ग्वालियर, 26 नवंबर। मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय जबलपुर की लापरवाही के कारण हजारों पैरामेडिकल छात्रों का भविष्य अंधकारमय हो गया है। 4 साल की स्नातक परीक्षा वह छह साल में भी पूरी नहीं कर पा रहे हैं। विद्यार्थी चिकित्सा शिक्षा मंत्री से भी गुहार लगा चुके हैं कि उन्हें जनरल प्रमोशन दिया जाए, लेकिन उनकी अभी तक न तो पैरामेडिकल काउंसिल ने सुनवाई की है और न ही चिकित्सा शिक्षा मंत्री ने कोई आश्वासन दिया है। आखिरकार इन विद्यार्थियों को उच्च न्यायालय की शरण में जाना पड़ा है। याचिका पर सुनवाई करते हुए शुक्रवार को मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने सरकार को नोटिस जारी किए हैं। डिग्री दो वर्ष पिछड़ी इसलिए मांग रहे जनरल प्रमोशन…..
दरअसल बीपीटी, बीएमएलटी और डीएमएलटी के विद्यार्थियों को आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर जनरल प्रमोशन की मांग लंबे अरसे की जा रही है। पैरामेडिकल विद्यार्थियों की परेसानी है कि यह सभी पाठ्यक्रम आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय जबलपुर से संबंधित है। जबलपुर आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय इनके लिए परीक्षा का आयोजन करता है। लेकिन, कोरोना संक्रमण के कारण दो वर्ष से परीक्षाएं नहीं हो सकी, और डिग्री दो वर्ष पिछड़ गई।
नर्सिंग को मिला तो दूसरे पैरा-मेडिकल को क्यों नहीं जनरल प्रमोशन ज्ञातव्य है कि पूरे प्रदेश में 25 हजार से भी अधिक पैरामेडिकल विद्यार्थी हैं। उन्होंने अपने भविष्य को ध्यान देते हुए में रखते हुए जनरल प्रमोशन की मांग की है। आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर छात्रों को प्रमोट किया जा सकता है, क्योंकि मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय जबलपुर नर्सिंग पाठ्यक्रमों के प्रथम द्वितीय तृतीय वर्ष को पूर्व में जनरल प्रमोशन दे चुका हैं।
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