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सम्राट मिहिरभोज की प्रतिमा की नाम पट्टिका ढंकने का आदेश, उच्च-स्तरीय कमेटी की रिपोर्ट के बाद होगा उच्च न्यायालय का निर्णय

ग्वालियर, 25 सितंबर। मध्यप्रदेश के ग्वालियर-चंबल संभाग में सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा पर पट्टिका लगाने में दो जातियों के बीच शुरू हुए हिंसक विवाद के बाद मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने नाम पट्टिका को ढंकने का आदेश जारी कर दिया है। विवाद का हल निकालने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन कर दिया गया। संभागायुक्त की अध्यक्षता में बनी समिति के उपाध्यक्ष पुलिस महानिरीक्षक के साथ ही इतिहासकार और दोनों जातियों के प्रतिनिधि भी शामिल किए गए हैं। समिति तीन हफ्तों में रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगी, रिपोर्ट के बाद ही उच्च न्यायालय में अंतिम निर्णय होगा।

मध्यप्रदेश के ग्वालियर में नगर निगम ने चिरवाई नाका चौराहे पर सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा स्थापित कराई। विवाद प्रतिमा पर लगाई गई नामपट्टिका से शुरू हुआ। पट्टिका में गुर्जर सम्राट मिहिर भोज लिखे जाने पर राजपूत समाज भड़क गया। गुर्जर और राजपूत युवकों में पहले सोशलमीडिया पर झगड़ा चलता रहा। विगत दिनों यह आग मैदान में उतर आई और दोनों पक्षों में हिंसक झड़पें होने लगी। इनका संघर्ष अंचल में कानून-व्यवस्था के लिए चुनौती बन गया। एक याचिका के ज़रिए विवाद उच्च न्यायालय तक पहुंच गया। सुनवाई से पूर्व ही दोनों जातियों में संघर्ष बढ़ने लगा। इस पर ग्वालियर के कलेक्टर ने दोनों पक्षों की बैठक बुलाई और साफ हिदायत दी कि उच्च न्यायालय का फैसला आने तक कानून-व्यवस्था की स्थिति और अंचल में अमन-चैन बनाए रखने में पुलिस का सहयोग करें।

शनिवार को मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की ग्वालियर खंडपीठ ने इस विवाद संबंधी याचिका पर सुनवाई करते हुए प्रतिमा की नाम पट्टिका को ढंकने का आदेश जारी किया है। उच्च न्यायालय ने विवाद के संतोषजनक व न्यायसंगत हल के लिए एक उच्च स्तरीय समिति बनाकर उसे इस विवाद पर अपना अभिमत प्रस्तुत करने के लिए कहा है।   

ये समित देगी सम्राट मिहिरभोज विवाद के संबंध में उच्च न्यायालय को सुझाव

उच्च न्यायालय के आदेश पर बनी समिति का अध्यक्ष संभागायुक्त को, जबकि उपाध्यक्ष ग्वालियर जोन के पुलिस महानिरीक्षक को बनाया गया है। समिति में गुर्जर प्रतिनिधि के रूप में अधिवक्ता आरवीएस घुरैया और क्षत्रिय प्रतिनिधि के रूप में अधिवक्ता डीपी सिंह को शामिल किया गया है। समिति में पहले से शामिल SDM अनिल बनवारिया, CSP आत्माराम शर्मा, इतिहासविद प्रो.एके द्विवेदी व प्रो.अनिल स्वर्णकार को भी यथावत रखा गया है। समति को अपनी रिपोर्ट तीन सप्ताह में प्रस्तुत करनी है।   

कैसे शुरू हुआ विवाद?
ग्वालियर नगर निगम की कार्य परिषद में 14 दिसंबर 2015 को एक ठहराव प्रस्ताव लाया गया था। इसमें सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा को स्थापित करने का उल्लेख है, लेकिन कहीं भी गुर्जर सम्राट शब्द का जिक्र नहीं है। 8 सितंबर 2021 को नगर निगम द्वारा शीतला माता रोड चिरवाई नाका चौराहा पर सम्राट मिहिर भोज महान की प्रतिमा का अनावरण किया था। यहां प्रतिमा की पटि्टका पर सम्राट मिहिर भोज के आगे गुर्जर शब्द जोड़कर उन्हें गुर्जर सम्राट मिहिर भोज नाम दिया गया। राजपूत क्षत्रिय समाज ने इसका विरोध किया। दोनों समुदाय एक-दूसरे के सामने आ गए। यहीं से सम्राट मिहिर भोज की जाति को लेकर विवाद शुरू हो गया।

gudakesh.tomar@gmail.com

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