अंचल पर मानसून की मेहरबानी ने खोली सरकारी भ्रष्टाचार की पोल, सिंध के पांच पुलों समेत दर्जनों सड़कें धंसकी

ग्वालियर, 04 अगस्त। मानसून की मेहरबानी से अंचल में खुशियों से पहले मुसीबत की आमद हो गई। सिंध नदी ने ग्वालियर-चंबल अंचल में तबाही मचा दी है। कूनो-क्वारी, चंबल समेत सभी नदियां खतरनाक रूप ले चुकी है। अंचल के पांच पुल ढह गए है, कई में दरार आ गई है औऱ दर्जनों सड़कें धसंक कर हादसे की वजह बन चुकी है। प्रकृति की मेहरबानी ने इंसान के लालच और सरकारी भ्रष्टाचार की पोल खोल दी है। इंसानी लालच और भ्रष्टाचरण ने प्रकृति की मेहरबानी को बदला तबाही में…..

सालों बाद अंचल में सिंध नदी का रौद्र रूप दिखाई दिया है। बुधवार सुबह दतिया जिले में सिंध नदी पर बने सेंवढ़ा और इंदुर्खी पुल बह गए। इसके पहले मंगलवार को सिंध नदी के बहाव में रतनगढ़ माता और लांच-पिछोर का पुल भी बह गया था। दतिया जिले के गोराघाट, भिंड के अमायन में मेंहदा घाट पुलों की हालत भी ‘अब गए तब गए’ सी हो गई है। पानी कमोबेश अंचल के हर पुल के ऊपर से बह रहा है। हालांकि मानसून बीते चार वर्षों से थोड़ा सा ही ज्यादा सक्रिय हुआ है, लेकिन तबाही आशंका से भी ज्यादा हो रही है। राजमार्ग की नई नवेली सड़कों का टूटना, महत्वपूर्ण पुलों का ताश के पत्तों की तरह बिखर जाना अपने आप में कई सवाल खड़े करता है। साफ झलकता है कि पुल व सड़क के निर्माण में गुणवत्ता से खिलवाड़ किया गया था।

देखिए, किस तरह खुली रसूखदारों के निर्माण-गुणवत्ता में भ्रष्टाचार की पोल

  • राजमार्ग की सड़कें और पुल बनाए जाते वक्त निर्माणकर्ता एजेंसी को करीब पांच सालों तक इसके रखरखाव की जिम्मेवारी दी जाती है, लेकिन जिस तरह से सिंध नदी पर शिवपुरी, दतिया, डबरा और भिंड में बने पांच पुल बहे हैं, उससे पुल के निर्माण में गुणवत्ता से समझौता साफ तौर पर नजर आ रहा है। कुछ यही हाल आगरा-मुंबई राष्ट्रीय राजमार्ग के मोहना इलाके का है यहां करीब 50 मीटर की सड़क पानी के रेले से तरणताल बन गई।
  • ग्वालियर झांसी के बीच डबरा के पास सिंध नदी के ऊपर बने नवनिर्मित पुल में दर्जनों स्थानों पर दरारें आई हैं, आशंका है कि यह पुल भी किसी भी पल जलमग्न हो सकता है। हालांकि खतरे की आशंका से जिला प्रशासन ने झांसी राजमार्ग पर पर आवागमन पूरी तरह से बंद कर दिया है।
  • यही हाल शिवपुरी के आगरा-मुंबई राष्ट्रीय राजमार्ग का भी है। मोहना पर भी इसी राजमार्ग की सड़क का बड़ा हिस्सा पानी में बह जाने से ग्वालियर-शिवपुरी संपर्क कट गया है। सड़कों के दोनों ओर वाहनों की लंबी कतारें हैं। आगरा-मुंबई राष्ट्रीय राजमार्ग पर मुरैना से लेकर शिवपुरी गुना और झांसी मार्ग पर ट्रैफिक को रोका गया है।

भ्रष्टाचरण से लाखों जीवनों से खिलवाड़ क्या क्षमा योग्य ?

खास बात यह है कि करोड़ों के पुल और सड़क के ठेके दिए तो देश की जानी-मानी कंपनियों को जाते हैं, लेकिन राजनेताओं के मुंहलगे इन्हें पेटी कॉन्ट्रैक्ट पर लेकर गुणवत्ता को भ्रष्टाचार के रसातल में पहुंचा देते हैं। राजनीतिक पहुंच के कारण इन ठेकेदारों के भुगतान भी नहीं रुकते हैं। अफसरों को मज़बूरन इन दबंगों का भुगतान करना ही पड़ता है। जिस तरह से ग्वालियर चंबल संभाग में सड़कों और पुलों के बहने का क्रम बना हुआ है उससे एक बार फिर इस दिशा में गंभीरता से सोचने की जरूरत है। क्या हजारों लोगों की जिंदगी की कीमत पर इन मुहलगे दबंगों की कारगुजारी को क्षमा किया जाना चाहिए?

gudakesh.tomar@gmail.com

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