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अचलनाथ से मांगा न्यायशक्ति का वरदान, उच्चतम न्यायालय में पदभार ग्रहण कर सपरिवार रुद्राभिषेक करने पहुंचे जस्टिस माहेश्वरी

ग्वालियर, 05 सितंबर। उच्चतम न्यायालय में पदभार ग्रहण करने के बाद पहली बार गृह-नगर आए जस्टिस जितेंद्र कुमार माहेश्वरी शनिवार देर रात अचलेश्वर मंदिर पहुंचे। जस्टिस माहेश्वरी ने सपत्नीक अचलनाथ का अभिषेक के साथ पूजा अर्चना की। अचलेश्वर महादेव पर अटूट आस्था रखने वाले जस्टिस माहेश्वरी एवं उनके परिवार ने आचार्य गगन एवं आचार्य गौरव के पौरोहित्य में रुद्राभिषेक किया।

गौरतलब है कि ग्वालियर में वकालत के दौर से ही जस्टिस माहेश्वरी की भगवान अचलनाथ में आस्था रही है, वह नियमित रूप से अचलेश्वर मंदिर में आशीर्वाद लेने आते रहे हैं। मुरैना जिले के छोटे से कस्बे जौरा से अपनी शिक्षा यात्रा शुरू कर देश की उच्चतम न्याय-संस्था तक पहुंचे जस्टिस माहेश्वरी ने बाबा अचलनाथ से न्यायशक्ति का वरदान मांगा। ज्ञातव्य है कि सर्वोच्च न्यायालय के न्यायधीश बनने वाले ग्वालियर-चंबल के जस्टिस माहेश्वरी तीसरे हैं, उनसे पूर्व जस्टिस रमेश चंद्र लाहौटी और जस्टिस अरुण माहेश्वरी सर्वोच्च न्यायालय के न्यायधीश बन चुके हैं। जस्टिस लाहौटी तो उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश भी बने थे।

छोटे से कस्बे जौरा से शुरू हुआ उच्चतम न्यायालय ने न्यायधीश बनने का सफ़र

मध्य प्रदेश में मुरैना जिले के जौरा कस्बे में 29 जून 1961 को जन्मे जितेंद्र माहेश्वरी के उच्चतम न्यायालय का न्यायधीश बनने के साथ ही न्यायिक क्षेत्र में उनकी उपलब्धियों ने अंचल का गौरव बढ़ाया है। उनकी प्रारंभिक शिक्षा जौरा में ही हुई थी। उच्च शिक्षा के लिए जस्टिस माहेश्वरी ग्वालियर आ गए। यहां उन्होंने वकालत की डिग्री हासिल की। उन्होंने ग्वालियर में  पूर्व सीजेआई आरसी लाहोटी के सहयोगी के तौर पर वकालत की शुरूआत की थी। उनके बड़े भाई स्व. कौशल किशोर माहेश्वरी भी अधिवक्ता थे। उनकी प्रेरणा से ही जस्टिस जितेंद्र माहेश्वरी को कानून के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी ने 1982 में बीए की डिग्री ली थी, उन्होंने 1985 में एलएलबी की। जीवाजी विश्वविद्यालय से 1991 में उन्होंने एलएलएम की डिग्री हासिल की। बाद में उन्हें जीवाजी विश्वविद्यालय से पीएचडी भी अवार्ड हुई। जस्टिस माहेश्वरी 25 नवंबर 2005 को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के अतिरिक्त जज के रूप में नामित किए गए था। बाद में 25 नवंबर 2008 को उन्हें स्थाई न्यायधीश बनाया गया। इसके बाद वे आंध्रप्रदेश के चीफ जस्टिस भी बनाए गए थे। 5 जनवरी 2021 को उन्हें सिक्किम हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के रूप में स्थानांतरित किया गया था।

gudakesh.tomar@gmail.com

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