भोपाल, 15 नवंबर। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के जम्बूीरी मैदान पर जनजाती समुदाय में भगवान कहे जाने वाले अमर शहीद बिरसामुंडा की जयंती पर सोमवार को आयोजित जनजातीय महासम्मे लन में पहुंच कर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भगवान बिरसा मुंडा को श्रद्धा-सुमन अर्पित किए। दौरान उनके साथ राज्युपाल मंगूभाई पटेल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर औऱ ज्योतिरादित्. सिंधिया समेत भाजपा के प्रदेश अध्या व कार्यकर्ता उपस्थित रहे। प्रधानमंत्री ने मंच पर घूम-घूम कर आदिवासी जनसमुदाय का अभिवादन किया। आयोजन परिसर जनसमुदाय के मोदी-मोदी स्वरों से गूंजता रहा। प्रधानमंत्री का बैगा माला और शाल से अभिनंदन किया गया।
सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भोपाल में कई आयोजनों में शामिल हुए। सर्वप्रथम वह रानी दुर्गावती की जिंदगी पर आधारित फोटो प्रदर्शनी में पहुंचे। प्रधानमंत्री ने हवीबगंज से बदलकर रानी कमलापति के नाम से नामकृत आधुनिक साज-सज्जा एवं संसाधनों से युक्त नवीनीकृत रेलवे स्टेशन का औपचारिक शुभारंभ किया। इसके बाद वह जनजातीय गौरव दिवस आयोजन में पहुंचे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंच् से बिरसा मुंडा जयंती की सबको शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि ये पूरे देश के लिए बहुत बड़ा दिन है, भारत अपना पहला जनजातीय गौरव दिवस मना रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि अब यह दिवस प्रतिवर्ष मनाया जाएगा।
जनजातीय समाज के योगदान के बारे में अब तक बताया ही नहीं गया
जनजातीय गौरव दिवस आयोजन के मंच से प्रधान मंत्री मोदी ने कहा–आज जब हम राष्ट्रीय मंचों से राष्ट्र निर्माण में जनजातीय समाज के योगदान की चर्चा करते हैं तो कुछ लोगों को हैरानी होती है। इसकी वजह यह है कि जनजातीय समाज के योगदान के बारे में या तो देश को बताया ही नहीं गया, अगर बताया भी गया तो बहुत ही सीमित दायरे में जानकारी दी गई। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि आज़ादी के बाद दशकों तक जिन्होंने देश में सरकार चलाई, उन्होंने अपनी स्वार्थ भरी राजनीति को ही प्राथमिकता दी।
इनके संसाधनों का दोहन हुआ, जनजातीय भाई हुनर के असली हीरो-इन्हें भुलाया
प्रधानमंत्री ने कहा–देश का जनजातीय क्षेत्र, संसाधनों के रूप में, संपदा के मामले में हमेशा समृद्ध रहा है, लेकिन जो पहले सरकार में रहे, वह बस इनके दोहन की नीति पर चले। हम इन क्षेत्रों के सामर्थ्य के सही इस्तेमाल की नीति पर चल रहे हैं। अभी हाल में पद्म पुरस्कार दिए गए, और जनजातीय समाज से आने वाले साथी जब राष्ट्रपति भवन पहुंचे तो दुनिया हैरान रह गई। आदिवासी और ग्रामीण समाज में काम करने वाले देश के असली हीरो हैं।
जनजातीय बलिदान को स्मरण किए बिना स्वातंत्र्य आंदोलन का उल्लेख अधूरा
प्रधानमंत्री मोदी ने जनजातीय भाषा में कार्यक्रम को संबोधित करना शुरू किया। उन्होंने कहा–आज भारत, अपना पहला जनजातीय गौरव दिवस मना रहा है। पीएम ने कहाकि आजादी के बाद देश में पहली बार इतने बड़े पैमाने पर, पूरे देश के जनजातीय समाज की कला-संस्कृति, स्वतंत्रता आंदोलन और राष्ट्रनिर्माण में उनके योगदान को गौरव के साथ याद किया जा रहा है, उन्हें सम्मान दिया जा रहा है। आजादी की लड़ाई में जनजातीय नायक-नायिकाओं की वीर गाथाओं को देश के सामने लाना और उससे नई पीढ़ी को परिचित कराना, हमारा कर्तव्य है। गुलामी के कालखंड में विदेशी शासन के खिलाफ खासी-गारो आंदोलन, मिजो आंदोलन, कोल आंदोलन समेत कई संग्राम हुए। गोंड महारानी वीर दुर्गावती का शौर्य हो या फिर रानी कमलापति का बलिदान, देश इन्हें भूल नहीं सकता। वीर महाराणा प्रताप के संघर्ष की कल्पना उन बहादुर भीलों के बिना नहीं की जा सकती जिन्होंने कंधे से कंधा मिलाकर लड़ाई लड़ी और बलिदान दिया।