अनुच्छेद 370 हटने के 2 साल बादः कश्मीर में अब स्टियरिंग सीट पर है दुल्हन-बुरके में नहीं, दूल्हे को बगल में बैठाकर कार चलाती पहुंची ससुराल

बारामूला/कश्मीर, 26 अगस्त। अनुच्छेद-370 और धारा-54-A हटाए जाने का राजनीतिक विरोध भले किया जा रहा हो, लेकिन इसके परिणाम अब कश्मीर में खुलकर नजर आ रहे हैं। जब एक दुल्हन शादी के बाद कार चलाकर बगल में बैठे दूल्हे को लेकर ससुराल पहुंची, तबसे चर्चाओं दौर में कश्मीरी महिलाओं को मिली स्वतंत्रता, दूसरी ओर तालिबानी अफ़गान में शरीया कानून के साये तले बुरके में भी अत्याचार झेलने को मजबूर कभी फुटबॉल खेल रही महिला शामिल हैं। सोशल मीडिया पर गृहस्थी की ड्राइविंग सीट संभालने पति की बराबरी में आई दुल्हन का बीडियो वायरल हैं। लोग खुश है ओर जमकर तारीफें भी कर रहे हैं।

बिदाई हुई–दुल्हन रोई नहीं कार चलाकर दूल्हे के साथ पहुंची ससुराल

उत्तरी कश्मीर के बारामूला जिले के डेलिना में आमिर शेख के साथ शादी के बंधन में बंधने वाली सना वानी ने विदाई के बाद जो किया वह क्श्मीर में महिलाओं की आजादी और उनके बढ़े हुए आत्मविश्वास की बानगी है। आमतौर पर विदाई पर मां-बाप, भाई-बहन से लिपटकर रोने वाली दुल्हन जब काल की ड्राइविंग सीट पर स्टियरिंग संभाले दूल्हेको लेकर ससुराल पहुंची तो उसके स्वागत में उत्साह साफ़ नज़र आया।

पति ने पूछा कार चला लेती हो, दुल्हन ने संभाल लिया स्टियरिंग

विदाई के वक्त पति ने दुल्हन से कार चलाने की गुजारिश की, तो दुल्हन सना ने  बिना किसी संकोच कार का स्टीयरिंग संभाला और ससुराल पहुंच गई। दूल्हे को बगल में बिठाए कार ड्राइव करती दुल्हन की तस्वीरें बता रही हैं कि अब कश्मीरी महिला इतनी सशक्त और आत्मविश्वास से भरी हुई है कि बुर्के में शरीर छिपाकर घर की चारदीवारी में बंद रहने की जगह पति के कंधे-से-कंधा मिला कर गृहस्थी की गाड़ी को ड्राइव करते हुए उसे अपने नियंत्रण में भविष्य में आगे ले जाने को तैयार है।

  • स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी कर रही दुल्हन ने कहा–जब हमने माता-पिता का घर छोड़ा, तो पति ने पूछा कि क्या मैं कार चला सकती हूं, मैंने प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। मैं कार से अपने ससुराल पहुंची। मुझे कार चलाते देख ससुर और सास बहुत खुश थे। सना ने इसे महिलाओं को खुद के अधिकारों के लिए खड़े होने का प्रतीक बताया।
  • पति आमिर ने क्या कहा–मैं इस अवसर को अपनी दुल्हन के लिए विशेष बनाना चाहता था और कश्मीरी विवाहों के उस स्टीरियोटाइप को तोड़ना चाहता था, जहां हमेशा दूल्हे की तरफ से कोई व्यक्ति होता है, जो कार चलाता है। लड़कियों को केवल रसोई या पति के माता-पिता की देखभाल करने की जरूरत नहीं होती है। उनके अधिकार भी पति के समान हैं।
gudakesh.tomar@gmail.com

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