नई दिल्ली, 02 अगस्त। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार दोपहर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए डिजिटल पेमेंट सॉल्यूशन e-RUPI लॉन्च किया। दरअसल यह वाउचर आधारित भुगतान प्रणाली है। e-RUPI के जरिए नगदी के बिन संपर्क रहित तरीके से डिजिटल भुगतान किया जा सकता है। मुंबई की एक उपभोक्ता एक निजी अस्पताल में वैक्सीनेशन के लिए e-RUPI के जरिए भुगतान कर पहली e-RUPI की पहली उपयोग करने वाली बनीं। इस आयोजन में देश के विभिन्न राज्यों के राज्यपाल, केंद्रीय मंत्री, रिजर्व बैंक के गवर्नर और अन्य महत्वपूर्ण लोगों ने हिस्सा लिया।
दरअसल e-UPI डिजिटल e-वाउचर की तरह काम करता है। यह लेन-देन का नगदी व संपर्क रहित तरीका है। यह QR-Code या SMS-स्ट्रिंग पर आधारित e-वाउचर है, जिसे लाभार्थियों के मोबाइल पर प्रेषित किया जा सकता है। इस प्रणाली के उपयोगकर्ता किसी डेबिट/क्रेडिट कार्ड, डिजिटल पेमेंट ऐप या इंटरनेट बैंकिंग के बिना इस e-वाउचर को किसी सर्विस प्रोवाइडर के पास व्यय कर सकेंगे। नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया ने इसे अपने यूपीआई प्लेटफॉर्म पर वित्तीय सेवा विभाग, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और नेशनल हेल्थ अथॉरिटी के साथ मिलकर विकसित किया है।
कैसे काम करता है यह पेमेंट सॉल्यूशन
e-RUPI सर्विस के प्रायोजक और लाभार्थी को किसी भौतिक संपर्क साधन के बिना डिजिटल तरीके से जोड़ता है। साथ ही e-RUPI यह भी सुनिश्चित करता है कि लेन-देन पूरा होने के बाद सेवा प्रदाता को भुगतान हो। इस तरह e-RUPI प्रीपेड पेमेंट सॉल्यूशन है। सरकारी संवाद में उम्मीद जताई गई है कि यह कल्याणकारी योजनाओं की लीक-प्रूफ डिलिवरी की दिशा में उठाया गया क्रांतिकारी कदम साबित हो सकता है। इसका इस्तेमाल विभिन्न सरकारी योजनाओं के तहत सेवाओं की डिलिवरी के लिए किया जा सकेगा। इसके साथ ही निजी कंपनियां भी अपने कर्मचारियों की वेलफेयर योजनाओं में डिजिटल वाउचर उपलब्ध करा सकती हैं।
e-RUPI के फायदे, न इंटरनेट की जरूरत न ही पेमेंट कार्ड्स जरूरी
व्यवस्था के उपयोगकर्ता अपने सेवा प्रदाता के केंद्र पर कार्ड, डिजिटल भुगतान एप या इंटरनेट बैंकिंग एक्सेस के बिना ही वाउचर की राशि को प्राप्त करने में सक्षम होंगे।
ई-रुपी बिना किसी फिजिकल इंटरफेस के डिजिटल तरीके से लाभार्थियों और सेवा प्रदाताओं के साथ सेवाओं के प्रायोजकों को जोड़ता है।
इसके तहत यह भी सुनिश्चित किया जाता है कि लेनदेन पूरा होने के बाद ही सेवा प्रदाता को भुगतान किया जाए।
प्री-पेड होने की वजह से सेवा प्रदाता को किसी मध्यस्थ के हस्तक्षेप के बिना ही सही समय पर भुगतान संभव हो जाता है।
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