अनोखी कहानियां

ज्योतिरादित्य सिंधिया के विवाह में फूट-फूट कर रोए थे पिता माधवराव

ग्वालियर। केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का विवाह 12 दिसंबर 1994 को गुजरात में बड़ोदरा के गायकवाड़ राजपरिवार की राजकुमारी प्रियदर्शिनी राजे से हुआ तो पिता और तत्कालीन कांग्रेस दिग्गज माधवराव सिंधिया भावुक होकर रो पड़े थे। ज्ञातव्य है कि वह सिंधिया राजवंश की कई पीढ़ियों बाद पहले पिता थे, जो अपने पुत्र के विवाह में आशीर्वाद देने सम्मिलित हो सके थे।

30 सितंबर को कैलाशवासी माधवराव सिंधिया की पुण्यतिथि है। इस मौके पर khabarkhabaronki.com उनकी अनछुई स्मृतियों को पाठकों के समक्ष प्रस्तुत कर रहा है।

– केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया राजकुमारी प्रियदर्शिकी के साथ विवाह के सात फेरे ले रहे थे। तभी उनके पिता माधवराव सिंधिया भावुक होकर रोने लगे। ग्वालियर के सिंधिया राजवंश के मुखिया माधवराव को रोते देखकर वहां मौजूद परिजन, रिश्तेदार और मित्रगण आश्चर्य में पड़ गए।

– माधवराव ने तुरंत आंसू पोंछे और बोले–हमा बहुत ही सौभाग्यशाली हैं, क्योंकि अपने पुत्र के विवाह में शामिल हो पा रहे हैं।

–  दरअसल सिंधिया राजवंश का कोई महाराज अपने युवराज के विवाह में शामिल ही नही हो सका था।

अपने विवाह में पिता की अनुपस्थिति की स्मृति से भावुक हुए माधवराव

– मित्रों-रिश्तेदारों ने माधवराव से भावुक होने का कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि जब उनका विवाह हुआ था उस समय पिता महाराज जीवाजीराव सिंधिया आशीर्वाद देने के लिए उपस्थित नहीं थे। महाराज जीवाजीरावसिंधिय जब कैलाशवासी हुए थे तब उनके पुत्र माधवराव स्कूल विद्यार्थी थे।

– मदावराव ने बताया ता कि वह सौभाग्यशाली हैं कि अपने पुत्र के विवाह में शामिल हो रहे हैं और सभी संस्कारों में सम्मिलित हो पा रहे हैं।

सिंधिया राजवंश के महाराज नहीं देख सके थे अपने युवराज का विवाह

– जब जीवाजीराव सिंधिया मात्र नौ वर्ष के थे, उनके पिता महाराज माधौराव (माधो महाराज) कैलाशवासी हो चुके थे। माधौ महाराज जब बमुश्किल 10 वर्ष के थे, तो महाराज जयाजीराव सिंधिया का कैलाशगमन हो चुका था।

– जयाजी राव सिंधिया गोद लिए महाराज थे और जब सिंधिया राजवंश के महाराजा दौलतराव सिंधिया कैलाशवासी हुए तब वह मात्र आठ वर्ष के थे।

– यही कारण था माधवराव सिंधिया ज्योतिरादित्य सिंधिया के विवाह के दौरान भावुक हो गए थे। कैलाशवासी माधवराव सिधिया राजवंश के ऐसे महाराज थे, जिन्होंने अपन् पोते महाआर्यमान को भी गोद में खिलाया था।

gudakesh.tomar@gmail.com

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