सरकारी ठेके से लेकर पी थी देशी शराब, 6 परिवार हुए बेसहारा, शिकायत के 6 माह बाद भी पुलिस निष्क्रिय, मुआवजा मिला न इंसाफ
ग्वालियर, 02 अक्टूबर। ग्वालियर के महाराजपुरा थाना क्षेत्र में स्थित चंदू पुरा और खेरिया गांव के कुछ लोगों ने होली के जश्न के लिए मालनपुर के सरकारी ठेके से खरीदकर शराब पी। पीते ही सब बीमार हो गए, उनमें से दो की मृत्यु हो गई जबकि चार नेत्र-ज्योति बैठे। शराब खरीदकर लाने वालों ने मरने से पूर्व परिजन को बता दिया कि शराब कहां से ख़रीदकर लाई गई थी। मृतकों और दूसरे पीड़ितों के परिजन ने महाराजपुरा पुलिस थाने को शिकायत में यह सब बताया भी, लेकिन पुलिस ने FIR में आरोपी को अज्ञात दर्ज किया। नतीजतन छह परिवारों के बेसहारा होने की वजह बने आरोपी आज भी बेखौफ हैं। पालनहार आसरे को असमय खो बैठने वाले परिवारों को न मुआवजा मिल सका न इंसाफ। उच्च न्यायालय ने पुलिस से तलब की स्टेटस-रिपोर्ट, CBI को कहा–मामले की जांच आप करें….
ग्वालियर जिले के चंदूपुरा और खेरिया गावों में जहरीली शराब से हुई मौतों और नेत्र ज्योति खोने के हादसे की CBI जांच की मांग को लेकर पीड़ित परिजन ने मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है। याचिकाकर्ताओं का दर्द है कि पहले ही नामजद शिकायत को अज्ञात माने बैठी पुलिस छह माह बाद भी हादसे के जिम्मेदारों की खोज तक नहीं कर सकी है। परिजन को मलाल इस बात का भी है कि परिवारों की आजीविका का इकलौता सहारा या तो छिन गया है अथवा नेत्र-ज्योति खोकर खुद ही सहारे का मोहताज होकर रह गया है। इसके बादजूद मुआवजा देना तो दूर प्रसासन का कोई नुमाइंदा या जनप्रतिनिधि राहत के दो बोल सुनाने भी पीड़ितों के पास नहीं पहुंचा। जबकि इसी तरह के मुरैना जिले में हुए हादसे के पीडित 26 परिवारों को करीब छह लाख रुपए तक का मुआवजा और दूसरी राहतें दी गई थीं। उच्च न्यायालय ने मामले की गंभीरता देखते हुए CBI को नोटिस जारी किए हैं, साथ ही पुलिस से भी स्टेटस रिपोर्ट तलब की है। मामले की अगली सुनवाई 22 अक्टूबर को होगी।
ट्रक चला बना था परिवार का सहारा, नेत्र-ज्योति खोकर खुद पत्नी के सहारे
चंदूपुरा गांव का बंटी रजक भारी ट्रक/ट्रॉलों का ड्राइवर था, नज़रे इतनी तेज थीं कि हाइवे पर कील भी पड़ी हो उसे तेज रफ्तार ट्रक के केबन से भी देख सकता था। जहरीली शराब ने आखों का उजाला छीन कर जीवन को हमेशा के लिए अंधेरा कर दिया है। साथ ही पत्नी, तीन बेटियों और एख बेटे का भविष्य भी अंधकारमय हो गया है। खुद बंटी तो चलने फिरने के लिए भी पत्नी-बच्चों के सहारे का मोहताज हो गया है।
बंटी की तरह ही जहरीली शराब से आंखों की रोशनी गंवा चुके राकेश माहौर का कोई परिवार ही नहीं था जो उसके अंधेरे की लाठी बन सके। पूरी तरह असहाय होने पर रिश्ते की एक बहन उसे अपने साथ ले गई है।
पुलिस पर भरोसा नहीं, याचिका में CBI जांच की मांग
मृतकों के परिजन का स्पष्ट कहना है कि उन्होंने पुलिस को बताया था कि मालनपुर के सरकारी देशी शराब ठेके से शराब लाई गई थी। यह कोई कल्पना नहीं, बल्कि उनके परिजन का मृत्यु-पूर्व कथन है। यह सब बताने के बाद भी पुलिस ने FIR में इस तथ्य को दर्ज नहीं किया। जाहिर है अज्ञात की गिरफ्तारी कैसे हो, इसलिए पुलिस जांच का नतीजा अब तक शून्य ही है। पीड़ित परिजन पुलिस पर भरोसा पूरी तरह खो चुके हैं, इसलिए याचिका में CBI जांच की मांग की है।