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जाते हुए मानसून ने फेरा किसानों की उम्मीदों पर पानी, तेज बारिश से खेतों में डूब गए सरसों के बीज

भोपाल, 18 अक्टूबर। मध्यप्रदेश में अच्छे मानसून की भविष्यवाणी ने उम्मीदें जगाई थीं, लेकिन बाढ़ में किसानों की खुशियां डूब गई थीं। किसान पुराने जख़्म  भुला नई फसल के सपनों में रंग भर रहा था, लेकिन मानसून जाते-जाते भी उम्मीदों पर पानी फेर गया। प्रदेश में पक कर तैयार धान, मूंगफली, कपास, मिर्ची और सोयाबीन लगभग बर्बाद हो गई हैं, जबकि सरसों की पहली बुआई की मेहनत औऱ लागत पानी में डूब गई है।       

विगत 24 घंटों में हुई तेज बारिश से ग्वालियर-चंबल अंचल में पककर तैयार धान की फसल खेतों में बिछ गई है। कटी फसल भी भीग जाने से सड़ने की हालत में आ गई है। श्योपुर, डबरा, गोहद में करीब 70 हजार हेक्टेयर में खड़ी धान को नुकसान हुआ है। खेतों में पानी भर जाने से मूंगफली की फसल को भी नुकसान हुआ है।

अंचल में कमोबेश हर जगह सरसों की बुआई हो चुकी थी। तेज बारिश से खेत लबालब और सरसों के बीज नष्ट हो गए हैं। अंचल के ग्वालियर में 1.40 लाख  मुरैना में 1.53, भिंड में 1.80 लाख हैक्टेयर औऱ श्योपुर में 50 हजार हेक्टेयर में बोई गई सरसों के बीज नष्ट हो गए हैं।

ग्वालियर-चंबल: धान, सरसों और मूंगफली पर गिरी मानसून की गाज
ग्वालियर-चंबल में रवावार रात से सोमवार सुबह तक मूसलधार बारिश और तेज हवा से धान की फसल को भारी नुकसान हुआ है। शिवपुरी-श्योपुर, गुना और दतिया में धान की फसल खेतों में ही बिछ गई है। बारिश के कारण खेतों में खड़ी धान की फसल पूरी तरह खेत में गिर गई है। इसके अलावा जो फसलें खेतों में कटी पड़ी हैं, वह भी भीग कर सड़ने की हालत में आ गई हैं। अकेले श्योपुर जिले में 50 हेक्टेयर में धान की फसल को नुकसान पहुंचा है। यहां कराहल क्षेत्र में रातभर में 12 इंच से ज्यादा बारिश हुई है। इसके अलावा उड़द, मूंग, ज्वार, बाजरा और तिल की पकी हुई फसल को भी भारी नुकसान पहुंचा है। कोसानों को मलाल है कि पहले बाढ़ और अब जाते मानसून की भारी बारिश ने फसल नष्ट कर कर्जदार बना दिया है।

सरसों की फसल नष्ट होने का बाजार पर होगा असर
भिंड-मुरैना मध्यप्रदेश के सबसे ज्यादा सरसों उत्पादन करने वाले जिले हैं। बेमौसम बारिश बारिश की वजह से खेत में बोई गई सरसों के बीज नष्ट हो गए हैं। इसका असर आने वाले समय में पड़ सकता है। पहले से ही सरसों के तेल की कीमतें आसमान छू रही हैं। किसानों ने किसी तरह खाद की व्यवस्था की, अब बारिश ने सब कुछ तबाह कर दिया। दोबारा बोने में सरसों में विलंब होगा और गुणवत्ता प्रभावित हो जाएगी।  

निमाड़ में कपास, मिर्ची और सोयाबीन को नुकसान
निमाड़ के खंडवा, खरगोन, बुरहानपुर जिलों में कपास, मिर्च, सोयाबीन को नुकसान पहुंचा है। किसानों के मुताबिक, सोयाबीन में 70%, कपास में 60 और मिर्च में 40% नुकसान है। नवरात्रि बाद अब किसान उपज निकालने वाले ही थे कि बारिश ने फसल चौपट कर दी। कपास के गेंठे और मिर्च गलकर पौधे से गिर गई।

मूंगफली के क्वालिटी पर असर
जिन किसानों ने अपने खेतों में मूंगफली की फसल लगाई है, उनका कहना है कि बारिश के कारण फसल भीग जाने से अब उस पर कालापन आ जाएगा, जिससे क्वालिटी कमजोर हो जाएगी और फसल का भाव भी कम मिलेगा।

gudakesh.tomar@gmail.com

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