क्राइम

सम्राट मिहिर भोज विवादः पुलिस के पहरे में सम्राट मिहिर भोज, उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद उपद्रव मचाने वाले 150 लोगों के विरुद्ध FIR दर्ज

ग्वालियर, 27 सितंबर। ग्वालियर में सम्राट मिहिर भोज प्रतिमा की नाम पट्टिका में गुर्जर सम्राट लिखे जाने पर जारी विवाद में मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद हंगामा मचाने और पुलिस पर हमला करने वाले गुर्जर समाज के 150 लोगों के विरुद्ध FIR दर्ज कर ली है। पुलिस ने अब सख्ती दिखाते हुए कंपू पुलिस थाना में गुर्जर समुदाय के करीब 150 लोगों के विरुद्ध पथराव, हमला व शासकीय कार्य में बाधा डालना और धारा-144 का उल्लघंन करने की FIR दर्ज कर ली है। सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा को टीनशैड से घेरते हुए 24 घंटे सुरक्षा के लिए पुलिस बल तैनात कर दिया गया है।  

मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के 25 सितंबर को हुए निर्णय के बाद सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा पर लगाई गई नाम पटि्टका को ढंकने पहुंचे पुलिस और प्रशासन के दल पर हमला कर दिया था। पुलिस को स्थिति नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस दागनी पड़ी थी। यहां से खदेड़े जाने के बाद यह लोग नेशनल हाइवे पर सिकरौदा के पास पहुंच गए चक्काजाम कर दिया। रात 12 बजे से सुबह 4 बजे करीब 100 लोगों ने जमकर उत्पात मचाया। पुलिस घटना की वीडियोग्राफी से हमलावरों के चेहरे पहचानने का प्रयास कर रही है। पुलिस अधीक्षक अमित सांघी ने बताया मूर्ति की सुरक्षा और निगरानी के लिए विशेष कैमरे लगाए गए हैं साथ ही पुलिस बल तैनात कर दिया गया है, जो 24 घंटे सम्राट की प्रतिमा की सुरक्षा करेगा।

नगर निगम की गफ़लत से पैदा हुआ विवाद

नगर निगम की कार्य परिषद में 14 दिसंबर 2015 को एक ठहराव प्रस्ताव लाया गया था, जिसमें सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा को स्थापित करने का उल्लेख है। प्रस्ताव में कहीं भी गुर्जर सम्राट शब्द का जिक्र नहीं है, लेकिन विगत आठ सितंबर को नगर निगम ने शीतला माता मंदिर रोड़ चिरवाई नाका चौराहे पर सम्राट मिहिर भोज महान की प्रतिमा का अनावरण किया था। यहां प्रतिमा की नाम पटि्टका पर सम्राट मिहिर भोज के आगे गुर्जर शब्द जोड़कर गुर्जर सम्राट मिहिर भोज लिख दिया। इस पर राजपूत क्षत्रिय समाज ने विरोध प्रकट किया। दोनों समुदाय एक दूसरे के सामने आ गए। सम्राट मिहिर भोज की जाति को लेकर शुरूहुए विवाद में क्षत्रिय महासभा का तर्क है कि सम्राट मिहिर भोज राजपूत क्षत्रिय हैं। इसके संबंध में उन्होंने इतिहासकारों के लेख, शिलालेख व नागौद के परिहार वंश के सबूत भी प्रस्तुत किए। जवाब में अखिल भारतीय वीर गुर्जर महासभा ने तर्क रखा कुछ पुराने शिखालेख, विदेशी यात्रियों के आत्मकथा व कई ग्रन्थों में सम्राट को गुर्जर लिखा गया है। इस मामले में विगत शनिवार 25 सितंबर को मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की ग्वालिय खण्डपीठ के आदेश पर जिला प्रशासन और पुलिस मूर्ति की शिला पट्टिका को ढंकने पहुंचे तो गुर्जर समुदाय ने उपद्रव कर दिया था।

उच्च न्यायलय के आदेश पर गठित समिति ने जांच प्रारंभ की, 4 अक्टूबर तक मांगे जाति सुबूत
मामले में उच्च न्यायालय के आदेश पर संभागायुक्त आशीष सक्सेना की अध्यक्षता में एक जांच समिति बनाई गई है। इसका उपाध्यक्ष ग्वालियर जोन के आईजी अविनाश शर्मा को बताया गया है। इनके साथ समिति में क्षेत्र के SDM, इतिहासकारों का पैनल दोनों समाजों के प्रतिनिधि शामिल हैं। इस संबंध में दोनों पक्षों से प्रमाण आमंत्रित किए हैं।

gudakesh.tomar@gmail.com

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