नोट में लिखा–अब लाशें नहीं गिननी हैं ओमिक्रॉन

कानपुर, 04 दिसंबर। उत्तरप्रदेश के कानपुर में एक डॉक्टर ने अपने पूरे परिवार को बेरहमी से मार डाला। पुलिस के मुताबिक, घर में शुक्रवार शाम डॉ.सुशील कुमार के पत्नी, बेटे और बेटी की लाश मिली। डॉक्टर ने शवों के पास एक नोट भी छोड़ा। इसमें लिखा है कि कोविड के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन के आने के बाद अब और लाशें नहीं गिननी हैं। ये सबको मार डालेगा। डॉक्टर ने यह भी लिखा–उसे कोविड-19 संबंधी डिप्रेशन है। डॉ.सुशील ने संध्या लगभग 5:30 बजे जुड़वां भाई डॉ.सुनील को भेजे मैसेज में लिखा–सुनील पुलिस को इंफार्म करो, मैंने डिप्रेशन में हत्या कर दी है। डॉ.सुनील ने पुलिस को सूचना दी, लेकिन पुलिस के पहुंचने से पहले ही डॉ.सुशील फ़रार हो गया। पुलिस डिप्रेशन के अतिरिक्त हत्या के दूसरे कारणों की भी तलाश कर रही है। शाम को अचानक पत्नी के लिएर चोट की, बच्चों का गला घोंटा और फरार….

कानपुर के कल्याणपुर निवासी डॉ.सुशील कुमार ने शुक्रवार शाम पत्नी और बेटा-बेटी की हत्या कर दी। उसने पहले पत्नी के सिर पर किसी भारी चीज से वार किया। फिर बेटे और बेटी का गला घोंट दिया। इसके बाद उसने जुड़वां भाई डॉ.सुनील को संध्या लगभग 5:30 बेजे मैसेज भेजा–पुलिस को इनफार्म करो, मैंने डिप्रेशन में हत्या कर दी है। पुलिस को जानकारी दी गई, लेकिन पहुंचने से पहले वह फ़रार हो गया। पुलिस डॉ सुशील को अब तक गिरफ्तार नहीं कर सकी है। हत्या-स्थल से मिले नोट की वजह से माना जा रहा है कि उसने यह कदम कोरोना के डिप्रेशन और ओमिक्रॉन की दहशत की वजह से उठाया है। हालांकि जुड़वा भाई डॉ.सुनील के मुताबिक, डॉ.सुशील कुछ समय से डिप्रेशन में था।

अपराधपूर्व लिखे नोट में लिखा–ओमिक्रॉन किसी को नहीं छोड़ेगा

मौके से मिले 10 पेज के नोट में डॉ.सुशील ने लिखा–अब और कोविड नहीं, ये कोविड अब सभी को मार डालेगा। ओमिक्रॉन किसी को नहीं छोड़ेगा, अब लाशें नहीं गिननी हैं। अपनी लापरवाही के चलते कॅरियर के उस मुकाम पर फंस गया हूं, जहां से निकलना असंभव हैं। डॉ.सुशील कानपुर में इंद्रानगर के डिविनिटी अपार्टमेंट में रहते थे। पत्नी चंद्रप्रभा की उम्र 48 वर्ष थी। बेटा शिखर 8 और खुशी 16 वर्ष की थी।  पुलिस ड्रिप्रेशन के अलावा हत्या के दूसरे एंगल पर भी जांच कर रही है।

भाई ने तुड़वाया दरवाजा तो मिले भाभी, भतीजे-भतीजी के शव

शुक्रवार शाम 5:32 बजे डॉ.सुशील कुमार ने जुड़वां भाई डॉ.सुनील को आखिरी मैसेज किया। मैसेज को पढ़ते ही पुलिस को सूचना दे डॉ.सुनील अपार्टमेंट पहुंचे। अंदर से बंद दरवाजे को तुड़वाकर डॉ.सुनील कमरे में पहुंचे तो उन्हें भाभी चंद्रप्रभा, भतीजे शिखर और भतीजी खुशी के शव मिले। पुलिस भी मौके पर पहुंची, प्रारंभिक छानबीन में घटनास्थल पर एक डायरी में नोट भी मिला। जिसमें डॉ.सुशील ने परिवार की हत्या समेत अपने जिंदगी को लेकर बातें लिखी थीं। भाई सुनील के मुताबिक, डॉ.सुशील कुछ समय से डिप्रेशन में थे। पत्नी-बच्चों की हत्या के बाद वह कहां है, यह किसी को नहीं पता है, इसलिए पुलिस उनकी तलाश कर रही है।

डॉ.सुशील ने 10 पृष्ठों के नोट में लिखीं कॅरियर संबंधी परेशानियां
अब और कोविड नहीं, ये कोविड ओमिक्रॉन अब सभी को मार डालेगा। अब और लाशें नहीं गिननी हैं। अपनी लापरवाही के चलते करियर के उस मुकाम पर फंस गया हूं। जहां से निकलना असंभव हैं। मेरा कोई भविष्य नहीं है। मैं अपने होश-ओ-हवास में अपने परिवार को खत्म करके खुद को खत्म कर रहा हूं। इसका जिम्मेदार और कोई नहीं। मैं लाइलाज बीमारी से ग्रस्त हो गया हूं। आगे का भविष्य कुछ भी नजर नहीं आ रहा है। इसके अलावा मेरे पास कोई और चारा नहीं है। मैं अपने परिवार को कष्ट में नहीं छोड़ सकता। सभी को मुक्ति के मार्ग में छोड़कर जा रहा हूं। सारे कष्टों को एक ही पल में दूर कर रहा हूं। अपने पीछे मैं किसी को कष्ट में नहीं देख सकता। मेरी आत्मा मुझे कभी भी माफ नहीं करेगी। आंखों की लाइलाज बीमारी की वजह से मुझे इस तरह का कदम उठाना पड़ रहा है। पढ़ाना मेरा पेशा है। जब मेरी आंख ही नहीं रहेगी तो मैं क्या करूंगा’।

अलविदा….

मेडिकल कॉलेज फॉरेंसिक विभाग का HOD है डॉ.सुशील
डॉ.सुशील कुमार कानपुर के रामा मेडिकल कॉलेज में फॉरेंसिक विभाग का विभाग्ध्यक्ष है। कानपुर मेडिकल कॉलेज के विद्यार्थी रहते 15 साल पहले उसने GSVM से MBBS किया है। मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डीएन त्रिपाठी ने बताया दो दिन पूर्व ही सुशील से उनकी मुलाकात हुई थी, बातचीत के दौरान ऐसा नहीं लगा था कि वह मानसिक तनाव में हैं। उसका व्यवहार और बातचीत सभी के साथ बहुत सरलसंतुलित रहा है। कभी भी उसका आफिस स्टॉफ में किसी से मनमुटाव नहीं हुआ है। दो दिन पूर्व कहीं से नहीं लग रहा था कि वह मानसिक तनाव से गुजर रहा है। अब उसके अंदर क्या कुछ चल रहा है, इसके बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है।

gudakesh.tomar@gmail.com

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